सुल्तानपुर : ट्यूबवेल की बोरिंग के विवाद और क़त्ल का मामला, चारों दोषियों को 5-5 साल की व 10-10 हजार रुपए अर्थदंड की सजा

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दीपांकुश चित्रांश की रिपोर्ट :
सुल्तानपुर : खबर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से है जहाँ ट्यूबवेल की बोरिंग को लेकर साढ़े बारह साल पहले हुए विवाद के दौरान राम मनोरथ तिवारी को गम्भीर चोट पहुँचाकर मौत के जिम्मेदार बने आरोपी पिता व तीन पुत्रों को कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या का दोषी माना। एडीजे सप्तम पीके जयंत ने चारों दोषियों को पांच-पांच साल की सजा व दस-दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।

दरसल मामला मोतिगरपुर थाना क्षेत्र के भैरोपुर बेसना गांव से जुड़ा है। जहां पर 27 अक्टूबर 2009 को दोपहर करीब दो बजे हुई घटना का जिक्र करते हुए राममनोरथ तिवारी ने मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक गांव के ही आरोपी लालू निषाद उसके पुत्र मंशाराम, राजित राम और घनश्याम अपनी चक में ट्यूबल की बोरिंग करा रहे थे,तभी गांव के राम मनोरथ तिवारी ने बगल में अपनी भी ट्यूबबेल मौजूद होने की बात कहकर आरोपियो से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर बोरिंग कराने की बात कही। नजदीक बोरिंग होने से भविष्य में दोनो के लिए पानी की समस्या उत्पन्न होने का सुझाव दिया। फिलहाल यह बात आरोपियो को नगंवार गुजरी और आक्रोशित होकर उन्होंने लाठी-डंडे व पाइप से राम मनोरथ की पिटाई कर दी,हमले में राममनोरथ को गम्भीर चोंटे आई।

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मामले में चोटहिल राममनोरथ की तहरीर पर चारो आरोपियो के खिलाफ एनसीआर दर्ज हुआ। इलाज के दौरान राम मनोरथ की तबियत में सुधार नहीं हुआ बल्कि घटना में आई चोटों के चलते इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मामले में राम मनोरथ की मृत्यु के बाद चारो आरोपियो के खिलाफ पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का अपराध पाते हुए भादवि की धारा-304 समेत अन्य धाराओं में आरोप-पत्र दाखिल किया।मामले का विचारण एडीजे सप्तम की अदालत में चला।

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इस दौरान अभियोजन पक्ष से शासकीय अधिवक्ता संदीप कुमार सिंह ने मृतक राममनोरथ के पुत्र रामशिरोमणि समेत अन्य गवाहों एवं अपने तर्को को प्रस्तुत कर आरोपियो को दोषी ठहराने व कड़ी सजा से दण्डित किये जाने की मांग की। वहीं बचाव पक्ष ने आरोपियो को बेकसूर बताने का भरपूर प्रयास किया। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात कोर्ट ने सभी आरोपियों को भादवि की धारा-304 (भाग दो) में दोषी ठहराया। जिनकी सजा पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें पांच-पांच वर्ष के कारावास एवं दस-दस हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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