उत्तराखंड में नीट काउंसलिंग मे फर्जी प्रमाण पत्र धारकों पर रीजनल पार्टी (RRP) कराएगी मुकदमे

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  • दो दो राज्यों का ओबीसी  सर्टिफिकेट बनाकर उत्तराखंड नीट काउंसलिंग मे सलेक्शन लेने वाले अभ्यर्थी,  उनके अभिभावक और संलिप्त अफसरों के खिलाफ रीजनल पार्टी #RRP मुकदमे दर्ज कराएगी-सेमवाल 
  • इसमे अभ्यर्थी तो नपेंगे ही  यूपी की नीट की तीन काउंसलिंग मे इनका क्रमांक क्रमशः 3883, 4036, और 4073 है-सेमवाल 
  • यह प्रकरण चिकित्सा शिक्षा निदेशक,  चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति और कोटद्वार एसडीएम को भी अवगत करा दिया है। उनकी ओर से जांच व कार्रवाई का आश्वासन मिला है-सेमवाल 
देहरादून  : राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी [RRP] के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने साफ चेतावनी दी है कि दो दो राज्यों का ओबीसी  सर्टिफिकेट बनाकर उत्तराखंड नीट काउंसलिंग मे सलेक्शन लेने वाले अभ्यर्थी,  उनके अभिभावक और संलिप्त अफसरों के खिलाफ रीजनल पार्टी मुकदमे दर्ज कराएगी।एक उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि चारू पाॅल पुत्री गजराज ने यूपी नीट की तीन काउंसलिंग मे खुद को ओबीसी दिखाया है। वहां सलेक्शन नही हुआ तो उत्तराखंड आ गयी। यहां पहली काउंसलिंग मे खुद को समान्य दर्शाया। सलेक्शन नही हुआ तो दूसरी काउन्सलिंग मे कालागढ, कोटद्वार से ओबीसी का सर्टिफिकेट बनाकर उत्तराखंड मे सलेक्शन हो गया। दो- दो राज्यों का ओबीसी सर्टिफिकेट कैसे बन सकता है।  इसमे अभ्यर्थी तो नपेंगे ही  यूपी की नीट की तीन काउंसलिंग मे इनका क्रमांक क्रमशः 3883, 4036, और 4073 है।उत्तराखंड मे नीट की पहली काउंसलिंग मे इन्होने खुद को जनरल दिखाया।  इसमे इनका क्रमांक 246 था। जनरल मे सलेक्शन नहीं हुआ तो दूसरी काउन्सलिंग मे खुद कोटद्वार कालागढ की ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाकर सलेक्शन पा लिया लेकिन इन्हें   अल्मोड़ा सीट मिली। दूसरी काउन्सलिंग मे इनका क्रमांक 121 था। लेकिन इनको अल्मोड़ा दूर लगा तो तीसरी काउंसलिंग फिर से ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके सलेक्शन पा लिया और इनको हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की सीट आवंटित करा ली। तीसरी काउंसलिंग मे इनका क्रमांक 814 था।
चारुपाल पुत्री गजराज ने उत्तराखंड के मूल निवासी  अभ्यर्थी का हक मारा है।  सेमवाल ने बताया कि दो – दो राज्य के ओबीसी प्रमाण पत्र कैसे बन गये ! इनकी सारी पढाई लिखाई उत्तर प्रदेश मे ही हुई है।  ऐसे कई उदाहरण हैं। सबकी जन्मकुंडली निकाली जा रही है।अब फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर उत्तराखण्ड राज्य के मूल निवासी बच्चों का हक मारने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। सहयोगी माता-पिता भी नपेंगे। और अगर इस पोस्ट का तत्काल संज्ञान लेकर भी ये प्रमाण पत्र तत्काल रद्द न हुए तो फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारी भी 100% नपेंगे। उन्होने यह प्रकरण चिकित्सा शिक्षा निदेशक,  चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति और कोटद्वार एसडीएम को भी अवगत करा दिया है। उनकी ओर से जांच व कार्रवाई का आश्वासन मिला है।

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