प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है : उमाकांत पंत

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ऋषिकेश :  आवास विकास स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के विवेकानंद योग सभागार में बुधवार को   रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती का  कार्यक्रम बड़े  उत्साहपूर्वक मनाया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ रवीन्द्रनाथ टैगोर के चित्र के समक्ष विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाकांत पंत एवं उप प्रधानाचार्य नागेन्द्र पोखरियाल व एन. एस .एस कार्यक्रम अधिकारी रामगोपाल रतूड़ी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने भी  रवींद्रनाथ टैगोर के  जीवन के बारे में प्रकाश डाला व अपने विचार रखे।कार्यक्रम में छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए अध्यापिका मीनाक्षी उनियाल ने बताया कि रविंद्रनाथ टैगोर एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी महान कवि, साहित्यकार, दार्शनिक, संगीतकार, चित्रकार और शिक्षाविद् थे. वे भारतीय साहित्य के महानतम लेखकों में से एक थे, जिन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था. उनकी रचनाएं, विशेषकर “गीतांजलि”, विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं।
 कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाकांत पंत ने छात्र छात्राओं को रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में बताते हुए कहा है कि,रविन्द्र नाथ टैगोर की जयंती हर साल 7 मई को मनाई जाती है, क्योंकि उनका जन्म 7 मई, 1861 को हुआ था. बंगाली कैलेंडर के अनुसार, यह दिवस “पोइला बोइशाख” के आसपास मनाया जाता है, जो 8 या 9 मई को ग्रेगोरियन कैलेंडर में आता है वह राष्ट्रगान के रचयिता, महान दार्शनिक व साहित्यकार, विश्व विख्यात कवि व नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रबिंद्रानाथ टैगोर ऐसे  व्यक्तित्व थे। किसी भी व्‍यक्ति का “प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है.” महान दार्शनिक रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जीवन के अर्थ को बहुत ही सरल शब्‍दों में समझाया है. उन्‍होंने कहा है कि, “मौत प्रकाश को खत्म करना नहीं है; ये सिर्फ भोर होने पर दीपक बुझाना है।वहीं केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जारी सूचना को छात्र छात्राओं व  अध्यापकों को आत्मरक्षा हेतु मॉक ड्रिल को प्रोजेक्टर के माध्यम से सूक्ष्म वीडियो दिखाई गई जिससे आम नागरिक विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सकें।इस मौके पर नरेन्द्र खुराना, कर्णपाल बिष्ट,रीना पाटिल,आनंद मणि डबराल,आरती बडोनी,यशोदा भारद्वाज एवं अन्य अध्यापकगण आदि मौजूद रहे।

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