चार धाम यात्रा के लिए चुस्त पशुपालन विभाग…श्रीनगर में हो रही है घोड़े-खच्चरों की जांच


- चार धाम यात्रा के लिए चुस्त पशुपालन विभाग
- मुख्यमंत्री व पशुपालन मंत्री के निर्देश पर घोड़े-खच्चरों की हो रही सघन जां
- श्रीनगर स्थित रोग अनुसंधान केंद्र में रोजाना हो रही नमूनों की जांच


इसे देखते हुए प्रदेश सरकार के निर्देश पर पशुपालन विभाग विभिन्न स्थानों पर स्थापित बैरियर्स पर घोड़े-खच्चरों के रक्त के नमूने ले रहा है। इन नमूनों को जांच के लिए पौड़ी जिले के श्रीनगर स्थित रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। अपर निदेशक गढ़वाल, पशुपालन विभाग डॉ. भूपेंद्र जंगपांगी ने बताया कि पहले नमूनों को जांच के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार भेजा जाता था। लेकिन अब यह सुविधा उत्तराखंड में ही उपलब्ध हो रही है। उन्होंने बताया कि चार धाम यात्रा को देखते हुए लैब में युद्धस्तर पर सीरम सैंपल की जांच की जा रही है। सहयोग के लिए एनआरसीई के दो विशेषज्ञ जांच में सहयोग कर रहे हैं। लैब में बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून सहित अन्य जिलों से नमूने आ रहे हैं। लैब में जांच हेत 5,662 नमूने आए हैं। इनमें से 3,392 नमूनों की जांच की जा चुकी है। यदि कोई नमूना संदिग्ध संक्रमित निकलता है, तो इसको पुष्टि के लिए रिपीट सैंपल एनआरईसी भेजा जाएगा। यदि किसी भी ग्लैंडर्स की दुबारा पुष्टि होती है, तो उसे इच्छामृत्यु दी जानी पडे़गी। वहीं, ईआई संक्रमण पाए जाने पर बीमार पशु को अन्य से अलग (क्वांरटीन) कर दिया जाएगा। 14 दिन बाद उसकी पुन: जांच होगी, स्वस्थ होने पर उसका यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन होगा।
—-प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में हो रही जांच
श्रीनगर स्थित रोग अनुसंधान संस्थान में संयुक्त निदेशक डॉ. अशोक रेड्डी की देखरेख में प्रतिदिन हजारों की संख्या में नमूनों की जांच हो रही है। लैब में ग्लैंडर्स के एक हजार नमूनों और ईआई के 750 नमूनों की जांच की क्षमता है। डॉ. जंगपांगी ने बताया कि यदि कोई नमूना जांच में पॉजिटिव निकलता है, तो संबंधित जिले को तत्काल सूचना भेजी जाएगी, ताकि समय पर बचाव कार्य हो सके।