ऋषिकेश : विहान ड्रामा वर्क्स की प्रस्तुति “गाँधी गाथा” ने बटोरी तालियां

ऋषिकेश के पास तपोवन इलाके में गाँधी गाथा का सफल मंचन किय गया रविवार को. यह प्रस्तुति थी विहान ड्रामा वर्क्स, भोपाल की तरफ थी. जिसने न केवल प्रभाव छोड़ा वहां पर दर्शकों पर,बल्कि तालियां भी बटोरी. शानदार अभिनय से. युवा कलाकारों को एक मंच मिला अपनी प्रतिभा दिखाने का. नाटक का मंचन कुछ इस तरह रहा अगर स्क्रिप्ट वाईज बात करें तो-
1. गीत गाते हुए मंच पर सुनायी गयी गाँधी की गाथा।
2. क़िस्सा गोई और गीत-संगीत के सामंजस्य का नया प्रयोग विहान का ‘गाँधी गाथा’
3. विहान का मंच पर नव प्रयोग कथा और गायन शैली में ‘गाँधी गाथा’
प्रस्तुति की शैली के बारे में :
गांधी गाथा एक ऐसी संगीतमय प्रस्तुति है जिसमें गांधीजी के बचपन से उनके महानिर्वाण तक की जीवन यात्रा संजोई गई है। यह प्रस्तुति क़िस्सागोई भी है, संगीत रूपक भी। मंच पर उपस्थित कलाकार गांधीजी की जीवन यात्रा कथा रूप में सुनाते भी हैं, उस यात्रा को गीतों में भी प्रस्तुत करते हैं तथा विभिन्न चरित्रों का अभिनय भी करते हैं। इस तरह यह प्रस्तुति बापू के महान उत्सर्ग के प्रति हमारी भावांजलि है।
प्रस्तुति की दृश्यावली :
1. कथा गीत के साथ गाँधी जी की चरित-गाथा गाने से शुरू होती है। तथा फिर दृश्य और गाथा गाँधी जी के बचपन पर पहुँचती है। जहाँ गाँधी एक बालक के रूप में हैं। जिस बालक को उसकी माँ ‘मोनिया’ कहकर बुलाती है।
2. इसके आगे गाथा वहाँ पहुँचती है जहाँ बालक मोनिया (मोहन) अपने गाँव में आयी एक नाटक मंडली का नाटक ‘सत्यवादी राजा हरीशचंद्र’ का मंचन देख लेता है। फिर तब ही से वो सत्य का हाथ थाम लेता है।
3. इसके बाद फिर गाँधी के England जाने के निर्णय वाला दृश्य है जिसमें पूरा समाज उनके विदेश जाने के ख़िलाफ़ हो जाता है।
4. आगे जो दृश्य खुलता है उसमें मोहनदास वकालत पढ़कर भारत लौट आते हैं। फिर उन्हें साउथ अफ़्रीका से एक केस लड़ने का न्योता आता है। और वो चल देते हैं साउथ अफ़्रीका।
5. आने वाले दृश्य में अफ़्रीका में मोहनदास भारतीयों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को देखते हैं। साथ ही उनके साथ एक बड़ी अपमानजनक घटना रेलगाड़ी के डिब्बे में घट जाती है। जहाँ फ़र्स्ट क्लास के कम्पार्ट्मेंट से उन्हें धकेल कर बाहर कर दिया जाता है।
6. मोहनदास के आत्मसम्मान पर चोट लगती है। और वो साउथ अफ़्रीका में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ सत्याग्रह से लड़ने लगते हैं।
7. आगे चलकर गोपाल कृष्ण गोखले जी के आग्रह पर मोहनदास भारत लौटते हैं और भारत देश को घूमने और जानने निकलते हैं। पूरा देश घूम कर देश को समझते हैं।
8. आगे के दृश्यों में भारत में आज़ादी के आंदोलन, नामक सत्याग्रह, जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड, चंपारण, चरखा और खादी का प्रयोग तथा विदेशी कपड़ों की होली जैसे महत्वपूर्ण प्रसंग आते हैं।
9. देश आज़ादी तक पहुँचता है। गाँधी जी बंगाल के नोआखली में दंगों को रोकने पहुँच जाते हैं। और वहाँ अपनी प्रार्थना सभा करते हैं।
10. गाँधी जी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ गूंजता है।
प्रस्तुति में गाये गए ये गीत :
1. गांधी बाबा के चरित तुम सुन लो रे
2. रघुकुल रीति सदा चली आई
3. साउथ अफ्रीका ये है साउथ अफ्रीका
4. माँ खादी की चादर दे दे मैं गांधी बन जाऊंगा
5. देश घूमने निकले गांधी
6. गांधी बाबा के पीछे चल पड़ा रे सारा देश
7. ओ अन्नदाता उठो जागो
8. लहू लुहान हुआ हिंदुस्तान
9. चरखा चले
10. वैष्णव जन तो तेने कहिए (पारंपरिक) + कैसा संत हमारा गांधी (कविता)
11. वैष्णव जन + रोक दो लड़ना मारना
गांधी गाथा के बारे में :
महात्मा गांधी अर्थात एक विराट व्यक्तित्व। भारत के स्वाधीनता आंदोलन में गांधीजी ही एकमात्र ऐसे नेता रहे जिन्होंने पूरे देश को एक सूत्र में पिरो दिया था। उन्होंने सत्य और अहिंसा के दम पर दमनकारी ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंका। उनकी आवाज़ समूचे देश के जन-जन के लिए स्वतंत्रता का मंत्र बन गई थी। वे केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, उत्कृष्ट कोटि के चिंतक और विचारक भी थे। मानव जीवन को आत्मनिर्भर, विमुक्त और आनंदित रहने के लिए वे सतत क्रियाशील रहे। वर्तमान भारत की बुनियाद में गांधीजी के विचार आज भी स्पंदित हो रहे हैं।
गांधी गाथा एक ऐसी संगीतमय प्रस्तुति है जिसमें गांधीजी के बचपन से उनके महानिर्वाण तक की जीवन यात्रा संजोई गई है। यह प्रस्तुति क़िस्सागोई भी है, संगीत रूपक भी। मंच पर उपस्थित कलाकार गांधीजी की जीवन यात्रा कथा रूप में सुनाते भी हैं, उस यात्रा को गीतों में भी प्रस्तुत करते हैं तथा विभिन्न चरित्रों का अभिनय भी करते हैं। इस तरह यह प्रस्तुति बापू के महान उत्सर्ग के प्रति हमारी भावांजलि है।
निर्देशकीय :
एक पुरानी इच्छा थी कि गांधी के बारे में बात करनी है। आज के समय में गांधी के बारे में यूँ तो सब ही बात कर रहे हैं, शायद ही कुछ ऐसा होगा जो दुनिया उनके बारे में नहीं जानती। पर गांधी में कुछ ऐसा जादू लगता है कि हर व्यक्ति उन्हें अलग-अलग दृष्टि से देख सकता है। असंख्य आचार-विचार, व्यवहार, आदतें और ना जाने क्या-क्या है जो उनसे सीखा जा सकता है, अपने-अपने तरीक़े से। अब जबकि मैं अपने गांधी की बात करना चाहता हूँ ऐसे समय में यहाँ मेरे देश के युवाओं को गांधी जैसे उदाहरण की सचमुच ज़रूरत है, तो मैं ने वही तरीक़ा चुना जो मेरे मन के और मेरी कला-परिकल्पना के भी बहुत क़रीब है – संगीत। और मेरे ही क्यूँ, संगीत खुद गांधी के कितने क़रीब था, यह ज़ाहिर बात है। पर एक निर्देशक के रूप में मेरे सामने सवाल था कि वह संगीत क्या हो? अपने युवा दर्शक को जोड़ने में विहान के म्यूज़िक बैंड ‘मार्गी’ का साथ हमेशा रहा है। जिस तरह के संगीत की यात्रा हम ‘मार्गी’ के साथ कर रहें हैं, उसने हमें युवा श्रोता और दर्शक को समझने में बहुत मदद की है। इसी के माध्यम से मैंने और मेरी टीम ने ‘गांधी’ को भी खोजने और बनाने की कोशिश की। ‘गांधी’ में संगीत और स्टोरी-टेलिंग साथ-साथ चलती है। और इस प्रयोग में दरसल बैंड का वह संगीत है जिसमें आज के युवा तक अपनी बात पहुँचाने की ध्वनि। इसलिए मैं ‘गांधी’ को नाटक से ज़्यादा एक प्रयोग कहूँगा। प्रयोग, जिस पर गांधी का भी उतना ही विश्वास रहा है जितना मेरा है। ‘गांधी’ के साथ मेरा सरोकार कुछ ऐसा ही रहा है।
प्रस्तुति में मंच पर कलाकार :
श्वेता केतकर
तेजस्विता अनंत
दर्शना राठौर
ज्योति नगारी
पूर्णिमा दत्ता
पूर्वा सुदेश नगारी
ऐश्वर्या झा
जान्हवी जिलवाने
श्रीजा दीक्षित
कृतिका सिंह
इशिता दधीच
हेमन्त देवलेकर
अंकित पारोचे
शुभम कटियार
अंश जोशी
रुद्राक्ष भायरे
स्नेह विश्वकर्मा
निरंजन कार्तिक
गौरव सिंह
रूपेश शर्मा
दीपक यादव
अमित मिश्रा
नीरज परमार
प्रस्तुति में मंच परे कलाकार :
कला परिकल्पना एवं वस्त्र विन्यास : श्वेता केतकर
गीत लेखन व संगीत निर्देशन : हेमंत देवलेकर
लेखन, परिकल्पना एवं निर्देशन : सौरभ अनंत
प्रस्तुति : विहान ड्रामा वर्क्स, भोपाल