ऋषिकेश : स्वामी शंकर तिलक महाराज का “संन्यास दीक्षा समृति महोत्सव” मनाया गया, अपने गुरु की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं महाराज
Rishikesh: Se celebró el Sannyasa Deeksha Smriti Mahotsav de Swami Shankar Tilak Maharaj, Maharaj continúa la tradición de su Guru.

ऋषिकेश ; स्वामी शंकर तिलक जी महाराज को आज पचास वर्ष हो गए हैं जब उनका आज के ही दिन यानी (24 मार्च) को उपनयन संस्कार हुआ था. आज का ही दिन था, वह जब गुरु जी से सनातन धर्म की दीक्षा ली थी. रविवार को इस अवसर पर कई महामंडलेश्वर, संत, महात्मा व् अनेक देशों से आये हुए उनके शिष्यों ने उपस्थित हो कर उनको स्वागत और अभिनंदन किया. इस अवसर पर साथ ही अन्य लोगों ने उनको बधाई और शुभकामनायें दी. इस अवसर पर स्वामी शंकर तिलक महाराज के संन्यास दीक्षा समृति महोत्सव के दौरान संतों ने कहा वे अपने गुरु की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं. उनसे आज के युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए. राम झूला के पास वैदिक फाउंडेशन हिमालय योगालय आश्रम में स्वामी जी की शिष्या स्वतंत्रा चैतन्य ने बताया, आज के ही दिन 24 मार्च को हमारे आदरणीय श्री पूज्य स्वामी शंकरतिलक सरस्वती ने अपना उपनयन संस्कार करवाया और औपचारिक रूप से एक हिंदू के रूप में अपने प्रारब्ध कर्म को अपनाया… पहली बार गायत्री मंत्र, चार वेदों के पहले छंद का पाठ किया। पवित्र धागा (यज्ञोपवीत) प्राप्त किया और तब से उन्होंने हमारे प्रिय सनातन धर्म के लिए लगातार संघर्ष किया है। उन्होंने पूरे विश्व में जिसमें यूरोप और दक्षिण अमेरिका के साथ-साथ भारत जहां उनका मुख्य आश्रम / निवास मुनि की रेती, ऋषिकेष में है, में 15,000 से अधिक लोगों को उपनयन संस्कार के माध्यम से सनातन धर्साम के साधकों को हमारी परंपरा में शामिल किया है। स्वामी जी उसी गुरु की परंपरा और शिक्षण को कायम रखते हैं, जैसा कि आदरणीय श्री स्वामी शिवानंद ने किया था। महाराज का जन्म स्पेन में हुआ था, लेकिन 1976 में अपने पूज्य गुरुदेव श्री स्वामी तिलक परमहंस के हाथों पहली बार भारत आने के बाद से वे भारतीय सोच के साथ जुड़ गए फिर यही के हो गए. इस अवसर पर उनके शिष्यों में जो मौजूद रहे आश्रम में उनके नाम हैं –
1. स्वयं —- पूज्य स्वामी शंकरतिलक सरस्वती महाराज (स्पेन, गुरुदेव, अध्यक्ष वैदिक फाउंडेशन ऑफ हिमालय, योगालय आश्रम)
2. गुरु स्वतंत्रा चैतन्य (स्पेन, उत्तराअधिकारी और हिमालय के वैदिक फाउंडेशन की महासचिव, योगालय आश्रम)
3. स्वामी अद्वयानंद सरस्वती (स्पेन, 40 वर्ष से गुरुदेव के शिष्य)
4. गौरी शास्ति चैतन्य माता (जापान)
5. आरती चैतन्य (फ्रांस)
6. दर्शनी दुर्गा चैतन्य (जर्मनी)
7.भैरवी महाकाली उपासिका (इटली)
8. तुम्रया उपासाकी (नीदरलैंड्स)
इस मौके पर महामंडलेश्वर और अन्य संतों ने कहा कि आज के परिवेश में स्वामी शंकर तिलक महाराज द्वारा अपने गुरु की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं गुरु और शिष्य का प्रेम देखकर सभी साधकों को अपने गुरु से सीखना चाहिए जहां हम लोग भौतिकता में होते जा रहे हैं और नशा की ओर अपने को डाल रहे हैं।
गुरुदेव से मिलने आये विशेष अतिथि उनके नाम हैं –
– महामंडलेश्वर ऋषिश्वरानंद महाराज (हरिद्वार)
– दुर्गा दास जी महाराज (हरिद्वार)
– महामंडलेश्वर अरुण दास महाराज (हरिद्वार)
– महामंडलेश्वर दया राम (ऋषिकेश)
– महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज (ऋषिकेश)
– स्वामी कामेश्वर पुरी महंत (हरिद्वार)
– योगी आशुतोष महाराज (ऋषिकेश)
-योगी गोविंद दास (हरिद्वार)
-महंत रवि प्रप्रन्नाचार्य महाराज (ऋषिकेश)