ऋषिकेश : UKD प्रत्याशी मोहन सिंह असवाल के ‘अरसों’ ने घोली ‘राजनीतिक तनातनी’ के बीच मिठास, हर कोई ऐसे हुआ मुरीद
मनोज रौतेला की रिपोर्ट :
ऋषिकेश : प्रदेश में विधानसभा चुनाव का माहौल पूरे चढ़ाव पर है. शनिवार को अंतिम दिन था प्रत्याशियों के प्रचार का. शाम को प्रचार बंद हो गया. अब वोटिंग होगी 14 फ़रवरी को सम्पूर्ण राज्य में है पहले फेज में. ऐसे में तीर्थनगरी ऋषिकेश में एक शानदार वाकिया देखने को मिला. आज प्रचार के अंतिम दिन जब सभी प्रत्याशी अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे शहर में आकर, ऐसे में एक प्रत्याशी UKD का ऐसा भी था जो इन सब से अलग सादगी से प्रचार-प्रसार कर रहा था. लेकिन उसी प्रक्रिया में उसने अपने कार्यकर्ताओं के लिए ‘अरसे’ बना के रखे हुए थे. डब्बों में अपनी फोटो और नाम और चुनाव चिन्ह छापा हुआ था. उस बॉक्स के अंदर 2 ‘अरसे’ रखे हुए थे.
आपको बता दें, अरसे गढ़वाल क्षेत्र की घरेलू मिठाई है जो शुभ कार्यों के वक्त बनाई जाती है. ऐसे में जब हमने उनसे पूछा ऐसा आईडिया कहाँ से आया ? तो असवाल का कहना था उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) क्षेत्रीय दल है और हम अपने क्षेत्र और संस्कृति की बात करते हैं. इसलिए हमारा जो खान- पान है उसको हम आगे रखते हैं. अरसे हमने अपने कार्यकर्ताओं के लिए बनाये हुए हैं प्रचार के लिए फील्ड पर जाते हैं इसलिए उनको देते हैं. ऐसे में ब्यंजन का भी लोगों को पता चलता है. जो लोग खास तौर पर बाहर के रहने वाले हैं. ऐसे में एक महिला एम्स में उपचार के लिए आयी हुई थी बरेली से, उसको भी यह डिब्बा मिला तो उसने भी चखा तो बोली मजेदार चीज है यह तो. अच्छा लगा हमें खा कर भैया…उन नेता ई रिक्शा से जाई रही उन्होंने दिया, हमने भी लेइ लिया. अन्य दलों के कार्यकर्ता भी अरसे का स्वाद चखते नजर आये-
ऐसे में शहर में आज जो उनसे मिल रहा था चाहे वो पर्यटक, श्रद्धालु या स्थानीय या अन्य दलों के कार्यकर्ता थे, वे सब लोग अरसे का स्वाद चख रहे थे. भाजपा और कॉंग्रेस्सस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी शहर में घूम रहे थे वे भी अरसे का स्वाद चखते नजर आये. भाजपा का एक कार्यकर्ता एक कोने पर पेड़ के नीच खाता पाया पूछा तो बोले भैया हमने देखिये, डिब्बा तो फेंक दिया लेकिन अरसा हाथ में ले लिया. हम तो समर्पित कार्यकर्ता हैं पार्टी के. अरसा तो हमारी सबकी डिश हुई न ? वहीँ कांग्रेस वाले और आप के कार्यकर्ता भी कई अरसे खाते पाए गए. रानजीतिक तनातनी के बीच अरसे ने मिठास घोल दी. असवाल के आईडिया के सभी तारीफ कर रहे थे. चुनाव में अरसा खाने को मिल जाए तो क्या कहने…..? लेकिन कई मधुमेह (डायबेटिक्स) वाले लोग टेढ़ी नजर से भी देखते नजर आये अर्सों को. खाये तो पछताए ना खाये तो पछताए. लेकिन अरसे ने माहौल में मिठास घोल दी.
क्या होता है अरसा और कैसे बनाया जाती है यह डिश-
दरअसल, यह बेहद खास मौके पर बनाई जाती है उत्तराखंड की ये मिठाई, जैसे कुमाऊं की खास तौर पर अल्मोड़ा की फेमस बाल मिठाई है तो गढ़वाल में अरसे प्रसिद्द हैं. अरसा उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र की एक प्रसिद्ध स्वीट डिश है। जो हर शुभ समारोह पर एक वापसी उपहार के रूप में मेहमानों को दी जाती है। इसको बनाने की विधि पर अगर गौर करें तो.
ये आइटम आप बाजार से ला सकते हैं-
भीगे चावल 250 ग्राम
तिल 1/2 टी स्पून
नारियल का बूरा 2 कप
किशमिश 3/4 टी स्पून
पानी 1½ कप
गुड़ 100 ग्राम
सौंफ 2/3 टी स्पून
तेल या रिफाइंड आवश्यकतानुसार प्रयोग में ला सकते हैं.

ऐसे बनाया जाता है अरसा-
सबसे पहले चावल को कम से 6 घंटे पहले भिगोकर अलग रख दें। 6 घंटे बाद चावलों को पीस लें। पिसे चावल को आटे की तरह साफ छानकर अलग रख लें। अब मीडियम आंच पर एक गहरा पैन चढ़ाएं और गुड़ की दो तार की चाश्नी बनाएं। गुड़ के इस घोल को अच्छे से पकाएं, ध्यान रखें कि गुड़ जलने न पाए। गुड़ के घोल में अब पिसा हुआ चावल का आटा मिलाना है। घोल को एक हाथ से चलाते रहे हैं और उसमें धीरे-धीरे चावल का आटा डालें। ध्यान रखें इसमें गुठली नहीं बननी चाहिए। जायका बढ़ाने के लिए इसमें सौंफ, नारियल का बूरा, किशमिश और तिल भी मिलाएं। फिर इसे ठंडा करने के लिए किसी बर्तन में निकालकर अलग रख दें।ध्यान रहे एक एक स्टेप बड़े गौर से करें और थोड़ी से गड़बड़ी अरसा को फेल कर सकती है. उसके बाद धीमी आंच में एक पैन में तेल गर्म करने के लिए रखें। गर्म तेल में ठंडा हो चुके मिश्रण से छोटी-छोटी लोइयां बनाकर पकोड़ी की तरह गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें। जब इनका रंग सुनहरा भूरा हो जाए तो उन्हें तेल से निकाल लें। उसके बाद, आपकी स्वीट डिश अरसा तैयार है। गर्म के बजाये ठंडी कर के खाएं.