१० दिन पहले सगाई कर लौटा था ड्यूटी पर शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव, परिवार में मातम
देश ने एक जांबाज फाइटर पायलट खो दिया, सैल्यूट है ऐसे जांबाज को


रेवाड़ी : हरियाणा का लाल हुआ शहीद. उम्र 28 साल, परिवार का इकलौता बेटा, 10 दिन पहले सगाई हुई घर आया था छुट्टी पर. घर में , शादी की तैयारी चल रही थी. इस बीच शहीद होने का समाचार मिला…मानो जैसे परिवार के लिए जिंदगी ख़त्म हो गयी. हम बात कर रहेया हैं सिद्दार्थ यादव की. आपको बता दें, बुधवार रात गुजरात के जामनगर में क्रैश हुए फाइटर प्लेन जगुआर के शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की. सिद्धार्थ यादव हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले थे. सिद्धार्थ के परिवार में अभी उनकी शादी की तैयारियां चल ही रही थी कि बुधवार को उनके शहीद होने की खबर सामने आई. सिद्धार्थ के परिजनों और स्थानीय लोगों ने बताया कि 23 मार्च को उसकी सगाई हुई थी. 31 मार्च को वे रेवाड़ी से छुट्टी पूरी कर जामनगर एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे थे. दो दिन बाद ही हादसे की खबर आ गयी. देश ने एक जांबाज पायलट खो दिया है.
सिद्धार्थ यादव के पिता सुशील यादव भी एयर फ़ोर्स कर्मी थे. उन्हूने कहा, “कल रात करीब 11 बजे कमांडिंग एयर ऑफिसर ने हमें घटना की जानकारी दी कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है, एक पायलट को बचा लिया गया है और दूसरा पायलट, हमारा बेटा, मर गया है. यह यादव परिवार चार पीढ़ी से देश सेवा कर रहा है सेना में रह कर. सुशील यादव ने आगे बताया कि 23 मार्च को उसकी सगाई हुई थी. जनवरी 2016 में उसने एनडीए कोर्स 135 में दाखिला लिया था. वह एक मेधावी छात्र था. हमें हमेशा उस पर गर्व था. मेरे पिता और दादा सेना में थे. मैं भी वायुसेना में था. मुझे उस पर बहुत गर्व है, उसने एक जान बचाते हुए अपनी जान गंवा दी. लेकिन यह दुख की बात भी है क्योंकि वह मेरा इकलौता बेटा था.” सिद्धार्थ रेवाड़ी के भालखी माजरा गांव के रहने वाले थे. हालांकि कुछ साल पहले ही उनके पिता ने रेवाड़ा सेक्टर 18 में घर बनाया था. अभी उनके परिजन रेवाड़ी सेक्टर 18 में रहते हैं. सिद्धार्थ की एक छोटी बहन है. बताया गया कि शहीद का उनके पैतृक गांव भालखी-माजरा में अंतिम संस्कार किया जाएगा. सगाई की छुट्टी से वापस लौट कर सिद्धार्थ 2 अप्रैल को रूटीन सॉर्टी के लिए जगुआर विमान लेकर निकले थे. उनके साथ अन्य साथी मनोज कुमार सिंह भी थे. इसी दौरान विमान में कुछ खराबी आ गई. इसके बाद फाइटर प्लेन को सही तरीके से लैंड करने की कई कोशिश की गई, लेकिन सभी नाकाम हुई. इसके बाद भी अपनी जान की परवाह किए बगैर सिद्धार्थ ने साथी को इजेक्ट कराया. फिर विमान घनी आबादी वाले इलाके में न गिरे इसीलिए प्लेन में ही रहे. विमान को घनी आबादी से दूर लेकर गए. जहां प्लेन क्रैश कर गया. इस हादसे में किसी और तो कुछ नुकसान नहीं हुआ लेकिन सेना के समर्पित परिवार ने अपने परिवार का इकलौता चिराग खो दिया.