नुकसान दायक है एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक उपयोग, एम्स ऋषिकेश में विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह शुरू

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  •  सामाजिक स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता, लेना होगा संकल्प
एम्स में मंगलवार को विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह के आयोजन में चिकित्सा विशेषज्ञों ने बिना चिकित्सीय परामर्श के एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते उपयोग पर गहरी चिंता जतायी। स्वास्थ्य की दृष्टि से इसे जोखिम भरा बताते हुए विशेषज्ञों ने कहा इस मामले में आम जन समुदाय को जागरूक होकर इन दवाओं के अनावश्यक उपयोग से बचना होगा।
एम्स ऋषिकेश में मंगलवार से विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरुकता सप्ताह (वाॅव 2025) का विधिवत शुभारंभ हो गया। सप्ताहभर तक चलने वाले इस जागरुकता अभियान का उद्देश्य शरीर में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (ए.एम.आर) के प्रति जनसामान्य में जागरूकता पैदा करना  है। बतौर मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने सप्ताह व्यापी इस मुहिम का उद्घाटन करते हुए कहा कि बिना किसी ठोस वजह के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने से लोगों के शरीर में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस विकसित हो रहा है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक दवाओं का शरीर में अनुकूल प्रभाव नहीं पड़ता है और स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से रोगी को इसका नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि बिना चिकित्सीय सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन कतई न किया जाय। प्रो. मीनू सिंह ने (ए.एम.आर) के प्रति जागरुकता बढ़ाने के मामले में हेल्थ केयर वर्करों की अहम भूमिका बताई। उन्होंने सभी स्वास्थ्यकर्मियों से एंटीमाइक्रोबियल प्रबंधन और निदान हेतु बेहतर सिस्टम को अपनाने की अपील की, ताकि प्रतिरोधी संक्रमणों के प्रसार को रोका जा सके।
डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने एंटीबायोटिक दवाओं का आवश्यकतानुसार उपयोग करने और ए.एम.आर के प्रति जागरूकता हेतु सामुदायिक स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति को इस मुहिम में शामिल करने की बात कही। जबकि चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री ने मुहिम को सफल बनाने के लिए सभी विभागों और प्रत्येक हेल्थ केयर वर्कर के योगदान की जरूरत बतायी। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डाॅ. पीके पांडा ने सप्ताह व्यापी इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुसार इस मुहिम में स्कूली बच्चों, जन समुदाय, चिकित्सकों, नर्सिंग अधिकारियों और प्रत्येक हेल्थ केयर वर्करों को शामिल किया गया है। कहा कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को ए.एम.आर के प्रति जागरूक करना इसका उद्देश्य है।
कार्यक्रम को मेडिसिन विभाग के हेड प्रो. रविकांत, फाॅमोकोलोजी के डाॅ. अंबर प्रसाद, नर्सिंग फेकल्टी मनीष कुमार शर्मा सहित अन्य ने भी संबोधित किया। साप्ताहिक अभियान के पहले दिन एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) पर एक कार्यशाला भी आयोजित की गई। कार्यशाला में (एएमआर) के प्रभाव, प्रभावी एंटीमाइक्रोबियल प्रबंधन की रणनीतियों और एंटीबायोटिक्स के गलत उपयोग को रोकने के लिए चर्चा कर विभिन्न प्रस्तुतियां दी गयीं। इस दौरान सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने एंटीमाइक्रोबियल्स के विवेकपूर्ण उपयोग का सामुहिक संकल्प लिया।
इस अवसर पर डीन रिसर्च प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू, सीएफएम विभाग की हेड डॉ. वर्तिका सक्सेना, डाॅ. रोहित शर्मा, डाॅ. अमित त्यागी, डाॅ. अनीश गुप्ता, डाॅ. इतिश पटनायक, डाॅ. महेन्द्र सिंह, डाॅ. अम्बर प्रसाद, डाॅ. सौजन्या सहित मुख्य नर्सिंग अधिकारी डाॅ. अनिता रानी कंसल, नर्सिंग फेकल्टी डाॅ. मनीष शर्मा, डाॅ. राखी मिश्रा, वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष और सूचना अधिकारी संदीप कुमार सिंह सहित विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, एसआर, जेआर, डीएनएस, एएनएस तथा नर्सिंग अधिकारी मौजूद रहे।

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