ऋषिकेश : गढ़वाल का प्रमुख त्यौहार “बग्वाल” के रूप में मनाया गया कुछ इस तरह से नेगी परिवार ने, जानिए

ऋषिकेश :अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास करना और उसको प्रक्रिया के तहत जीना आजकल के समय में सबसे विकट चुनौती है। लेकिन इच्छाशक्ति हो तो संभव है । डॉ राजे सिंह नेगी का परिवार उसी चुनौती से आज भी लड़ रहा है। जो समाज के लिए मिशाल है। अपने रीति, नीति, संस्कार, लोक पर्व को आज भी यह परिवार सिद्द्त से मनाता है। गौ माता की पूजा कर लगाया पकवानों का लगाया भोग, नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी दिवाली पर्व को गढ़वाल के प्रमुख त्योहार बग्वाल के रूप में मनाया गया। नगर के साथ ही उससे सटे तमाम ग्रामीण क्षेत्रो में सुबह से ही पर्व की तैयारियां शुरू हो गयी थी।
शनिवार को लोगों ने घरों में अपनी गायों को नहलाकर उनकी पूजा अर्चना कर उन्हें मंडवे और चावल से बने पकवानों (बाड़ी) का भोग लगाया गया। साथ ही गाय माता के सिंग में सरसों का तेल लगाकर फूल मालाओं से सजाया। उग्रसेन नगर निवासी अंतर्राष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के संस्थापक अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने बताया कि पहाड़ में छोटी दिवाली को बग्वाल पर्व और दिवाली की ठीक 11 दिन बाद इगास बग्वाल पर्व के रूप में मनाया जाता है। डॉ नेगी ने बताया कि इस दिन रक्षाबंधन पर हाथ पर बंधे रक्षासूत्र को गाय के बछड़े की पूंछ पर बांधकर मन्नत पूरी होने के लिए आशीर्वाद भी मांगा जाता है। डॉ नेगी ने कहा कि ये तीज त्यौहार हमारी संस्कृति की असल धरोहर है इनके संरक्षण एवं संवर्धन हेतु इन्हें लगातार मनाए जाते रहने की आवश्यकता है।
पहाड़ में बग्वाल और गोवर्धन पूजा दोनों ही दिन गाय माता की पूजा और उनको पूरी- पकोड़े, स्वाले, चावल और मंडवे से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है। ड़ॉ नेगी ने सभी लोगो से इको फ्रेंडली दिवाली मनाए जाने की अपील करते हुवे कहा कि बहुत बड़े साइज के आतिशबाजी वाले पटाखों के कारण वातावरण में ध्वनि एवं वायु प्रदुषण को बढ़ावा मिलता है साथ ही यह दुर्घटनाओं का कारण भी बन जाता है। उन्होंने एक दिया सीमा पर हम सब की रक्षा हेतु तैनात जवानों की खुशहाली के नाम जलाए जाने की भी अपील की।