ऋषिकेश : त्रिदंडी श्रीमननारायण रामानुज जीयर स्वामी पधारे ऋषिकेश, श्री भरत मंदिर में किये दर्शन
नेशनल वाणी डेस्कSeptember 17, 2024
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श्री भरत मंदिर के भरत संस्कृत महाविद्यालय के ऋषिकुमारों ने वेदमंत्रों से किया स्वागत स्वामी जी का
स्वामी जी श्री बदरीनाथ धाम से लौटते वक्त पहुंचे पधारे थे ऋषिकेश
ऋषिकेश : त्रिदंडी श्रीमन नारायण रामानुज स्वामी जियर स्वामी जिन्हें चिन्न जीयर स्वामी के नाम से भी जाना जाता है । स्वामी जी मंगलवार को श्री बद्रीनाथ धाम से दर्शन करने के बाद ऋषिकेश पहुंचे थे ।यहां पर उन्होंने श्री भरत मंदिर में हरिषिकेश नारायण भरत भगवान के दर्शन किए ।उसके बाद सीधे हैदराबाद के लिए निकल गए। इस दौरान तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रधानाचार्य महाराज ने बताया कि भरत मंदिर के वर्तमान महंत वत्सल प्रपंचाचार्य महाराज द्वारा उत्तरी व पुष्पाहार पहनाकार और भरत भगवान का स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत अभिनंदन किया और आशीर्वाद ग्रहण किया. उनको पौराणिक पांचवी सदी के शिलालेख भी दिखाएं और साथ ही यहां जानकारी दी वहां पर जो भी प्राचीन मूर्तियाँ म्यूजियम हैं. उनमें जो चीज रखी गई हैं, पुरानी जो मूर्तियां निकली हुई है खुदाई के दौरान और श्री भरत मंदिर के पौराणिक महत्व को भी पूरा अवलोकन करवाया गया.
इस दौरान स्वामी जी ने उनको हैदराबाद आने के लिए भी आमंत्रित किया साथ ही कहा युवा संत समाज अगर पौराणिक स्मृतियों को और उसके महत्व को समझ रहे हैं और उनका संरक्षण कर रहे हैं और आगे आ रहे हैं और धरोहर को सहेज कर रख रहे हैं तो यह हमारे लिए एक शुभ संकेत है। इस दौरान उन्होंने ऋषि कुमारों से भी वार्ता की और उनसे पूछा वेदों के बारे में और जो अन्य धार्मिक ग्रंथ है उनके बारे में भी उन्हूने उनसे चर्चा की।स्वामी जी एक घंटा लगभग अपना समय यहां पर देने के बाद वह वापस हैदराबाद के लिए एयरपोर्ट के लिए निकल गए।इस दौरान उनके साथ में वत्सल प्रपन्नाचार्य महाराज, वरुण शर्मा, हर्षवर्धन शर्मा, भास्कर आदि लोग मौजूद रहे।
स्वामी जी के बारे में संशिप्त में जानकारी –
वर्तमान समय में हुए श्री वैष्णव संप्रदाय के प्रचारक और दक्षिण भारतीय संत सन्यासी हैं. उन्होंने भारत नेपाल से लेकर विदेश तक वैष्णो धर्म का प्रचार किया. दक्षिण भारतीय संतों में उनकी गिनती प्रमुख संतों में होती है. उन्हूने वैदिक संस्कृत गुरुकुलों का संचालन भी किया है. वह रामानुजाचार्य द्वारा प्रतिपादित विशिष्टाद्वैत दर्शन का अनुसरण करते हैं. वह भगवान विष्णु के आराधक हैं स्वामी जी अनेक भाषा के वक्ता एवं संस्कृत भाषा के विद्वान हैं.