देवभूमि उत्तरांचल उद्योग व्यापार मंडल के सदस्यों द्वारा खुशहाली का त्योहार लोहड़ी बड़ी धूमधाम से गांधी स्तंभ त्रिवेणी घाट पर मनाया गया

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ऋषिकेश : गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी, देवभूमि उत्तरांचल उद्योग व्यापार मंडल के सभी सदस्यों द्वारा खुशहाली का त्योहार लोहड़ी बड़ी धूमधाम से गांधी स्तंभ त्रिवेणी घाट पर मनाया गया.   कार्यक्रम में ढोल रंग बिरंगी आतिशबाजी के साथ ही लोहड़ी प्रचलित करते हुए  प्रसाद  वितरण किया जाएगा। इस दौरान अपील की गयी, वे सभी आपस में प्यार से रहे. एक दूसरे की मदद और सहयोग करें.इस दौरान,  राजकुमार अग्रवाल अध्यक्ष देवभूमि उत्तरांचल उद्योग व्यापार मंडल( उत्तराखंड), भारत भूषण रावल,    कार्यक्रम संयोजक पं० नरेंद्र शर्मा कार्यक्रम,   कार्यक्रम सहसंयोजक, देवभूमि उत्तरांचल उद्योग व्यापार मंडल ऋषिकेश (उत्तराखंड)  व् सैकड़ों ब्यापारी मौजूद रहे.
लोहड़ी–
आपको बता दें, उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या पर इस त्यौहार का उल्लास रहता है। आम तौर पर इस पर्व की रात्रि में किसी खुले स्थान में परिवार एवं आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बनाकर बैठते हैं तथा इस समय रेवड़ी, मूंगफलीलावा आदि खाकर पर्व मनाते हैं।लोहड़ी पौष के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद (माघ संक्रांति से पहली रात) यह पर्व मनाया जाता है। यह प्रायः 12 या 13 जनवरी को पड़ता है। यह मुख्यतः पंजाब का पर्व है, यह द्योतार्थक (एक्रॉस्टिक) शब्द लोहड़ी की पूजा के समय व्यवहृत होने वाली वस्तुओं के द्योतक वर्णों का समुच्चय जान पड़ता है, जिसमें ल (लकड़ी) +ओह (गोहा = सूखे उपले) +ड़ी (रेवड़ी) = ‘लोहड़ी’ के प्रतीक हैं। श्वतुर्यज्ञ का अनुष्ठान मकर संक्रांति पर होता था, संभवतः लोहड़ी उसी का अवशेष है। पूस-माघ की कड़कड़ाती सर्दी से बचने के लिए आग भी सहायक सिद्ध होती है-यही व्यावहारिक आवश्यकता ‘लोहड़ी’ को मौसमी पर्व का स्थान देती है।[2] पूर्ण परमात्मा की सद्द भक्ति ही सुख दायक है

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