उत्त्तराखण्ड में बच्चों के एडमिशन से पहले परीक्षा लेने वालों निजी स्कूलों की अब खैर नहीं, निर्देश जारी
- बच्चों को एडमिशन देते समय कैपिटेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा
देहरादून : उत्तराखंड में बच्चों को एडमिशन देते समय कैपिटेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा। से पहले जो स्कूल बच्चों की मौखिक या लिखित तौर पर परीक्षा लेते हुए पाएगी तो उनके खिलाफ आवश्यकता कार्रवाई होगी इसके साथ ही उनके अभिभावक यानी की माता-पिता या जो भी अभिभावक है उनका भी कोई इंटरव्यू होता है तो भी करवाई स्कूल के खिलाफ की जाएगी।
संबंधित मामले में समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक ने CEO को लिखा पत्र। दर्शन प्रदेश के निजी विद्यालय एडमिशन के लिए बच्चों की परीक्षा ले रहे हैं कुछ अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को लिखित परीक्षा के नाम पर 3 घंटे बैठ जा रहा है और अभिभावकों के मुताबिक परीक्षा के बाद बच्चों की मेरिट लिस्ट भी जारी होगी जिसके आधार पर बच्चों का स्कूल में एडमिशन होगा एडमिशन की यह प्रक्रिया शिक्षा सत्र 202526 के लिए अभी से अपना ही जा रही है।शिकायत के बाद उसके बाद शासन की संज्ञान में यह मामला आया। आरटीआई को एक तरह से ताक पर रहकर बच्चों के एडमिशन के लिए छात्रों की परीक्षा लेने वाले स्कूलों के खिलाफ अब कार्रवाई होगी । समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक ने सभी सीईओ को इस संबंध में निर्देश जारी किया है निर्देश में कहा है इस तरह के विद्यालयों के खिलाफ नेम अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाए अपर राज्य परियोजना निदेशक कुलदीप गैरोला ने यह निर्देश जारी किए हैं सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इसमें कहा गया है संज्ञान में आया है कि निजी विद्यालय बच्चों के प्रवेश से पहले लिखित या मौखिक परीक्षा ले रहे हैं उन्होंने कहा बच्चों के दाखिले के लिए बच्चों के माता-पिता का भी इंटरव्यू संबंधी प्रक्रिया अपनाई जा रही है जो शिक्षा का अधिकार अधिनियम के नियमों का उल्लंघन है। निर्देश में यह भी कहा है कि सभी विद्यालय शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एवं उत्तराखंड निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 का पालन करने के लिए पूरी तरह से वाद्य है। यानी की स्कूलों को नियम या फिर नियमावली के तहत चलना जरूरी है। इसमें किसी भी स्तर के उल्लंघन पर नियमों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की व्यवस्था है साथ ही निर्देश दिए हैं कि राज्य में चल रहे मान्यता प्राप्त ऐसे विद्यालय जो बच्चों के प्रवेश से पहले उनकी लिखित या मौखिक परीक्षा ले रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए निर्देश में यह भी कहा है कि बच्चों को एडमिशन देते समय कैपिटेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा। अब देखना यह होगा कि नहीं विद्यालय इस नियम को कितना मानते हैं ।अक्सर यह शिकायत आती है और जो बड़े रसूखदार स्कूल है, खासतौर पर जो निजी विद्यालय हैं, वह अक्सर लिखित या मौखिक परीक्षा लेते हैं और कुछ जगह तो माता-पिता का भी इंटरव्यू होता है। ऐसे में मामला सामने बहुत कम आप आता है क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों का एडमिशन कराना जरूरी समझते हैं तो शिकायत बहुत कम शासन तक पहुंच पाती है। दूसरा शासन में अच्छी पकड़ होने के कारण इन निजी स्कूलों के मालिक या संचालक काफी प्रभाव रखते हैं।