गढ़वाली बोली म…(लेख) क्य ह्वाई देव भूमि तैं ?

गढ़वाली बोली म…क्य ह्वाई देव भूमि तैं ?
~पार्थसारथि थपलियाल~
लगभग हर दूसर चौथ दिन उत्तराखंड बिटेक क्वी न क्वी खबर पढ़ण म ऐ जांदीन कि क्वी नौनी मुच्छयलक दगड़ भाजी गे। देव भूमिक इन संस्कार त नि छै। पर हालत इनी व्हे गेनी। अभी पुरोला (उत्तरकाशी) म एक मुछल्य हैवानन एक नौनी तैं पुले पथेकि, झांसु देकी लव जेहादक शिकार बणे दे।
वक्त पर लुखुन वे बदमाश तैं पकड़ी भी दे। वांक बाद पुरोला म एक विरोध रैली निकली। अर हंगामा खड़ू करी दे। यूं मुछलयों कि अपण धर्म तै फैलाणकि जबरदस्त योजना चलणि च कि हिंदुओंकी बेटी ब्वारयों तै फंसाव, यूं तै गर्भवती बणाव य ऊंतै वेश्यालय म बेची द्वाव। कुछ मामला इन भी देखेन कि ऊँकू धर्म बदळै दे, और इस्तेमाल करिक कै होरी तें बेची दिन्दन। अक्सर ऊँ तै खत्म भी करी दिन्दन। देवभूमि गढ़वालाकी बेटियों के दगड इन हूण हम सब्वों कु सरमे बात च।
पुरोला म लुखुन आंदोलन कैरिक बहुत बड़ू काम कैरि याली। आखिर किलै हूँणि छन यू घटना? ये पर विचार करण.. जरूरी च। एक एफ आई आर वाइरल हूणि च कि एक गों की एक महिला आपणी 14-15 सालकि बेटी अर 10 सालकू नौंन तै ले की कै मुच्छल्यक दगड मेरठ य दिल्ली भाजी गे। कन्नू बिजोग पडिगे। अब बताव क्य सोची होलु वीन? खुद त ग्या पर बेटी-लडीक क कू जीवन भी बर्बाद करी याली।
पहाड़ खाली ह्वे गेन। क्वी क्वी गों म जु रयां छन सी भी फलांग लगाण कु तैयार बैठ्यां छन। गों म डुट्याल, बिहारी मजदूर और फेरी लगाण वल मुच्छयल य सब्जी, फल की दुकान लगाण वल मुच्छल्य। नाई भी यूही लोग छन। क्य यूं कामों तै गौंक नौना नि कैरी सकदन? कोटद्वार बिटेन बदरीनाथ तक सब्जी, फल और नाई कु काम करण वल लोग यूही लोग छन। य एक बहुत ही सुनियोजित योजना च ताकी धीरे धीरे यूँकि संख्या बढ़ी जा अर एक दिन बदरीनाथ, केदारनाथ पर भी यूँकु अधिकार ह्वे जा। यूं घटनाओं तै रूकणा क वास्ता एक बड़ू संगठन की आवश्यकता च। क्या हमर समाजक क्वी भै बंद ये विषय पर विचार कारल?