उत्तरकाशी : कोषागार में हुए शासकीय धन के गबन के मामले में वांछित अभियुक्ता वित्त नियंत्रक हिमानी स्नेही गिरफ्तार

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उत्तरकाशी/देहरादून/हरिद्वार : 7 जनवरी 2022 को थाना कोतवाली उत्तरकाशी में कोषागार में हुए शासकीय धन के गबन के मामले में पुलिस ने शनिवार को अभियोग में वांछित अभियुक्ता वित्त नियंत्रक हिमानी स्नेही को स्थान लोक सेवा आयोग कालोनी कनखल हरिद्वार से गिरफ्तार कर विजलेंस कोर्ट देहरादून में पेश किया गया. जहाँ से उसे जेल भेज दिया है.

2 लाख रुपये के गबन के मामले में राज्य लोक सेवा आयोग की वित्त नियंत्रक को हिमानी स्नेही को गिरफ्तार कर लिया गया है. विवेचना में वर्ष 2016 से लेकर 2021 तक उत्तरकाशी की वरिष्ठ कोषाधिकारी रही हिमानी स्नेही के विरुद्ध साक्ष्य मिले. पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने जांच अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक अनुज कुमार को मामले में वांछित आरोपित को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए. इस पर शनिवार को लोक सेवा आयोग कालोनी कनखल हरिद्वार से आरोपित हिमानी स्नेही को गिरफ्तार किया है.

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आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2016 से 2021 के दौरान उत्तरकाशी में वरिष्ठ कोषाधिकारी रहते हुए मृत पेंशनरों को जीवित दिखाकर उनके नाम की पेंशन अपने और परिचितों के खाते में डालकर सरकारी धन का गबन किया. आपको बता दें, इस मामले में पुलिस ने सहायक कोषाधिकारी और सहायक लेखाकार को जनवरी में ही गिरफ्तार कर लिया था. इन दिनों जमानत पर हैं. इस साल जनवरी के प्रथम सप्ताह में उत्तरकाशी कोषागार में पेंशन खातों में हेराफेरी करके सरकारी धन के गबन का मामला सामने आया था.

सहायक कोषाधिकारी विजेंद्र लाल की तहरीर पर पुलिस ने इस संबंध में मुकदमा दर्ज किया था. जांच के बाद पुलिस ने तत्कालीन सहायक कोषाधिकारी धर्मेंद्र शाह, सहायक लेखाकार महावीर नेगी को गिरफ्तार किया गया. जांच में सरकारी धन के गबन की पुष्टि होने और साक्ष्य मिलने पर पुलिस ने मुकदमे में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा भी जोड़ दी. साथ ही शासन से इसमें लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध विवेचना की अनुमति हासिल की गयी.

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ऐसे हड़पते थे धन-
पुलिस उपाधीक्षक अनुज कुमार ने बताया कि कोषागार में वरिष्ठ कोषाधिकारी की अनुमति के बिना किसी भी खाते में धनराशि स्थानांतरित नहीं होती है. कर्मचारी तभी स्थानांतरित कर पाते हैं जब वरिष्ठ कोषाधिकारी एक कोड जेनरेट करते हैं. इस मामले में आरोपित उन मृतक को जीवित दर्शाकर उनकी पेंशन अपने खाते में डालते थे, जो कभी पारिवारिक पेंशन का लाभ ले रहे थे या जिनकी पेंशन का कोई दूसरा हकदार नहीं था. इसके लिए आरोपितों ने अपने परिचितों और पीआरडी कर्मचारियों के खातों का भी इस्तेमाल किया.

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