अन्तर्राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दिया संदेश डिजिटल डिटॉक्स जीवन से फिर जुड़ें

- विश्व स्ट्रोक दिवस पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने परमार्थ निकेतन में निःशुल्क हृदय रोग व आर्थो-स्पाइन दो दिवसीय (1 व 2 नवम्बर, 2025) चिकित्सा शिविर का किया आह्वान
- स्वामी शुकदेवानन्द चैरिटेबल हाॅस्पिटल, परमार्थ निकेतन में आर्टमिस अस्पताल, गुरूग्राम में विशेषज्ञ डा प्रो सुरेन्द्र नाथ खन्ना, चेयरपर्सन, एडल्ट कार्डियक सर्जरी एवं हार्ट लंग ट्रंसप्लांट, आर्टिमिस अस्पताल, गुरूग्राम और डा वरूण खन्ना, कंसलटेंट, आर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन सर्जरी, आर्टमिस अस्पताल, गुरूग्राम के मार्गदर्शन व नेतृत्व में आयोजित
- निःशुल्क जांच – लिपिड प्रोफाइल, थायरॉयड टेस्ट, यूरिक एसिड, एचबीएवनसी रक्त जांच, बी एम आई, ईसीजी, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर व आवश्यक दवाईयां
- स्वास्थ्य सेवा अवसर का लाभ उठाकर स्वयं व अपने परिजनों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करें
ऋषिकेश, 29 अक्टूबर। विश्व स्ट्रोक दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संदेश देते हुए परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय निःशुल्क हृदय रोग एवं आर्थो-स्पाइन चिकित्सा शिविर में अधिकाधिक संख्या में सहभागिता हेतु आह्वान किया। यह शिविर आगामी 1 व 2 नवम्बर, 2025 को स्वामी शुकदेवानन्द चैरिटेबल हाॅस्पिटल, परमार्थ निकेतन में आयोजित किया जाएगा।यह विशेष शिविर गुरुग्राम स्थित आर्टिमिस अस्पताल के प्रख्यात विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में संपन्न होगा। इसमें डा० प्रो० सुरेन्द्र नाथ खन्ना, चेयरपर्सन, एडल्ट कार्डियक सर्जरी एवं हार्ट-लंग ट्रांसप्लांट तथा डा० वरुण खन्ना, कंसलटेंट, आर्थोपेडिक्स एवं स्पाइन सर्जरी अपनी सेवाएँ प्रदान करेंगे।
शिविर के दौरान स्ट्रोक व हृदय रोग की रोकथाम से संबंधित परामर्श के साथ-साथ लिपिड प्रोफाइल, थायरॉयड टेस्ट, यूरिक एसिड, एचबीएवनसी रक्त जांच, बी एम आई, ईसीजी, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर जैसी महत्वपूर्ण जाँचें एवं आवश्यक दवाइयाँ निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएँगी।स्वामी ने कहा कि आज की व्यस्त एवं तनावपूर्ण जीवनशैली में हृदय और मस्तिष्क संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। समय रहते जांच और जागरूकता जीवन बचा सकती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि इन स्वास्थ्य सेवा अवसर का लाभ उठाकर स्वयं व अपने परिजनों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करें।आज अन्तर्राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्तमान में हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ सुबह आँखें खुलते ही सबसे पहले नजर मोबाइल स्क्रीन पर जाती है। आँखें खुलती हैं, पर हमारा ध्यान तुरंत एक डिजिटल दुनिया में खो जाता है। नोटिफिकेशन्स, मैसेजेस, और न खत्म होने वाला स्क्रोल। हम कहते हैं हम “कनेक्टेड” हैं, पर असल में संबंधों की डोर धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। पूरी की दुनिया की हर खबर मिल जाती है, पर पास बैठे अपने लोगों की भावनाएँ अक्सर अनजानी व अनसुनी रह जाती हैं।
स्क्रीन्स ने हमारे युवाओं को जानकारी दी है, पर कल्पना की उड़ान छीन ली है। सोशल मीडिया ने हमें फॉलोअर्स दिए हैं, पर सच्चे रिश्तों का एहसास कम कर दिया है। मैसेज बढ़े हैं, पर दिल की बातें घट गई हैं। हम दूसरों को दिखाने के लिए पलों को कैप्चर करने में इतने व्यस्त हो गए हैं, कि उन पलों को अपने लिए जीना भूल गए हैं।स्वामी ने कहा कि डिजिटल जीवन एक साधन था साध्य नहीं। तकनीक हमारे लिए बनी थी हमारा मालिक बनने के लिए नहीं। आज के समय में हम फोन को दिन में कई बार चेक करते हैं, पर अपनी खुशहाली को कितनी बार चेक करते हैं? हम दुनिया को यह साबित करने में लगे हैं कि हम खुश हैं, लेकिन भीतर की खुशी कहाँ गायब हो गई, इसका पता नहीं चलता। स्क्रीन की चमक ने हमारी आँखों की चमक कहीं फीकी कर दी है इसलिये जरा ठहरें। साँस लें। खुद की ओर लौट आएं।स्वामी ने कहा कि डिजिटल डिटॉक्स का मतलब तकनीक का सही उपयोग। जीवन को खुलकर प्रकृति, संस्कृति व अपनों के साथ जिएँ, उसे अपलोड, डाउनलोड में बर्बाद न करें। डिजिटल डिटॉक्स जीवन से दूर जाना नहीं, जीवन में वापस आना है।
विश्व स्ट्रोक दिवस पर स्वामी ने जागरूक करते हुये कहा कि स्वस्थ जीवन की रक्षा में हर सेकंड कीमती है। स्ट्रोक अचानक आता है और क्षणभर में किसी का भी भविष्य बदल सकता है। यह तब होता है जब मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह रुक जाता है या मस्तिष्क में रक्तस्राव हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षति पहुँचती है। यदि उपचार में देर हो जाए तो यह स्थायी विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकता है इसलिए “समय ही जीवन है” यह संदेश हम सभी को गंभीरता से समझना चाहिए।दुर्भाग्य से, आज की तेज रफ्तार जिंदगी, गलत खान-पान, तनाव, धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएँ स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा रही हैं। भारत में स्ट्रोक की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं और कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। इसके लक्षणों को तुरंत पहचानना बेहद जरूरी है इसलिये जागरूक बनें, स्वस्थ आदतें अपनाएँ और समय पर चिकित्सा सहायता लें। खुद को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखकर ही हम जीवन को वास्तव में स्वस्थ और सार्थक बना सकते हैं।



