परमार्थ निकेतन गंगा तट पर विशेष स्वाहाः सेरेमनी का आयोजन…संकल्प, समर्पण व अर्पण का दिव्य समारोह

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  • नववर्ष की पूर्व संध्या पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने दी स्वस्थ और समृद्ध नववर्ष की शुभकामनायें
  • नववर्ष के अभिनन्दन हेतु परमार्थ निकेतन में दिव्य, भव्य और अलौकिक कथा
  • गुजरात सहित विश्व के कई अन्य देशों से कथा श्रवण करने आये साधक
  • परमार्थ निकेतन में किया विशेष यज्ञ व विश्व मंगल की प्रार्थना
  • परमार्थ निकेतन गंगा तट पर विशेष स्वाहाः सेरेमनी का आयोजन
  • संकल्प, समर्पण व अर्पण का दिव्य समारोह
  • नववर्ष, नवसंकल्प और नवसजृन-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर स्वस्थ व समृद्ध नववर्ष की शुभकामनायें देते हुये कहा कि परमात्मा की कृपा से प्रत्येक दिन एक नई आशा, नई उमंग और नए संकल्पों के साथ जीवन को दिशा देने के लिये आता है। आने वाला वर्ष 2025 सभी के लिये एक स्वस्थ, समृद्ध और मंगलमय हो। यह वर्ष आत्मा की शुद्धि, विचारों की शुद्धि समाज के उत्थान, समृद्धि तथा प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण का संकल्प लेकर आया है. न्ववर्ष की पूर्व संध्या पर परमार्थ निकेतन गंगा तट पर विशेष स्वाहाः सेरेमनी का आयोजन किया गया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  और साध्वी भगवती सरस्वती  के पावन सान्निध्य में विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने संकल्प, समर्पण व अर्पण की आहुतियाँ समर्पित की।परमार्थ निकेेतन में नववर्ष के अभिनन्दन हेतु दिव्य, भव्य और अलौकिक कथा का आयोजन किया। गुजरात सहित विश्व के कई देशों से आये श्रोताओं को स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने सम्बोधित करते हुये कहा कि नववर्ष केवल एक कैलेंडर की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के नये अध्याय की शुरुआत है, जिसमें हम अपने संकल्पों को नये सिरे से लेकर, उन्हें धरातल पर उतारने का प्रयास करते हैं। इस अवसर पर उन्होंने सभी के स्वस्थ जीवन की कामना की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि नववर्ष के आगमन पर हर व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत और सामाजिक लक्ष्यों (गोल्स) को निर्धारित करने चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ लक्ष्य निर्धारित करना ही प्र्याप्त नहीं है, बल्कि उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों (रोल्स) को समझना और उनका पालन करना भी उतना ही आवश्यक है।हमारे गोल्स हमें प्रेरित करते हैं, लेकिन हमारी जिम्मेदारियां हमें उस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं जो हमें हमारे लक्ष्य तक पहुँचाता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमिका (रोल) का सही मूल्यांकन करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज में सकारात्मक संवर्द्धन के लिए कार्य करना होगा।स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि वर्ष 2025 हम सभी के लिये महाकुम्भ की सौगात लेकर आ रहा हैै। कुम्भ मेला एक ऐसा अद्वितीय अवसर है, जब हम अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिए प्रकृति के साथ एकाकार हो सकते हैं। यह मानवता की सेवा, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विश्व समुदाय के लिए शांति और भाईचारे का प्रतीक है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि कुम्भ मेला के माध्यम से हमें अपनी आस्था और संस्कृति की ताकत को महसूस करने का अवसर प्राप्त होता है, जो पूरी दुनिया में भारत की महानता और एकता का प्रतीक है। न्ववर्ष को प्रकृति और संस्कृति की समृद्धि के वर्ष के रूप में मनाने का संदेश देते हुये कहा कि आने वाला वर्ष सभी के व्यक्तिगत जीवन में समृद्धि लाने के साथ यह समग्र मानवता और प्र्यावरण के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव का वर्ष बने। उन्होंने विशेष रूप से जल, वायु और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फेलाने का आह्वान करते हुये कहा कि हमें अपनी प्रकृति को बचाने के लिये संकल्पित होना होगा क्योंकि इसी माध्यम से हम अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण साधन को बचा सकते हैं।
स्वामी  ने कहा, प्रकृति और संस्कृति दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि हम अपनी संस्कृति की शुद्धता बनाए रखते हैं, तो हम अपनी प्रकृति का भी संरक्षण कर सकते हैं। इस नववर्ष में हमें अपनी आस्थाओं और परंपराओं को पुनः जागृत करने की आवश्यकता है ताकि हम न केवल अपने देश को, बल्कि पूरी दुनिया को एक स्थिर और संतुलित भविष्य दे सकें।उन्होंने यह भी कहा कि यह वर्ष सभी के लिये संकल्प का वर्ष होना चाहिए, हम सब मिलकर पर्यावरणीय संकटों का समाधान खोजें और अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करें।स्वामी  ने कहा कि हमारे संस्कार हमारी पहचान हैं और ये हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए दिशा देते हैं। नववर्ष के समय, हमें अपने संस्कारों को जीवन में और अधिक मजबूत करने का संकल्प लेना होगा।स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने इस अवसर पर समग्र मानवता के कल्याण की कामना की और सभी से आह्वान किया कि वे अपने जीवन को उच्चतम स्तर पर जीने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को न केवल अपने लिए, बल्कि समाज और प्रकृति के लिए भी कार्य करने का संकल्प लेना होगा। नववर्ष एक नई शुरुआत है, जिसमें हमें अपनी संस्कृति, संस्कार और प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करने का संकल्प लेना होगा।नववर्ष सबके जीवन में एक नया अध्याय लेकर आए तथा सभी के जीवन को एक नई दिशा और नई ऊर्जा से भर दे।

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