ऋषिकेश: कश्मीर के पम्पोर में स्थापित होगी भगवान शिव की प्रतिमा, पम्पोर के महापौर मोहम्मद याकूब मलिक पहुंचे परमार्थ निकेतन

- रूद्राक्ष का दिव्य पौधा और गंगोत्री का गंगाजल भेंट कर दिया आशीर्वाद
- पीड़ा ही प्रेरणा बनेगी: स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में पम्पोर के महापौर मोहम्मद याकूब मलिक आये और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट की। साथ ही कश्मीर से आये अन्य लोगों ने भी स्वामी से भेंट कर अपना दर्द बांटा। स्वामी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हमारे गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में कश्मीर में शान्ति और सुकून का नजारा देखने को मिलेगा तथा संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण भी होगा। स्वामी ने उन्हें रूद्राक्ष का दिव्य पौधा और गंगोत्री का जल उपहार स्वरूप भेंट किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने माननीय मोहम्मद याकूब मलिक से कहा कि आप पम्पोर के महापौर है, आप कश्मीर में बहुत कुछ कर सकते हैं। वहां पर समस्यायें बहुत है, चैलेंज़ भी है और चुनौतियाँ भी हैं लेकिन इन चुनौतियों में ही हमें अवसरों को तलाशना होगा क्योंकि बात देशभक्ति की है। स्वामी ने कहा कि देवभक्ति अपनी-अपनी करें लेकिन देशभक्ति सभी मिलकर करे, यह बहुत जरूरी है।
स्वामी ने कश्मीर के मन्दिरों के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि वहां पर जो मन्दिर हैं, जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़े है उनके जीर्णोद्धार के विषय में चर्चा की। उन्होंने बताया कि पम्पोर में दो मन्दिरों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण हैं, चर्चा करते हुये बताया कि उन मन्दिरों के जीर्णोद्धार के प्रयास के साथ ही स्वामी से भी आश्वासन लिया। स्वामी ने कहा कि दोनों मन्दिरों के जीर्णोद्धार के लिये पहला चैक परमार्थ निकेतन से जायेगा।
स्वामी ने कहा कि जैसे ही मन्दिरों का निर्माण कार्य पूर्ण हो जायेगा, परमार्थ निकेतन दोनों मन्दिरों के लिये मनमोहक व दिव्य भगवान शिव की प्रतिमा, यहां माँ गंगा के तट, शिव की नगरी से शक्ति की नगरी में स्थापित करेंगे ताकि मानसरोवर की तरह वहां पर भी श्रद्धालुओं को दर्शन हो सके। स्वामी ने बताया कि कैलाश मानसरोवर में 15, 16 और 17 हजार आठ सौ फीट पर परमार्थ कैलास मानसरोवर धाम में भी तीन आश्रमों का निर्माण किया गया जहां पर श्रद्धालु जाकर रूकते है अब शक्ति की नगरी कश्मीर में भी श्रद्धालुओं को भगवान शिव के दर्शन होंगे।
स्वामी ने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा तट पर विराजित प्रतिमा की तरह उसी स्वरूप में भगवान शिव जी की प्रतिमा और शिवलिंग की स्थापना की जायेगी।
चर्चा के दौरान स्वामी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम सभी को गंगा के पावन तटों के पहरेदार और पैरोकार बनाना होगा। हम सोचते हैं कि गंगा और अन्य नदियों को हम बचा रहे हैं परन्तु वास्तविकता तो यह है कि गंगा जी हमें बचा रही हैं, हमें तो बस इतना ही करना हैं कि हम जो प्रदूषण नदियों में फैला रहे हैं वह बंद कर दें। नदियों के तटों पर ग्रीन काॅरिडोर बने। हम स्वयं भी नदियों के प्रेमी बने और दूसरों को भी इसके लिये प्रेरित करें। स्वामी जी ने सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने का संकल्प कराया।
इस अवसर पर लोकेश शर्मा, निरंजन त्रिपाठी, बंसल और अनेक विशिष्ट अतिथियों ने भी चर्चा में सहभाग किया और कहा कि हम सब साथ -साथ मिलकर पूरे भारत के लिये कार्य करेंगे।