सहारनपुर :  कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश शासन  आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में जनमंच सभागार में माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षान्त समारोह का आयोजन

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  • शिक्षक अंधकारमय जीवन में उजाले की किरण
  • मैं स्वयं भी राज्यपाल नहीं बल्कि शिक्षक हूँ
  • आंगनवाडी कार्यकत्रियों का कार्य माँ से भी बढकर- राज्यपाल
  • उपाधि और पदक पाकर छात्रों के चेहरे खिले, अन्य को मिली प्रेरणा
  • उपाधियों को किया गया डिजी लॉकर में समाहित
  • दीक्षान्त का अवसर छात्रों के लिए गर्व का पल
  • राज्यपाल ने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पुस्तक, फल एवं मिठाई की वितरित
  • कुलपति ने दिलाई उपाधि प्राप्तकर्ताओं को शपथ, दिया दीक्षोपदेश
  • पीएम उषा के अन्तर्गत विश्वविद्यालयों को किया गया धन आवंटित
सहारनपुर :  कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश शासन  आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में जनमंच सभागार में माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ  राज्यपाल  आनंदीबेन पटेल द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल महोदया द्वारा 06 कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 63 कुलपति स्वर्ण पदक, 02 विद्यार्थियों को प्रायोजित स्वर्ण पदक प्रदान किए गये। यूनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में कुल 25181 छात्रों को उपाधियां दी गयी। उपाधियों को हस्ताक्षर कर डिजीलॉकर पोर्टल पर ऑनलाइन अपलोड किया गया। इसमें 7808 छात्र एवं 17373 छात्राएं शामिल रहे।     राज्यपाल  द्वारा आंगनवाडी कार्यकत्रियों को 100 का किट वितरण किया गया। इसमें सांकेतिक रूप से 10 किट जनमंच सभागार में वितरित की गयी। साथ ही प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को राजभवन से प्राप्त पुस्तकें प्रदान की गयी। इसके साथ ही विद्यार्थियों को स्कूल बैग, फल, मिष्ठान का वितरण किया गया। विद्यालयों के कक्षाओं के समूह बनाकर भाषण, चित्रकला, कहानी कथन प्रतियोगिताओं के प्रथम स्थान पर आए छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरित किए गये।
आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह की महत्ता बताते हुए कहा कि अंतिम वर्ष तक इंतजार करने के बाद यह अवसर आता है। इसका सभी छात्र-छात्राओं के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होने कहा कि इस दीक्षांत समारोह में अभिभावकों को शामिल किया गया है जिससे अभिभावक अपने बच्चे के जीवन में आए इस महत्वपूर्ण पल को प्रत्यक्ष रूप से देख सकें और खुशी का एहसास कर सकें। उन्होने कहा कि हर बच्चे की जिम्मेदारी है कि पहले की परिस्थितियों से शिक्षा पाने से वंचित हो चुके तथा इच्छुक अभिभावकों को भी शिक्षा प्राप्ति का अवसर उपलब्ध करवाएं।  राज्यपाल ने कहा कि आज परिवर्तन का युग है। यह दीक्षांत समारोह इस परिवर्तन के युग का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसमें 80 प्रतिशत छात्राओं एवं 20 प्रतिशत छात्रों को उपाधि मिली है। शिक्षा के माध्यम से किसी भी क्षेत्र में प्रगति की जा सकती है। मेहनत और प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि मैं स्वयं भी शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र से जुडी रही हूँ और इन 70 वर्षों में मैने महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन देखा है। यह बदलाव कृषि, पशुपालन सहित विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देता है। उन्होने कहा कि आज महिलाएं वैश्विक स्तर पर  आगे बढ चुकी है, अब उनको आगे बढने के लिए प्रेरित करना चाहिए न कि उनकी महत्वकांक्षाओं को दबाया जाना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होने गुजरात की मुख्यमंत्री रहते हुए महिलाओं की बेहतरी के लिए किए गये कार्यों का उल्लेख किया।
आनंदीबेन पटेल ने प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  की सराहना करते हुए कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए वह निरंतर सोचते हैं और भारत युवाओं का देश है। जहां पर 35 प्रतिशत आबादी युवाओं की है। इस सपने को साकार करने के लिए सोच बदली है। आने वाले 25 वर्षों में जब हम देश की आजादी की शताब्दी मना रहे होंगे तब भारत विकसित राष्ट्र होगा। लेकिन यह विकास तभी माना जाएगा जब प्रत्येक आमजन को जल, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास उपलब्ध हो तथा विकास समग्र हो। उन्होने कहा कि सभी को यह संकल्प करना चाहिए कि गरीबी दूर हो। 2014 से अब तक 25 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल चुके है।    राज्यपाल ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लिए आवश्यक है कि युवाओं के कौशल को विकसित किया जाए। उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ऋण दिए जाएं। इनको दिशा देने की जिम्मेदारी सरकारों, मंत्रियों एवं अधिकारियों की है। उन्होने कहा कि सुदूर क्षेत्रों के विकास के लिए बिचौलियों को दूर किया जाना आवश्यक है और यह काम आज उपलब्ध तकनीक के माध्यम से हम कर पा रहे हैं।
आनंदीबेन पटेल ने डॉ0 सर्वपल्ली राधा कृष्णन को महान शिक्षाविद् बताते हुए सभी को शिक्षक दिवस के अवसर पर बधाई दी। उन्होने कहा कि शिक्षक बच्चों को दिशा देने का कार्य करता है और मैं स्वयं भी राज्यपाल नहीं बल्कि शिक्षक हूँ। मुझे राज्य स्तर पर एवं राष्ट्रपति महोदय द्वारा बेस्ट शिक्षक का अवार्ड मिल चुका है। इसलिए मैने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को बुलाया है। शिक्षा आत्मविजय की प्रक्रिया है। शिक्षक अंधकारमय जीवन में उजाले की किरण है। शिक्षक को सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए। शिक्षा में गुणवत्ता एवं गहराई होनी चाहिए। हम जो भी सीखते है उसका उपयोग होना चाहिए। उन्होने कहा कि आंगनवाडी कार्यकत्रियों का कार्य माँ से भी बढकर है। यह कार्यकत्री 20 से 25 बच्चों का कार्य मातृत्व के भाव से करती है।  आनंदीबेन पटेल ने  प्रधानमंत्री  द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गये कार्यों की सराहना की। उन्होने कहा कि हमारे प्राचीनतम विश्वविद्यालय नालन्दा एवं तक्षशिला शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध थे। यहां पर विदेशों से छात्र अध्ययन के लिए आते थे। इसका पुनरूद्धार  प्रधानमंत्री  द्वारा किया जाना उनकी सोच को प्रदर्शित करता है। उन्होने सरकार द्वारा शिक्षा के लिए बजट में उपलब्ध कराए गए 1.48 लाख करोड़ का उल्लेख किया जोकि शिक्षा के क्षेत्र में अब तक का सर्वाधिक आवंटन है। उन्होने कहा कि यूजीसी में 19025 करोड़ का प्राविधान किया गया है।  राज्यपाल ने कहा कि  प्रधानमंत्री  द्वारा पीएम उषा योजनान्तर्गत 1414 करोड़ रूपये का प्राविधान किया गया हैं। जिसमें से यूपी के 05 विश्वविद्यालयों को 100-100 करोड़ रूपये तथा 02 विश्वविद्यालयों को 20-20 करोड़ रूपये मिले हैं। कुलपति महोदया द्वारा यह भी कहा गया कि सभी विश्वविद्यालयों को एनआईआरएफ में जाना है तो हर वर्ष डाटा तैयार करना होगा। उन्होने कहा कि पर्यावरण बचाने के लिए अपनी माँ के नाम पर एक पेड अवश्य लगाओ। जिसके अन्तर्गत आज करोड़ो पेड लगाए जा रहे है।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव प्रो0  पंकज मित्तल ने कहा कि  कुलाधिपति महोदया द्वारा विश्वविद्यालयों को निरंतर माँ का स्नेह, पिता का अनुशासन एवं गुरू की तरह दिशा निर्देश मिलता रहता है। उन्होने कहा कि वर्तमान में पढने और पढाने के तौर तरीकों को बदलने की आवश्यकता है। डिग्री से ज्यादा स्किल की जरूरत है। अपनी जिज्ञाशाओं को बनाए रखें और सीखना तथा सोचना निरंतर जारी रखें।     उच्च शिक्षा मंत्री  योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति शिक्षक भी है और शिक्षार्थी भी है। इस विश्वविद्यालय ने बहुत ही कम समय में जो उपलब्धियां हांसिल की है उसके लिए विश्वविद्यालय और कुलपति बधाई के पात्र है। उन्होने विशेष उपलब्धियां हांसिल करने वाले विद्यार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। मानव जीवन में संस्कारयुक्त शिक्षा बहुत ही आवश्यक है।  प्रधानमंत्री  के प्रयासों का ही परिणाम है कि नई शिक्षा नीति संस्कार, रोजगार एवं तकनीकि से जुडी है। देश के युवाओं को समर्पित भाव से राष्ट्र की सेवा करनी होगी तभी भारत एक विकसित राष्ट्र बनेगा। उन्होने कहा कि महामहिम के नेतृत्व में प्रदेश के 07 विश्वविद्यालयों ने नैक में ए डबल प्लस, 06 विश्वविद्यालयों को ए प्लस ग्रेड मिली है। उन्होने युवाओं को कहा कि पूरी निष्ठा, ईमानदारी, मेहनत से कार्य करें यही देश की सच्ची सेवा है।
 उच्च शिक्षा राज्यमंत्री  रजनी तिवारी राज्यमंत्री उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश व विशिष्ट अतिथि रजनी तिवारी  ने अपने संबोधन में शिवालिक की तलहटी और यमुना नदी के प्रवाह क्षेत्र में स्थित मां शाकुंभरी देवी विश्व विद्यालय के उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले उन्होंने छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि आप सभी भविष्य में विश्वविद्यालय की गरिमा तथा देश की प्रगति में नये कीर्तिमान स्थापित करें और निरन्तर आगे बढ़ते रहें। उन्होंने कहा कि माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय एक नया विश्वविद्यालय है। स्थापना के तीन वर्ष से भी कम अवधि में विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षान्त समारोह आयोजित हो रहा है। किसी भी संस्थान के लिए उसके छात्र ही उसके ध्वज वाहक होते हैं। क्योंकि यही छात्र जब सफल होकर बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री या प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवा देते हैं तो कहीं ना कहीं उस संस्थान को भी उसकी सफलता के साथ याद किया जाता है। मुझे प्रसन्नता है कि माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में प्रदत्त कुल 63 में से 51 स्वर्ण पदक छात्राओं नेप्राप्त किये हैं, जो कि कुल पदकों का 81 प्रतिशत है। यह सुखद है कि देश की लक्ष्मी, देश की बेटियां शैक्षिक जगत में अपना परचम लहरा रही है। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में बेटियों की संख्या अधिक है, यह ष्बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओष् की सार्थकता को सिद्ध करती है।
 राज्यमंत्री उच्च शिक्षा ने कहा की किसी भी देश की प्रगति तथा उपलब्धियाँ उस देश के नागरिकों के शैक्षिक स्तर, शिक्षा एवं शोध की गुणवत्ता तथा उन्नति से आँकी जाती है। हमारी शैक्षिक संस्थाओं का लक्ष्य और प्रयास यही होना चाहिए कि कार्यकुशल होने के साथ-साथ अध्ययनरत रहे विद्यार्थी श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों एवं आदर्शों को आत्मसात् करके सजग नागरिक बनें। आज देश में संचार क्रांति के साथ-साथ संस्कार क्रांति भी आवश्यक है। प्राचीन ज्ञान और चिंतन परंपरा का समावेश कर शिक्षा देने का प्रयास होना चाहिए। दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं है, सफलता की सीढ़ी कठिन परिश्रम से ही बनती है, इसलिए जीवन में लक्ष्य बनाकर कार्य करें। विद्यार्थियों से काफी कुछ आशाएं समाज व राष्ट्र को है, जिस पर वह सभी खरा उतरने का प्रयास करें।          इस अवसर पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव प्रो0 पंकज मित्तल,  उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय,  उच्च शिक्षा राज्यमंत्री  रजनी तिवारी, राज्यमंत्री संसदीय कार्य  जसवंत सैनी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री मांगेराम चौधरी, कुलपति माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय प्रो0 एच0एस0सिंह, कुलसचिव  वीरेन्द्र कुमार मौर्य सहित विश्वविद्यालय का स्टाफ, आंगनवाडी कार्यकत्री, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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