ऋषिकेश: विश्व पर्यावरण दिवस-पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने फ्लैग ऑफ कर नींबू, माल्टा और रूद्राक्ष के पौधों की गाड़ी उत्तरकाशी के लिये की रवाना

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-विश्व पर्यावरण दिवस पर उत्तरकाशी के चिन्यालिसौड ब्लॉक, डूण्डा ब्लॉक, भटवाड़ी ब्लॉक और नौगाँव में वितरित किये नींबू, माल्टा और रूद्राक्ष के पौधे
-मानसून में राजाजी नेशनल पार्क, नीलकंठ मार्ग पर 75 अमृत सरोवर के निर्माण का संकल्प व पूजन
-रामनाथ कोविंद ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों को वितरित किये रूद्राक्ष के पौधें और पौधारोपण हेतु किया प्रेरित
-पर्यावरण के प्रति जागरूक और संकल्पवान होने का कराया संकल्प
– कोविंद ने परमार्थ प्रांगण में रोपित किया रूद्राक्ष का पौधा

ऋषिकेश : सोमवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत के 14 वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने फ्लैग ऑफ कर नींबू, माल्टा और रूद्राक्ष के पौधों की गाड़ी उत्तरकाशी के लिये रवाना की। उत्तरकाशी के चिन्यालिसौड ब्लॉक, डूण्डा ब्लॉक, भटवाड़ी ब्लॉक और नौगाँव में नींबू, माल्टा और रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया जायेगा।

उत्तरकाशी के 200 चिन्हित परिवारों को 20-20 नींबू, माल्टा और रूद्राक्ष के पौधे उनकी आजीविका हेतु फ्लैग ऑफ कर भेजे गये। जिलाधिकारी, उत्तरकाशी के नेतृत्व में चिन्यालिसौड ब्लॉक, डूण्डा ब्लॉक, भटवाड़ी ब्लॉक और नौगाँव में ये सारे कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं और पौधे वितरित किये जा रहे हैं। रामनाथ कोविंद अपने दो दिनों के प्रवास के पश्चात आज तीसरे दिन परमार्थ निकेतन से विदा लेते हुये उन्होंने युवा पीढ़ी और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों को रूद्राक्ष के पौधे भेंट करते हुये उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक और संकल्पवान होने का संकल्प कराते हुये परमार्थ प्रांगण में रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया। भीतरी और बाहरी पर्यावरण को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने का संदेश देते हुये प्रदूषण से मुक्त और पर्यावरण से युक्त भारत बनाने का आह्वान किया।उन्होंने कहा कि वास्तव में ये पूरा क्षेत्र स्वर्गाश्रम है। जब मैं देखता हूँ कि परमार्थ निकेतन और गीताभवन जैसी संस्थायें इस क्षेत्र में हैं इसलिये यह पूरा क्षेत्र वास्तव में स्वर्ग के समान है। परमार्थ निकेतन आकर मुझे दिव्य अनुभव हुआ। यह पूरा क्षेत्र दिव्यता और शान्ति का केेन्द्र है। जो यहां आता हैं वह यही को होकर रह जाता है।

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स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ‘‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः पर्जन्यः पिता स उ नः पिपर्तु’’ यह भूमि हमारी माता है और हम सब इसकी संतानें हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए हम स्वयं को याद दिलाये कि हम सब धरती माता की संतान हैं और धरती हमारी माता है। धरती माता ने हमें सब कुछ दिया है अब हमारी बारी है कि हम अपनी धरती माता और प्रकृति को कुछ वापस करें। जिस धरती ने हमेशा हमारी जरूरतों और मांगों को पूरा किया है आज उसे जिससे कष्ट हो रहा है, जिससे उसकी तपन बढ़ रही है वैसा व्यवहार हम न करें। आइए हम अपनी दैनिक दिनचर्या और गतिविधियों को पर्यावरण के अनुकूल करने का प्रयास करें और प्रकृति के अनुकूल दृष्टिकोण अपनाने के लिए खुद को समर्पित करें, मिशन लाइफ को अपनाये ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, जैव विविधता से भरपूर, सुंदर, समृद्ध, स्वच्छ और सुरम्य ग्रह उपहार में दें और मिलकर एक हरे-भरे भविष्य का निर्माण करें। इस वर्ष की थीम है. इस विषय को इसलिए चुना Beat Plastic Pollution गया है ताकि प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इसके वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके इसलिये अपने-अपने स्तर पर सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करें बल्कि उसके स्थान पर कपड़े के झोले, सतत और सुरक्षित वस्तुओं को अपनाने का संकल्प लें।

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