ऋषिकेश : विश्वशांति पंचांगनी साधना का संत महात्माओं की देखरेख में संत सम्मेलन द्वारा समापन हुआ

ख़बर शेयर करें -

ऋषिकेश : हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी स्वामी समर्पण आश्रम घुगतानी तपोवन मे 14 जनवरी से गुरु अबधूत स्वामी समर्पणानंद सरस्वती महाराज द्वारा पंचाग्नि साधना की जा रही थी. जिसका समापन 21 मई 2023 को आश्रम में हुआ |

यह साधना साधक द्वारा 4 अग्नि कुंड के बीच में बैठ कर कठिनाइयों के साथ निरंतर और नियंत्रण के साथ समाधि तपस्या में शिव तत्त्व में मिली जाता है | यह तपस्या माँ भैरवी पार्वती जी ने शुरू की थी. भगवान भैरव शिव तत्व में मिल जाने के लिए और ब्रह्म ज्ञान की शशतकार होता है |जीवात्मा की संसार से मुक्ति हो जाती है |यह साधना छान्दोग्य उपनिषद, शैव दर्शन, अग्नि पुराण, तंत्र शास्त्र ,अघोरी विद्या में पाया गया है |यह साधना दश महाविद्या की तंत्र गुप्त साधना में गिना जाता है | यह साधना अघोर विद्या भी माना जाता है |पांच अग्नि को काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद्य के रुप में माना जाता है | यह साधना में ईश पांच अग्नि को, साधना करते हुए, साधक अपने को संयम कर के वशीभूत कराता है और सारे इन्दिय को अपने वशीभूत भी कराता है |यह साधना विश्व की कल्याणार्थ की मार्ग पुरुषार्थ कराता है | इस दौरान सभी भक्तजन इस कार्य में पहुंचे और सहभागिता की. इस समापन के अवसर पर आश्रम में विशाल साधु भंडारा का आयोजन किया गया |

ALSO READ:  जयेन्द्र रमोला बने युवा कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के चुनाव आयुक्त

जिसमें कैलाश आश्रम, राजस्थान आश्रम, स्वर्ग आश्रम ,हरहर कैलाश पीठ , आनंद आश्रम, राम आश्रम के साधु संतों ने गुरुजी स्वामी समर्पण आनंद जी को आशीर्वाद दिया और मौन ब्रत को पान और मधु खिला कर समाप्त किया. इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन तुलसी मानस मंदिर से महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने किया. गोपाल बाबा स्वामी. विष्णु स्वामी. गोपाल आनंद , स्वामी आदित्य. महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि इस वर्ष 2000 के को तपोवन ने पञ्चाग्नि साधना धूम-धाम से संत महात्माओं के प्रवचन के द्वारा देश विदेश के साधकों मैं भी संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया जिसमें मारिया स्पेनिश, मयूरी, विशिलाना मीका रोबोट, योगाचार्य कपिल, राजकुमार, राधिका, प्यारे,गणेश नेगी, दिनेश, किरण देवी क्षेत्रः पंचायात,प्रधान भगवान सिंह पुंडरी , राजेन्द्र नेगी ट्रस्टी सदस्य, नरेंद्र बिष्ट वार्ड सदस्य, अजय सागर, स्वामी भावात्मनन्द, स्वामी शंकराचार्यनंद, स्वामी ओकारानंद ,स्वामी विश्वरुपानंद, रविंद्र आदि उपस्थित थे

Related Articles

हिन्दी English