ऋषिकेश : देश भर के मंदिर प्रबंधकों को श्री भरत मंदिर आ कर देखना और सीखना चाहिए कैसे प्रबंधन होता है : शंकराचार्य  स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

यात्री को यात्रा से पहले और यात्रा के बाद श्री भरत मंदिर भगवान् के दर्शन करना चाहिए : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

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  • भरत मंदिर परिसर पहुंच कर और श्रीभरत मंदिर के दर्शन कर काफी खुश दिखे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
  • कहा देश भर के मंदिर प्रबंधकों को यहाँ आ कर प्रबंधन कैसे किया जाता है सीखना चाहिए : शंकराचार्य  स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
  • यात्री को यात्रा से पहले और यात्रा के बाद श्री भरत मंदिर भगवान् के दर्शन करना चाहिए : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
ऋषिकेश :(मनोज रौतेल)  शनिवार को  श्री भरत मंदिर झंडा चौक में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य  स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती  ने भगवान श्री हृषिकेश नारायण भरत जी महाराज के दर्शन किए. उसके पश्चात भक्त जनों को उन्हूने आशीर्वाद दिया. इस अवसर पर,  श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य  महाराज के द्वारा शंकराचार्य  महाराज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती  महाराज का भव्य स्वागत किया गया. शंकराचार्य   ने कहा कि हृषिकेश ऐसा स्थान है जहां पर स्वयं भगवान नारायण विराजमान हैं.  हर्षिकेश का अर्थ है इंद्रियों को जीतने वाला अर्थात अपनी इंद्रियों को वश में रखना. जिसने अपनी इन्द्रियों को वश में कर लिया, वह व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर लेता है । उसे कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है.
उसे श्री भरत मंदिर में ही श्री बद्रीनाथ जी भगवान के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं. साथ ही शंकराचार्य  महाराज ने बताया कि भारतवर्ष के सभी मंदिरों के प्रबंधकों को श्री भरत मंदिर की प्रबंध समिति से प्रेरणा लेनी चाहिए. उन्हें यहाँ आना चाहिए देखना चाहिए कैसे प्रबंधन होता है. साफ सफाई रखी जाती है.   मंदिरों का रखरखाव किस प्रकार किया जाता है.  धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत की शिक्षा भी श्री भरत मंदिर के द्वारा दी जाती है ।  स्वच्छता किस प्रकार की जाती है  वह काफी अच्छी है. जो भव्यता स्वच्छता और दिव्यता इस मंदिर में देखने को मिलती है वह वास्तव में बहुत अनुसरणीय है । शंकराचार्य  महाराज ने कहा  कि हमें गौ माता की रक्षा और गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए. इसके लिए  निरंतर कार्य करना चाहिए.  तभी भारतवर्ष विश्व गुरु बन पाएगा.  सभी प्राणियों में सद्भावना और प्रेम का विकास हो पाएगा. अंत में शंकराचार्य जी महाराज के द्वारा सभी भक्तजनों को प्रसाद भी वितरण किया गया।इस अवसर पर महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य  महाराज, हर्षवर्धन शर्मा,वरुण शर्मा,  तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य,दीप शर्मा ,जगमोहन सकलानी ,भगत राम कोठारी, यमुना प्रसाद त्रिपाठी ,राजेंद्र बिष्ट, गीता कुकरेती, रंजन अंथवाल, निधि चतुर्वेदी, जयेंद्र रमोला  संस्कृत महाविद्यालय के छात्र,और भक्तजन आदि उपस्थित थे।

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