ऋषिकेश : सूफी एवं आध्यात्मिक गायक पद्मश्री कैलाश खेर ने परमार्थ निकेतन से ली विदा, दोनों के बीच उत्तराखंड के बच्चों के लिए संगीत का मंच तैयार करने पर हुई चर्चा

- स्वामी चिदानन्द सरस्वती से आशीर्वाद लेकर अपनी आगामी देशयात्रा, विदेश यात्रा और जीवन यात्रा की शुरूआत की
- कैलाश खेर भारतीय संगीत और संस्कारों से सुसज्जित दिव्य संगीत का बिखेर रहे हैं जादू
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती और कैलाश खेर के बीच चर्चा हुई कि आज के इस युग ने जिन बच्चों को संगीत का मंच प्राप्त नहीं होता है, संगीत का प्रशिक्षण नहीं मिल पाता उन्हें संगीत का मंच प्रदान किया जाये ताकि उनके भी अधूरे स्वप्न पूरे हो सके
ऋषिकेष : सूफी व आध्यात्मिक गायक पद्मश्री कैलाश खेर ने परमार्थ निकेतन से स्वामी चिदानन्द सरस्वती का आशीर्वाद लेकर विदा ली।
भारतीय आध्यात्मिक व सूफी संगीत की गंगा हमेशा बहाते रहे, गंगा के तट से संगीत की गंगा सदैव प्रवाहित होती रहे इसी आशीर्वाद के साथ स्वामी ने कैलाश खेर को परमार्थ निकेतन से विदाई दी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती और कैलाश खेर के बीच चर्चा हुई कि आज के इस युग ने जिन बच्चों को संगीत का मंच प्राप्त नहीं होता है, संगीत का प्रशिक्षण नहीं मिल पाता उन्हें संगीत का मंच प्रदान किया जाये ताकि उनके भी अधूरे स्वप्न पूरे हो सके। इस पर भी योजना बनायी जा रही है।स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड के बच्चों को भी संगीत के आसमान में उड़ान भरने का अवसर प्राप्त हो सके, वे भी संगीत के आसमान की ऊँचाईयों को छू सके, फर्श से वे अर्श तक पहंुचे।
स्वामी ने कहा कि वर्तमान समय में संगीत के मंच से पौधारोपण, पौधों का संरक्षण व जल बचाने की मुहिम, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करने का संदेश प्रसारित करने की आवश्यकता है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि अपने कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, क्लाइमेंट चेंज, व ग्लोबल वार्मिग के प्रति जनसमुदाय को जागरूक करते रहे। जनसमुदाय को प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते रहे ताकि सभी के प्रयासों से ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज न केवल मानव हेल्थ बल्कि पर्यावरण के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है इससे खाद्य असुरक्षा और गर्मी से संबंधित अन्य बीमारियों के जोखिम बढ़ते जा रहे है। जलवायु परिवर्तन सामाजिक और पर्यावरणीय दोनों कारकों को प्रभावित कर रहा है जिसके कारण वैश्विक स्तर पर स्वच्छ वायु, सुरक्षित पेयजल, पर्याप्त भोजन और सुरक्षित आश्रय का अभाव होता जा रहा है।ग्लोबल वार्मिग के कारण तेजी से बढ़ते तापमान से विशेष रूप से कमजोर आबादी, अधिक उम्र के वयस्कों और एक से कम उम्र के बच्चों को हीटवेव प्रभावित कर रही है। बदलती जलवायु संक्रामक रोग के प्रसार को प्रभावित कर रही है, उभरती हुई बीमारियों और महामारी के जोखिम को बढ़ा रही है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भविष्यवाणी की है कि 2030 और 2050 के बीच, जलवायु परिवर्तन से कुपोषण, मलेरिया, डायरिया और गर्मी के तनाव से प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 अतिरिक्त मौतें होने की संभावना है इसलिये जरूरी है कि प्रत्येक मंच से पर्यावरण व प्रकृति के प्रति जागरूकता के संदेश प्रसारित किये जाये ताकि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके।