ऋषिकेश : सरकारी हॉस्पिटल (SPS) पहुंची देहरादून से NQAS की टीम, किया हॉस्पिटल का निरिक्षण, ली जानकारी, 10 मार्च को आएगी दिल्ली से टीम

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ऋषिकेश : राजकीय चिकित्शालय पहुंची आज NQAS (National Quality Assurance Standards ) देहरादून की दो सदस्यों की टीम. टीम ने इस दौरान सीएमएस और हॉस्पिटल के मेडिकल स्टाफ के साथ बैठक की उसके उपरान्त वार्ड, नर्सिंग स्टाफ रूम OT व् अन्य जगहों का निरिक्षण किया. इस दौरान स्टाफ से जानकारी जुटाई और कई अहम निर्देश दिए गए. NQAS के अनुसार अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण सेवाएं, सुविधाएं और साफ-सफाई मुहैया करवानी है। इन तमाम प्रयासों की बदौलत NQAS-नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्यूएएस) का दर्जा मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद स्पेशल फंड मिलेगा। इसका इस्तेमाल मरीजों को उच्च स्तरीय सेवाएं उपलब्ध करवाने में होगा। देहरादून से आयी टीम में डॉक्टर अमित और डॉक्टर संतोष भास्कर थे. उनके साथ ऋषिकेश से सीएमएस डॉक्टर रमेश सिंह राणा भी रहे मौजूद. डॉक्टर अमित ने जानकारी दी NQAS की टीम आगामी 10 मार्च को दिल्ली से आएगी उससे पहले हॉस्पिटल का निरिक्षण कर जो भी कमियां हैं उनको पूरा करने के निर्देश भी दिए गए. NQAS मतलब National Quality Assurance Standards है. इसके अंतर्गत जो भी हॉस्पिटल आते हैं उनको स्पेशल फण्ड केंद्र से मिलता है साथ ही स्वस्थ्य सेवाएँ भी बिकसित की जाती हैं. अगर ऋषिकेश का यह सरकारी हॉस्पिटल NQAS के मुताबिक़ सेलेक्ट हुआ तो सरकारी हॉस्पिटल के दिन फिरने में देर नहीं लगेंगे. शहर वासियों के लिए बड़ी बात होगी.

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अस्पतालों का आकलन निम्न आधारों पर किया जाता है-

  1. प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर अस्पतालों में उपयोग के लिए उपलब्ध बिस्तरों की संख्या,
  2. डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल कर्मचारियों का अनुपात,
  3. आवश्यक दवाओं की स्टॉक आउट दर,
  4. ब्लड बैंक प्रतिस्थापन दर और
  5. पोस्ट-सर्जिकल इन्फेक्शन रेट

पहल का महत्व-

  1. स्वास्थ्य परिणामों पर ध्यान केंद्रित करना: अस्पतालों को अत्यधिक मात्रा में आवंटित धन के बावजूद उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कोई व्यापक प्रणाली नहीं थी। यह पहल उनके परिणामों की माप कर बेहतर स्वास्थ्य देखभाल वितरण सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
  2. सरकारी अस्पतालों के मध्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले अस्पतालों को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  3. एक बार सरकारी अस्पतालों में कुशल स्वास्थ्य देखभाल वितरण की सुविधाएं हो जाने के पश्चात्स्वा स्थ्य देखभाल तक पहुंच में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना।
  4. निजी क्षेत्र पर निर्भरता को कम करना, जिससे रोगियों के आउट ऑफ़ पॉकेट व्यय को कम किया जा सके।
  5. अस्पतालों का उन्नत डेटाबेस जो नीति निर्माताओं को विभिन्न अस्पतालों की अवसंरचना, कर्मचारियों और वित्तपोषण में निवेश पर बेहतर तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता कर सकता है।
  6. रोगी फीडबैक: सूचकांक रोगियों से फीडबैक प्राप्त करेगा और इसमें रोगी की संतुष्टि के लिए उच्च भार निर्धारित किया गया है। इस प्रकार उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में एक हितधारक बनाया गया है।

अस्पतालों के प्रदर्शन की निगरानी हेतु सूचकांक-
नीति आयोग द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर ‘हेल्थ ऑफ़ अवर हॉस्पिटल’ सूचकांक के माध्यम से जिला अस्पतालों की रैंकिंग शुरू की गयी है। इसका लक्ष्य जिले के लोगों को उचित गुणवत्ता वाली व्यापक द्वितीयक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना और लोगों एवं रेफेरिंग केंद्रों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी और संवेदनशील होना है।

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वहीँ निरिक्षण के दौरान सरकारी हॉस्पिटल के सीएमएस डॉक्टर रमेश सिंह राणा, नीरज गुप्ता व् अन्य मेडिकल स्टाफ रहा मौजूद.

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