ऋषिकेश : जी 20 शिखर सम्मलेन की आध्यात्म से हुई शुरुआत, परमार्थ निकेतन में गंवा5 आरती कर माँ गंगा का लिया विदेशी मेहमानों ने आशीर्वाद

ख़बर शेयर करें -
  • उत्तराखंड में ऋषिकेश के पास नरेंद्र नगर में  होने वाली वर्किंग ग्रुप ऑन एंट्री करप्शन मीटिंग शेरपा ट्रैक के माध्यम से 13 कार्य समूह और 3 इनिशिएटिव के अन्तर्गत हो रही है

ऋषिकेश: गंगा किनारे स्थित परमार्थ निकेतन में विश्व विख्यात गंगा आरती में जी-20 प्रतिनिधियों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, ग्लोबल इंटफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में सहभाग किया।

बुधवार देर शाम परमार्थ निकेतन में हुई भव्य गंगा आरती से सन्देश गया, जिससे पूरे विश्व में संस्कार भी बढ़ेगा; संस्कृति भी बढ़ेगी और आपसी संबंधों के सेतु बनेगे जो केवल अध्यात्म से ही सम्भव है. क्योंकि अध्यात्म से बढ़कर कोई दूसरा सेतु नहीं है। जहां सर्वे भवन्तु सुखिनः की संस्कृति का सम्मान है वही शान्ति और समन्वय है।उत्तराखण्ड के ऋषिकेश क्षेत्र में भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह की दूसरी जी-20 बैठक के लिए विश्व के 20 देशों के अनेकों प्रतिनिधियों ने सहभाग किया। आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्य के साथ वसुधैव कुटुम्बकम् ‘विश्व एक परिवार’ के दिव्य सूत्र को चरितार्थ करने वाली माँ गंगा आरती में सहभाग कर जी-20 प्रतिनिधियों को अद्भुत, अलौकिक व अविस्मरणीय आनन्द की प्राप्ति हुई। स्वामी ने कहा कि यह तो एक शुरूआत है यह जी-20 से जी-ऑल की यात्रा है। आज 20 देश है और आने वाले दिनों में 200 देश यहां पर आकर भारत की संस्कृति का आनन्द लेगे. यही तो है वसुधैव कुटुम्बकम्, यही तो है विश्व एक परिवार है। सच मानें यही एक मंत्र है, जहां सारी समस्याओं का समाधान है. जहां सब का सम्मान है और सब समान है।

सद्भाव, समरसता और समन्वय की संस्कृति और विविधता में एकता यही तो है भारत की सांस्कृतिक विशेषता है. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वैश्विक परिवार को संबोधित करते हुये उद्घोष किया कि अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्। वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार है, जो भारतीय संस्कृति की नींव में समाहित है। भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध संस्कृति है. जिसका वेदों से विमान तक और उपनिषदों से उपग्रहों तक विस्तृत है। भारतीय संस्कृति को जानने, समझने और जीने के लिये वसुधैव कुटुम्बकम् के दिव्य सूत्रों के वास्तविक मूल को समझना होगा।

डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा आरती पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में वर्ष 1997 में शुरू की गयी थी. जिसे वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त है। माँ गंगा के पावन तट से गंगा आरती के माध्यम से सतत और सुरक्षित भविष्य हेतु जनसमुदाय को जागृत किया जाता है। हम सभी एक साथ मिलकर अपनी ऊर्जा, अनुभव, प्रभाव, समय, समझ, प्रतिभा और दृढ़ता का उपयोग कर एक सतत, सुरक्षित, टिकाऊ, और शान्तिपूर्ण दुनिया के निर्माण में अपना योगदान प्रदान करें। माँ गंगा से हमें आशीर्वाद और प्रेरणा मिलती है। माँ गंगा अपनी 2525 किलोमीटर की यात्रा में कहीं कहीं तो उनका पाट अत्यंत चौड़ा है. परन्तु कही बिल्कुल छोटा है, कहीं प्रवाह गहरा है; कही शान्त, कहीं उछलती है तो कही जल अत्यंत कम है. ऐसा ही हमारे जीवन में भी है. परन्तु माँ गंगा हर परिस्थति में अपने लक्ष्य गंगा सागर की ओर बढ़ती है। वैसे ही हम अपने जीवन में अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे क्योंकि यही हमारे जीवन का धर्म है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में जी-20 प्रतिनिधियों ने सतत, सुरिक्षत और टिकाऊ भविष्य के हरित निर्माण का संकल्प लिया। परमार्थ परिवार की ओर से हिमालय की दिव्य और हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा, हिमालयन हल्दी और अन्य सतत व टिकाऊ वस्तुयें भेंट स्वरूप प्रदान की जो उत्तराखंड की संस्कृति और जीवंतता को दर्शाती हैं।

ALSO READ:  नेशनल गेम्स...फूलचट्टी में होने वाली “सलालम प्रतियोगिता” के दृष्टिगत अपर पुलिस अधीक्षक कोटद्वार  चन्द्रमोहन सिंह ने किया ब्रीफ पुलिस बल को

ऊर्जावान, यशस्वी और तपस्वी माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी, नेतृत्व में पूरा देश आकार ले रहा हैं इसी श्रंखला में उत्तराखंड, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में गंगा आरती हो रही है। स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड में जी-20 की बैठक भी रखी तो एक गांव ’औणी’ में मुझे तो लगता है ‘औणी गांव उव्वल गांव’ अर्थात हर गांव आत्मनिर्भर बने. हर व्यक्ति आत्मनिर्भर बनंे। बी वोकल फार लोकल की बात है उसी लोकल को आगे लाने के लिये प्रत्येक को आगे आना होगा क्योंकि इससे प्यार बढेगा, रोजगार बढ़ेगा, व्यापार बढ़ेगा साथ ही साथ एक-दूसरे की संस्कृतियों के प्रति सम्मान बढ़ेगा और आत्मनिर्भर गांवों के लिये एक आधार मिलेगा। स्वामी ने कहा कि माना गांव जिसे हम अन्तिम गांव मानते थे उसे माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह अन्तिम गांव नहीं है बल्कि पहला गांव है, यह एक सोच है इस सोच को प्रणाम और इसी श्रंखला में लगे हैं हमारे ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी और पूरा प्रशासन उनके नेतृत्व में अद्भुत रूप से लगा है ताकि प्रदेश को एक नयी पहचान मिले और देश का पूरे विश्व में सम्मान बढ़ें। इस हेतु स्वामी ने कर्मयोगी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उन्मुक्त कंठ और खुले हृदय से प्रशंसा की।

रात्रिभोज में उत्तराखंड का मोटा अनाज मीलेट्स परोसा गया-

जी-20 प्रतिनिधियों को रात्रिभोज में उत्तराखंड का मोटा अनाज मीलेट्स परोसा गया ताकि उत्तराखंड की संस्कृति के साथ मोटे अनाज को वैश्विक पहचान मिल सके. साथ ही सभी को रूद्राक्ष के पौधे उपहार स्वरूप में भेंट किये. इस अवसर पर सभी ने कल्चर, नेचर और फ्यूचर को बचाने का संकल्प लिया। इस माध्यम से परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के इस अद्भुत गंगा तट ने पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि देवात्मा हिमालय और उत्तराखंड की धरती ‘विश्व एक परिवार की धरती है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मुझे गौरव है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जिस ऊर्जा और उत्साह के साथ जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डा आशीष चौहान और वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक श्वेता चौबे, सभी अधिकारियों और सभी विभागों ने जिस प्रकार कार्य किया वह अद्भुत है। न केवल पौड़ी जिले में बल्कि पल्लीपार टिहरी और देहरादून जिले के अधिकारियों के मध्य जिस प्रकार का समन्वय देखने को मिल रहा है. वह गौरव का विषय है. उसके लिये सभी का अभिनन्दन। वास्तव में यह उत्तराखंड के लिये शानदार ऐतिहासिक पल है इन दिव्य पलों में हमारे वैश्विक अतिथियों का अभिनन्दन। इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट,  वित्त मंत्री उत्तराखंड सरकार प्रेमचंद अग्रवाल, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, सहकारिता विभाग डा धनसिंह रावत, कृषि मंत्री, उत्तराखंड, सुबोध उनियाल , विधायक, यमकेश्वर विधानसभा रेनू बिष्ट, महापौर ऋषिकेश अनिता ममगाईं और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।

ALSO READ:  ऋषिकेश बसंत उत्सव...मटकी फोड़ प्रतियोगिता में सरस्वती विद्या मंदिर (SVM) आवास विकास ने प्रथम स्थान प्राप्त किया

ये देश हैं शामिल-

जी-20 में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

उत्तराखंड में ऋषिकेश के पास नरेंद्र नगर में  होने वाली वर्किंग ग्रुप ऑन एंट्री करप्शन मीटिंग शेरपा ट्रैक के माध्यम से 13 कार्य समूह और 3 इनिशिएटिव के अन्तर्गत हो रही है। जी-20 सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी है। जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जी-20 भ्रष्टाचार-रोध कार्य समूह (एसीडब्ल्यूजी) की स्थापना 2010 में की गई थी। भ्रष्टाचार-रोध कार्य समूह भ्रष्टाचार-रोध के संबंध में जी-20 नेताओं को रिपोर्ट करता है तथा इसका इसका लक्ष्य भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए जी-20 देशों की विधिक प्रणालियों के बीच न्यूनतम साझा मानक स्थापित करना है।यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सत्‍यनिष्‍ठा और पारदर्शिता, रिश्वतखोरी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, संपत्ति की वसूली, लाभकारी स्वामित्व संबंधी पारदर्शिता, असुरक्षित क्षेत्रों और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है। शुरुआत में जी-20 व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, परंतु बाद में इसके एजेंडे में विस्तार करते हुए इसमें व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार-विरोध शामिल किया गया।

Related Articles

हिन्दी English