ऋषिकेश : जिला बनाया जाए ऋषिकेश…अंतरराष्ट्रीय गढवाल महासभा (AGM) ने उठाई मांग

विकसित विकास के लिए ऋषिकेश को जिला बनाना आवश्यक : डॉ राजे सिंह नेगी

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ऋषिकेश : तीर्थ नगरी ऋषिकेश को जिला बनाने की मांग फिर से उठने लगी है. इस बार अंतरराष्ट्रीय गढवाल महासभा (AGM) ने उठाई है. वर्तमान में ऋषिकेश देहरादून जिले के अंतर्गत आता है. ऋषिकेश एक तहसील है. महासभा के अध्यक्ष और वाजिब मांग उठाने वाले अंतरराष्ट्रीय गढवाल महासभा अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि नगर निगम बनने के बावजूद जिस विकास का सपना शहरवासियों ने देखा था उसमें साढ़े तीन वर्ष बीतने के बावजूद अब तक पंख नही लग पाये हैं.

तीन जिलों में बंटे ऋषिकेश को प्रशासनिक सुविधाओं के लिहाज से जिला बनाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि यह मांग काफी समय से की जा रही है उनकी संस्था व्यवस्था परिवर्तन मंच द्वारा पूर्व में भी ऋषिकेश को जिला बनाये जाने की मांग को लेकर लगातार पांच दिनों तक धरना एवं प्रदर्शन किया गया था। लेकिन सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि तीर्थनगरी का ऋषिकेश, तपोवन एवं शिवपुरी, स्वर्गाश्रम,लक्ष्मणझूला क्षेत्र अलग-अलग जनपदों के भाग होने के कारण भौगोलिक समानता की वजह से प्रशासनिक असमानता का दंश झेल रहे हैं।

इन सभी क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर पृथक जनपद सृजित किया जाना समय की मांग है। ऋषिकेश आने वाले देश व दुनिया के लोग यहां की अलग-अलग प्रशासनिक व्यवस्थाओं के कारण परेशान होते हैं। जिला मुख्यालयों की दूरी अधिक होने से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश व आसपास क्षेत्र में साहासिक पर्यटन सहित कुंजापुरी मंदिर , नीलकंठ महादेव मंदिर जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं, जिन्हें एक ही प्रशासनिक ढांचे में बांधने की जरूरत है। नेगी ने कहा कि महासभा का एक प्रतिनिधि मंडल देहरादून जाकर जल्द ही सूबे के मुखिया के सम्मुख इस मांग को रखेगा एवं जरूरत पड़ी तो जनआंदोलन भी करेगा।

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तीन जिलों से घिरा है ऋषिकेश-
ऋषिकेश के अजीब स्थित हो जाती है कई बार, घटना, कार्यक्रम होता है दूसरे जिले में तो वाहवाही या बदनामी ऋषिकेश को झेलनी पड़ती है. मसलन, शिवपुरी या मुनि की रेती में कोई घटना होने पर ऋषिकेश का नाम लिया जाता है. ऐसे ही उन क्षेत्रों के साथ है. ऋषिकेश की भौगोलिक स्थित की बात करें तो ऋषिकेश बाजार से आगे टिहरी जिला लग जाता है. विश्व प्रसिद्द राम झूला, लक्षण झूला और जानकी पुल तीनों ही टिहरी जिले में और पौड़ी जिले में आते हैं. तपोवन क्षेत्र भी टिहरी में पड़ता है. जबकि टिहरी जिले के नरेंद्र नगर तहसील, पौड़ी जिले के यमकेश्वर तहसील को मिलकर ऋषिकेश जिला बनाया जा सकता है. ऐसे में यहाँ रहने वाले ग्रामीणों को भी हेड क्वार्टर तक जाने में सुगमता होगी. ऋषिकेश को भी जगह मिल जाएगी. लेकिन सुने कौन ? हर बात के लिए आंदोलन सही नहीं है…

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तीन जिले अब तक नहीं बने ?
राज्य में तीन जिले बनने थे काफी वर्षों से लंबित पड़ा है यह मामला. इनमें से अल्मोड़ा में रानीखेत, पौड़ी में कोटद्वार और पिथौरागढ़ में डीडीहाट है. ये रानीखेत, डीडीहाट और कोटद्वार जिले बनने थे लेकिन आज तक नहीं बन पाए. कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की सरकारें रहीं और भाजपा की तो दूसरी बार सरकार बन गई हैं. इसमें एक जिला और मांग रहा है आज के समय के अनुसार, वह है गैरसैंण. जब ग्रीष्म कालीन राजधानी बना दी गई है गैरसैंण जिला बनना उसका हक़ भी है. ऐसे में ऋषिकेश जिले की मांग को उचित कहा जा सकता है. अब वर्तमान हुक्मरानों की नजर इस तरफ पड़ती है या नहीं देखने वाली बात होगी.

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