ऋषिकेश : मुख्यमंत्री धामी परिवार सहित पहुंचे परमार्थ निकेतन, गंगा आरती में किया सहभाग

- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गीता धामी व उनके सुपुत्रों का 11 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आगमन
- विश्व विख्यात गंगा आरती में किया सहभाग
- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, डा साध्वी भगवती सरस्वती और विश्व के 25 से अधिक देशों से आये उच्चायुक्तों, राजदूतों और गणमान्य विभूतियों से की भेंटवार्ता
- 11वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस पर गूंजा योग और संगीत का दिव्य संदेेश
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर किया अभिनन्दन


इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों और देशवासियों से आह्वान किया कि योग और संगीत को केवल एक दिन का उत्सव न मानें, इसे जीवन का अंग बनाएं। योग हमारे विचारों को निर्मल करता है, और संगीत हमारे हृदय को शांत करता है। जब यह दोनों जीवन में समाहित होते हैं, तो भीतर एक दिव्य समरसता जन्म लेती है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योग केवल आसन या प्राणायाम नहीं है, यह एक समग्र जीवनशैली है। जब हम स्व के साथ जुड़ते हैं, तभी हम समष्टि की सेवा कर सकते हैं। वन अर्थ, वन हैल्थ तभी सार्थक हो सकता है जब हम प्रकृति, जल, वायु, मिट्टी और समस्त जीवन स्रोतों की भी उतनी ही चिंता करें जितनी अपने स्वास्थ्य की करते हैं। यदि धरती स्वस्थ है तो हम और हमारा भविष्य भी स्वस्थ रह सकता है। स्वामी ने कहा कि जब हम पृथ्वी को केवल उपभोग की वस्तु नहीं, बल्कि एक जीवित चेतना मानते हैं, तभी उसके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी रह सकते हैं। जब मानव और प्रकृति एक-दूसरे के पूरक बन जाएँ, तब ही हम सच्चे अर्थों में वन अर्थ, वन हैल्थ को पाएँगे। यह केवल नीति नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की दैनिक साधना और जिम्मेदारी होनी चाहिए।
डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि संगीत और योग आत्मा की दो भाषाएं हैं। दोनों हमें आंतरिक शांति और बाह्य संवेदना प्रदान करते हैं। आज के समय में जब तनाव और भटकाव बढ़ रहा है, तब योग और संगीत हमें भीतर से जोड़ने का कार्य करते हैं।परमार्थ निकेतन, गंगा तट पर हुए इस अद्वितीय योग एवं संगीत महोत्सव में, सम्मिलित सभी अतिथियों, साधकों, छात्रों और शिक्षकों ने गंगा आरती के पश्चात हुई विश्व शांति हेतु प्रार्थना की और सभी ने मिलकर धरती के कल्याण, जल संरक्षण, प्रदूषण को रोकने का संकल्प किया।आज की दिव्य गंगा आरती में योग, संगीत और प्रकृति का संगम देखने को मिला, जो वन अर्थ, वन हैल्थ का संदेश दे रही हैं।