ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती ने अमेरिका के डीजीबी पिट्सबर्ग इंडियन सीनियर सेंटर में आयोजित समारोह में सहभाग कर प्रवासी भारतीय परिवारों, वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्ति जनों को सम्बोधित किया
सेवानिवृत्त, वरिष्ठ नागरिकों और जिन दम्पति की कोई संतान नहीं उन्हें समर्पित है डीजीबी

- माता-पिता बोझ नहीं वरदान-गप करने का नहीं जप करने का समय, लर्न, अर्न एंड रिटर्न : स्वामी चिदानंद सरस्वती
ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सामाजिक जुड़ाव, शारीरिक कल्याण, आध्यात्मिक उत्थान, सांस्कृतिक जुड़ाव, शैक्षिक शिक्षा और सामुदायिक भागीदारी सहित बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये प्रवासी भारतीयों को किया प्रेरित.
ऋषिकेश में परमार्थ के PRO सेक्सन ने जानकारी देते हुए बताया, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती ने अमेरिका में डीजीबी पिट्सबर्ग इंडियन सीनियर सेंटर में आयोजित समारोह में सहभाग कर प्रवासी भारतीय परिवारों, वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्ति जनों को सम्बोधित किया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अपने उद्बोधन में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुये कहा कि आपने पहले स्कूलों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण की, डिग्री प्राप्त की, कमाई की और अब समय आ गया है कि अपना टाइम, टैलेंट और टेक्नालाजी जो भी आपने प्राप्त किया उसे समाज को रिटर्न करे।
वेदों में उल्लेखित है कि ‘‘शतहस्त समाहर सहस्र हस्त संकिरा’’ सौ हाथों से कमाओ और हजार हाथों से लगाओ, क्योंकि साथ में कुछ भी नहीं जाना है, सब यही रह जाना है इसलिये जो भी है उसे समाज की सेवा में लगाये। स्वामी जी ने कहा कि अमरीका आपकी कर्मभूमि है और भारत आपकी मातृभूमि है इसलिये भारत माता के उन गांवों में जहां आपने जन्म लिया है वहां पर शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण के क्षेत्र में सम्पत्ति को लगाये, इससे सम्पत्ति भी सफल होगी, संतति को भी प्रेरणा मिलेगी और गांवों की समृद्धि व विकास आसमान छू सकेगा और एक नये भारत का निर्माण सम्भव हो सकेगा।समाज की सभी क्षेत्रों यथा भारतीय डाक्टर, प्रोफेसर, इंजिनियर्स जिन्होंने अपने क्षेत्र में अद्भुत कार्य करते हुये भारत का नाम रोशन किया हैं उन सभी का स्वामी जी ने अभिनन्दन करते हुये कहा कि आप सभी भारत की शान है, अपनी कर्मभूमि पर कर्म करते हुये अपनी मातृभूमि को न भूले।
पर्यावरण का अलख जगाने वाले संत स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पिट्सबर्ग की धरती पर पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर अनेकों प्रवासी भारतीयों ने संकल्प लिया कि गंगा जी दर्शन, गंगा आरती में सहभाग कर उत्तराखंड व भारत का दर्शन कर अपने संस्कार और संस्कृति को अपने दिलों में सदैव जीवंत बनाये रखेंगे।डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि वृद्धवस्था में आध्यात्मिकता की जरूरत अधिक होती है क्योंकि आध्यात्मिकता ही हमारे साथ जाती है और शरीर यहीं रहा जाता है। हमारे संबंध, पहचान, जिन्हें भी हम जानते है और जो भी हमने कमाया है वह सब यहीं पर रहा जाता है, हमारे साथ केवल आध्यात्मिकता ही जाती है। आध्यात्मिकता होकर अन्तिम सांस लेने से पहले हम अपनी आत्मा को जान सकते है और अगर हम आध्यात्मिक है तो वहीं विचार हमारे साथ जायेंगे बाकी सब यही रह जाता है इसलिये लर्न, अर्न और रिटर्न के मंत्र को सदैव याद रखे।
डीजीबी पिट्सबर्ग इंडियन सीनियर सेंटर सेवानिवृत्ति व वरिष्ठ नागरिकों का एक विशाल घर के समान है। भारतीय मूल के वरिष्ठ नागरिकों को सेवानिवृत होने के बाद अकेले नहीं रहना पड़े तथा पिट्सबर्ग में रहते हुये उनकी वृद्धावस्था की चुनौतियाँ को कम करने के लिये पिट्सबर्ग में समुदाय की सेवा हेतु इस केंद्र की स्थापना की गयी। भारतीय अप्रवासी, जो 1960 और 1970 के दशक में शिक्षा और काम के अवसरों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका आए थे, वे अपने बच्चों और पोते-पोतियों के प्रति लगाव के कारण भारत वापस नहीं लौट पाते उनके लिये डीजीबीपी एक घर की तरह है। यहां आकर सभी आरामदायक महसूस कर सके और घर जैसा महसूस कर सके।