ऋषिकेश : “सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट वर्कशॉप” के आयोजन में भागीदारी की NSS पीजी कॉलेज के 125 स्वयंसेवियों ने

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ऋषिकेश : सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट वर्कशॉप आयोजित हुई जिसमें पीजी कॉलेज ऋषिकेश के स्वयंसेवियों ने की शिरकत. सभी ने जाना क्या होता है यह और इसकी क्या भूमिका है. कितनी खतरनाक चुनौती यह बनता जा रहा है ?

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दरअसल, ऋषिकेश श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश में सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर संत कबीर चौराहा आश्रम मुनी की रेती ऋषिकेश के सत्संग भवन में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट वर्कशॉप का आयोजन किया गया. प्रोजेक्ट अविरल, जर्मन डेवलपमेंट एजेंसी, नगर निगम ऋषिकेश, साहस एनजीओ बेंगलुरु, वेस्ट वॉरियर्स एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के संयुक्त तत्वाधान से किया गया. कार्यक्रम में संस्था की तरफ से आये विषय विशेषज्ञ राहुल मक्कड़ एवं नेहा ठाकुर कार्यशाला में उपस्थित हुए.

राहुल मक्कड़ ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन भारत ने बहुत बड़ी समस्या का रूप ले रहा है क्योंकि शहरीकरण औद्योगिकरण और आर्थिक विकास के परिणाम स्वरूप शहरी कूड़े करकट की मात्रा बहुत बढ़ गई है बढ़ती जनसंख्या और लोगों के जीवन स्तर में सुधार से यह समस्या और जटिल हुई है नेहा ठाकुर ने में कहा अपशिष्ट से न केवल पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह समाज पर आर्थिक बोझ को भी बढ़ाता है। इसके अलावा अपशिष्ट प्रबंधन में भी काफी धन खर्च होता है। अपशिष्ट संग्रहण, उसकी छंटाई और पुनर्चक्रण के लिये एक बुनियादी ढाँचा बनाना अपेक्षाकृत काफी महंगा होता है, हालाँकि एक बार स्थापित होने के पश्चात् पुनर्चक्रण के माध्यम से धन कमाया जा सकता है और रोज़गार भी सृजित किया जा सकता है।

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वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ अशोक कुमार मेंदोला ने अपने संबोधन में कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए देश के विभिन्न भागों में इस दिशा में पहल की जा रही है परंतु अभी भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी हैI बढ़ते शहरीकरण और उसके प्रभाव से निरंतर बदलती जीवनशैली ने आधुनिक समाज के सम्मुख घरेलू तथा औद्योगिक स्तर पर उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट के उचित प्रबंधन की गंभीर चुनौती प्रस्तुत की है। वर्ष-दर-वर्ष न केवल अपशिष्ट की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि प्लास्टिक और पैकेजिंग सामग्री की बढ़ती हिस्सेदारी के साथ ठोस अपशिष्ट के स्वरूप में भी बदलाव नज़र आ रहा है।

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इस अवसर पर डॉ प्रीति खंडूरी, डॉ पारुल मिश्रा ने भी संबोधित किया अमित रतूड़ी, निजाम आलम, जानवी मिश्रा, सुधांशु, मनीषा, रोहित कुकरेती, ऋषि शर्मा, सूरज कुमार, स्वाति सेमवाल,जानवी शाह, एकता, तनु, दीपांशु, अमीषा, रितिक पोखरियाल, गुलशन, अंजलि पैन्यूली, अंजलि, मनीषा सेमवाल, संध्या, मोनिका, पूनम, स्वाति नेगी, नीलम नौटियाल के साथ 125 स्वयंसेवियों ने प्रतिभाग किया ।

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