ऋषिकेश : शस्त्र और शास्त्र के पूजन के साथ हुई माँ शबरी रामलीला की पूर्णाहुति, महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले गजेन्द्र चौहान और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग

भारत के विभिन्न राज्यों से आये जनजाति, आदिवासी कलाकार गंगा जी के तट पर माँ शबरी रामलीला का मंचन कर हुये गद्गद

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  • माँ शबरी रामलीला की पूर्णाहुति के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले गजेन्द्र चौहान न्यूज और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग
  • स्वामी चिदानन्द सरस्वती  के पावन सान्निध्य में जाना जीवन का वास्तविक उद्देश्य
  • जल की हर बंूद व यहां के कण-कण में श्रीराम…आतंक का एक ही समाधान ‘‘अध्यात्म’’-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश :परमार्थ निकेेतन में आयोजित पांच दिवसीय माँ शबरी रामलीला की पूर्णाहुति के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले गजेन्द्र चौहान न्यूज एंकर व सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शुभांकर मिश्रा और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर भारत के विभिन्न राज्यों से आये आदिवासी व जनजाति कलाकारों का उत्साहवर्द्धन किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पूरे विश्व में बढ़ते आतंक का एक ही समाधान है वह है ‘‘अध्यात्म’’। अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले, अध्यात्म की शिक्षा, संस्कार और संदेशों को आत्मसात करने वाले राग, द्वेष व तनाव के शिकार नहीं होते हैं। राग, द्वेष, अराजकता, हिंसा व तनाव से मन में बदला लेने की भावना जन्म लेती है और इन्हीं सब कारणों से आतंकवाद का जन्म होता है। आतंकवाद दुनिया के सामने सबसे बड़ी व विकराल समस्या है।स्वामी ने कहा कि अध्यात्म ही आतंकवाद का समाधान है। अध्यात्म के सामने कोई भी समस्या व बुराई नहीं टिक सकती। आतंक सहित दुनिया की सभी समस्याओं के समाधान के लिये अध्यात्म ही सबसे सशक्त अस्त्र है। वर्तमान समय में पूरी दुनिया में आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने की जरूरत है।स्वामी ने कहा कि अगर अपने राष्ट्र को सशक्त और मजबूत बनाना है तो राष्ट्रविरोधी तत्वों को जड़ से समाप्त करना होगा तथा राष्ट्र प्रेम व राष्ट्र भक्ति के विचारों की धारा प्रवाहित करनी होगी। समाज में राष्ट्रीयता के विचारों की वृद्धि होगी तो अराजकता अपने आप समाप्त होगी। यदि हमें अपने राष्ट्र को समृद्ध, सशक्त, एकता व प्रभुसत्ता से युक्त बनाना है और उसके अस्तित्व को बचाना है तो हमें सीखना होगा कि हमसभी का सम्मान करें, देश की प्रभुसत्ता को बनाये रखे और एकता के साथ आगे बढ़ते रहे।

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भारत के विभिन्न राज्यों से आये आदिवासी-जनजाति प्रमुख पात्रों ने कहा कि यहां आकर हमारा तो जीवन धन्य हो गया। माँ गंगा का दर्शन, परमार्थ निकेतन की दिव्य भूमि, स्वामी महाराज का सान्निध्य और मार्गदर्शन, परमार्थ निकेतन का आतिथ्य, सत्संग, यज्ञ, पूजन इन सभी दिव्य आयोजनों ने मन मोह लिया। यहां पर स्वामी ने हमें यह एहसास कराया कि हम आदिवासी नहीं बल्कि भारतवासी है, हम एक है, एक परिवार है और एक ही धरती की संतान है, यह भाव हमें मिला। स्वामी महाराज के श्री चरणों में अपार शान्ति का अनुभव किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी कलाकारों और विशिष्ट अतिथियों को आशीर्वाद स्वरूप रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर हरित रामलीला का संदेश दिया

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