ऋषिकेश: परमार्थ में विश्व शहरीकरण दिवस पर आयोजन, शहर सिर्फ इमारतें नहीं, हमारी पहचान, हमारा भविष्य :स्वामी चिदानंद सरस्वती

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  • भविष्य की समृद्धि आज के विवेकपूर्ण निर्णयों में छिपी-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश  आज विश्व शहरीकरण दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि शहर जीवन की धड़कन हैं। वे केवल कंक्रीट और इमारतों के समूह भर नहीं होते, बल्कि लोगों के सपनों, संघर्षों, इतिहास और संस्कृति के प्रतीक होते हैं। हम जिस तरह जीते हैं, सोचते हैं, आगे बढ़ते हैं, इन सब पर शहरी स्वरूप का गहरा प्रभाव पड़ता है। विश्व शहरीकरण दिवस इसी विचार को समर्पित है कि शहरों को ऐसा बनाया जाए जहाँ हम और प्रकृति दोनों मुस्कुरा सकें। यही वह बुनियादी दृष्टि है जो आने वाले कल के सुरक्षित, सुंदर और जीवनोपयोगी शहरों को आकार देती है।
स्वामी  ने कहा कि आज दुनिया भर में शहरीकरण तेज़ी से बढ़ रहा है। गाँव शहरों में बदलते जा रहे हैं और शहर महानगरों में। बढ़ती जनसंख्या, आवास की जरूरतें, यातायात का दबाव, प्रदूषण और जल संकट जैसी चुनौतियाँ सामने हैं। इन चुनौतियों का समाधान केवल विस्तार नहीं बल्कि सुविचारित योजना में है। हमें ऐसे शहरों की आवश्यकता है जो हर व्यक्ति की जरूरतें पूरी करें और साथ ही प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा भी करें। सनातन संस्कृति सदैव प्रकृति-समन्वित जीवन का संदेश देती रही है। हमारी प्राचीन नगर सभ्यता नदी तटों, जलस्रोतों और हरित क्षेत्रों के साथ विकसित हुयी जो हमें याद दिलाती है कि विकास तभी सार्थक है जब उसमें प्रकृति की आत्मा साँस लेती रहे।स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि “शहर सिर्फ इमारतें नहीं, हमारी पहचान हैं। उन्हें ऐसा बनाएं जहाँ हम और प्रकृति दोनों मुस्कुराएँ।” यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि आधुनिक शहरी विकास की बुनियाद है। एक शहर तभी प्रगतिशील कहलाता है जब वहाँ हर व्यक्ति को सुरक्षित वातावरण, स्वच्छ वायु, खुले स्थान, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ, सुलभ परिवहन और गरिमापूर्ण जीवन उपलब्ध हो। हरियाली और स्वच्छता आज सबसे बड़ी जरूरत हैं, क्योंकि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन शहरों के भविष्य पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहे हैं। ग्रीन कॉरिडोर, पार्क, जल संरक्षण और पर्यावरण अनुकूल भवन निर्माण को प्राथमिकता देना अब विकल्प नहीं, अनिवार्यता है।
एक आदर्श शहर वह होता है जो नागरिकों की सुरक्षा और सहज दिनचर्या सुनिश्चित करे। जहाँ नारी शक्ति और बच्चे निडर होकर घूम सकें, बुजुर्गों के लिए सुविधाएँ हों, दिव्यांगजन भी स्वतंत्र रूप से चल-फिर सकें। साथ ही ऐसा आर्थिक वातावरण भी हो जहाँ हर वर्ग को समान अवसर मिलें। शहरी योजना का उद्देश्य केवल बुनियादी ढाँचा बनाना नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और मानव गरिमा को केंद्र में रखना है।स्मार्ट और सतत विकास के लिए आवश्यक है कि कचरा प्रबंधन, वर्षा जल संरक्षण, सार्वजनिक परिवहन और ऊर्जा दक्षता को जीवन का हिस्सा बनाया जाए। सौर ऊर्जा, हरे-भरे भवन, स्मार्ट ट्रैफिक नियंत्रण जैसे कदम न केवल पर्यावरण की रक्षा करते हैं बल्कि नागरिकों का समय, धन और श्रम भी बचाते हैं।
विश्व शहरीकरण दिवस हमें यह सोचने पर भी प्रेरित करता है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को कैसा शहर मिलेगा। क्या वे खुला आसमान, स्वच्छ हवा और सुरक्षित जीवन का आनंद ले पाएँगे? क्या उनके शहरों में प्रकृति के लिए भी जगह होगी? भविष्य की समृद्धि आज के विवेकपूर्ण निर्णयों में छिपी है। यदि हम अभी से सजग नहीं हुए, तो आने वाले वक्त की समस्याएँ और विकराल होंगी।विश्व शहरीकरण दिवस इस संकल्प का प्रतीक है कि विकास केवल ऊँची इमारतों और चौड़ी सड़कों तक सीमित न रहे। उसमें मानवीय मूल्यों, प्रकृति के प्रति सम्मान और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा भी शामिल हो। हमें ऐसे शहर बनाने हैं जो आत्मीय हों, सुरक्षित हों और जीवन को सहज बनाते हों। शहर हमारे विचारों, हमारी सभ्यता और हमारी पहचान का दर्पण हैं इसलिए यह आवश्यक है कि शहरी विकास में मनुष्य ही नहीं, प्रकृति भी केंद्र में रहे।आइए हम सब मिलकर अपने शहरों को हरित, स्वच्छ, सुरक्षित, सांस्कृतिक और समावेशी बनाकर आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य उपहार में दें।

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