अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस…हमें पॉलिथीन के उपयोग को पूरी तरह से बंद करने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए : राकेश जैन

ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस पर "पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, ऋषिकेश" द्वारा अग्रवाल धर्मशाला सभागार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया

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  • अंधाधुंध प्रयोग और नष्ट न होने के कारण बाढ़ और भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है, जिससे जन हानि के साथ-साथ आर्थिक हानि भी होती है 
  • विचार गोष्ठी में सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पॉलिथीन और प्लास्टिक का प्रयोग हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है और इसके उपयोग को तुरंत बंद करना आवश्यक है
  • “हमें अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए आज ही कदम उठाने होंगे और पॉलिथीन के स्थान पर पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाना होगा: राकेश जैन 
  • पार्यवारंविद  हेमंत गुप्ता के नेतृत्व में अग्रवाल धर्मशाला में हुआ था कार्यक्रम आयोजित 
ऋषिकेश : अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस पर “पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, ऋषिकेश” द्वारा अग्रवाल धर्मशाला सभागार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, और कपड़े के थैले बनते गए। गतिविधि के राष्ट्रीय सह संयोजक  राकेश जैन ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में बताया कि हमें प्लास्टिक और पॉलिथीन के अंतर को समझना चाहिए। प्लास्टिक और पॉलिथीन बैग का उपयोग अत्याधिक हानिकारक है। इनके अंधाधुंध प्रयोग और नष्ट न होने के कारण बाढ़ और भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है, जिससे जन हानि के साथ-साथ आर्थिक हानि भी होती है। प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। “जिसके लिए हमें पॉलिथीन के उपयोग को पूरी तरह से बंद करने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। बाजार जाते समय कपड़े के थैलों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए, जो पुन: उपयोगी होते हैं।
राकेश जैन ने पॉलिथीन के हानिकारक प्रभावों के समाधान में बताया कि इस्तेमाल की हुई पॉलिथीन थैलियों को दूसरी पॉलिथीन में एकत्र  कर देने से उपयोग हो सकता है। पॉलिथीन के कारण मिट्टी की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। पॉलिथीन की वजह से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे वृक्षों की जड़ें आवश्यक पोषण नहीं प्राप्त कर पाती, जल धारण क्षमता को कम कर देता है,  पेड़ों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता और उनकी वृद्धि प्रभावित होती है। पॉलिथीन से निकलने वाले रसायन मिट्टी में मिलकर उसे प्रदूषित कर देते हैं, जिससे वृक्षों और अन्य पौधों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।पॉलिथीन थैली में खाद्य कचरा दल कर फेंकने से पशु खाते है और बीमार पड़ते है।पॉलिथीन के कचरे से जल स्रोतों में अवरोध पैदा होता है, जिससे पानी का प्रवाह बाधित होता है और बाढ़ का खतरा बढ़ता है। जल स्रोतों में मिलकर पॉलिथीन उन्हें प्रदूषित कर देता है, जिससे पानी पीने योग्य नहीं रहता और जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है। पॉलिथीन के कचरे से जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में आ जाता है!
विचार गोष्ठी में सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पॉलिथीन और प्लास्टिक का प्रयोग हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है और इसके उपयोग को तुरंत बंद करना आवश्यक है। राकेश जैन ने कहा, “हमें अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए आज ही कदम उठाने होंगे और पॉलिथीन के स्थान पर पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाना होगा।हेमंत गुप्ता के संचालन में चले कार्यक्रम में  गतिविधि की ओर से पूर्व विभाग संयोजक राजेंद्र प्रसाद पांडे, जिला शिक्षण प्रमुख नंदकिशोर, श्यामुर संयोजक  हंसलाल,नारी शक्ति कुसुम जोशी, डोईवाला संयोजक बलवीर, उत्तम,राष्ट्रीय सेवा योजना svmic आवास विकास के छात्रों और प्रभारी  रामगोपाल, अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से  गोपाल नारंग,महेंद्र यादव, आशु पाहवा, सुरेंद्र कथूरिया,महेश चितकारिया, दीपक पाहवा, योगेंद्र, सुजाता टुटेजा, हेम पांडे आदि उपस्थित रहे ।

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