नरेंद्र नगर में निरंकारी संत समागम हर्ष उल्लास के साथ संपन्न हुआ, हजारों पहुंचे गुरु का ज्ञान पाने

- ईश्वर को जानकर ही असल भक्ति संभव- निरंकारी राजपिता रमित जी
- सतगुरु माता जी के मसूरी प्रवास के दौरान यह पहले समागम देहरादून में हुआ. फिर हल्दू खाता में तीसरा पुरोला में और चौथा और अंतिम समागम नरेन्द्र नगर में संपन्न हुआ
नरेंद्र नगर : टिहरी जिले के नरेंद्र नगर तहसील में निरंकारी संत समागम निरंकारी राजपिता जी की छत्रछाया में हर्ष उल्लास के साथ संपन्न हुआ। जिसमें निरंकारी राजपिता जी ने अपने विचारों में फरमाया कि ईश्वर की जानकारी प्राप्त करने के बाद ही असल में भक्ति संभव होती है, यही मनुष्य जीवन का उद्देश्य भी है। पूर्ण परमात्मा को जानकर जीवन को पूर्ण कर लेना ही मुक्ति है, यही भक्ति का सार भी है। जिस प्रकार एक बूंद का सागर में मिलना ही लक्ष्य होता है उसी प्रकार इस मनुष्य जीवन का लक्ष्य ईश्वर को जानकर भक्ति करना है।सतगुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान की दृष्टि जब प्राप्त हो जाती है तो फिर ऊंच, नीच का फर्क समाप्त हो जाता है फिर कण-कण में यह ईश्वर ही नज़र आता है।
जबकि सतगुरु के ज्ञान से इस एक परमात्मा को जानने के बाद यह भाव समाप्त हो जाता है। जब इस एक का बोध हो जाता है तो जीवन की अज्ञानता और अंधकार दूर हो जाता है। यह मनुष्य जन्म बड़े भागों से प्राप्त हुआ है और इसका मूल मकसद ईश्वर को जान लेना है। एक ईश्वर प्रभु परमात्मा को एक मानकर भक्ति करने से ही जीवन सफल होता है. नरेंद्र नगर के संयोजक ने निरंकारी राजपिता रमित जी एवं समस्त साध संगत का आभार व्यक्त किया एवं प्रशासन द्वारा किए गए सराहनीय सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद प्रेषित किया।
आपको बता दें, सतगुरु माता जी के मसूरी प्रवास के दौरान यह पहले समागम देहरादून में हुआ. फिर हल्दू खाता में तीसरा पुरोला में और चौथा और अंतिम समागम नरेन्द्र नगर में संपन्न हुआ.