(नए मेहमान) देहरादून चिड़ियाघर में अब लोग हिम्मत जुटा सकेंगे 2 गुलदारों के दर्शन करने की….जानें इनके बारे में

देहरादून :चिड़ियाघर में अब दो गुलदार आ गए हैं. एक नर है और एक मादा. दोनों की उम्र लगभग ढाई वर्ष है. अब लोग हिम्मत कर सकेंगे इनको देखने के लिए. वैसे गुलदार की दहशत काफी है प्रदेश में. कभी इंसान को तो कभी जानवरों को अपना निवाला बनाता रहा है. लेकिन अब चिड़ियाघर में आराम से इनको देख पायेंगे.
दरअसल, दिनांक 15/ 07/ 2022 को नरेंद्र नगर वन विभाग से एक मादा गुलदार शावक तथा दिनांक 8/ 11/ 2022 को हरिद्वार वानप्रभाग से एक नर गुलदार शावक को चिड़िया पुर वन्य जीव ट्रांजिट एवं पुनर्वास केंद्र लाया गया था. इन दोनों गुलदारों को जून 2023 में मालसी चिड़ियाघर में स्थानांतरित किया गया था. केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से प्राप्त अनुमति के बाद में दिनांक 19/ 6/2024 को दोनों गुलदारों को वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा बड़े बाड़े में स्थानांतरित करते हुए जनता के अवलोकनार्थ खोल दिया गया है. दोनों स्वस्थ हैं तथा देहरादून चिड़ियाघर में स्टाफ द्वारा इनका बहुत अच्छी तरह से रख रखाव किया जा रहा है. इनकी आयु लगभग ढाई वर्ष की है. इस अवसर पर वन मंत्री ने यह अपेक्षा की है कि यह वन्य जीव देहरादून चिड़ियाघर के नए आकर्षण बनेंगे तथा इनके माध्यम से जनसाधारण के बीच गुलदारों के बारे में भ्रांतियां को दूर करने में भी मदद मिलेगी. साथ ही पर्यटन भी बढेगा.
गुलदार के बारे में जानकारी एक नजर-
वह जानवर जिसके शरीर पर फूल के गोल चिह्न हों।दरअसल तेंदुए को ही पहाड़ों में गुलदार कहा जाता है. गुलदार अपनी फुर्ती और पलक झपकते ही शिकार करने की महारत के लिए मशहूर है. तेंदुए रिहायशी इलाकों में ज्यादातर कुत्तों का शिकार करने के लिए घुसते हैं. वहीं पहाड़ों में बाघ न के बराबर दिखते हैं. गुलदार तेंदुए का स्थानीय नाम है, और इस कॉटेज का नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि इस कॉटेज के पास के गांव के रास्ते पर अक्सर तेंदुए की आवाजाही होती रहती है। साथ ही, तेंदुए की रहस्यमयी और मायावी प्रकृति की तरह, यह कॉटेज भी दूसरों की नज़रों से दूर, संपत्ति के एक कोने में छिपा हुआ है।विशेषज्ञों के अनुसार गुलदार की अधिकतम आयु करीब 12 साल है।