देहरादून : प्रदेश में किराये पर देने वालों या बिन फार्मासिस्ट लाइसेंस वालों और झोला झाप के खिलाफ जल्द हो सकती कार्रवाई, बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ मिला अधिकारियों से, बनी सहमती

देहरादून : सोमवार को बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष सुधीर रावत के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के द्वारा ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिह नेगी, ADC Dr सुधीर कुमार गढ़वाल व ADC कुमाऊं हेमंत नेगी से मुलाकात करके कुछ बिंदुओं पर बात की जिस पर तीनों लोगों/पक्षों ने सहमति जताई…रावत के अनुसार ये मांगें रखी गयी जो निम्न हैं –
1) बिना फार्मासिस्ट की उपस्थिति के संचालित मेडिकल स्टोर पर तत्काल छापेमारी अभियान शुरू किया जाय।
2) क्लिनिकल एक्ट के तहत संचालित झोलाछापों, झोला छाप बंगालियों के यहां छापेमारी के लिए CMO/ACMO के नेतृत्व वाली टीम में ड्रग कंट्रोलर के मेंबर भी रहेंगे
3) यदि कोई फार्मासिस्ट अपना लाइसेंस बनवाना चाहता है तो दलालों के पास न जाकर डायरेक्ट अपनी फाइल अपलोड करे, एडीसी सरकारी फीस पर तुरंत लाइसेंस जारी किया जाऐ
4) संघ ने स्पष्ट कहा कि जिन फार्मासिस्टों के लाइसेंस किराए पर है और वो वहां पर फिजिकल मौजूद नही रहते तो उसका लाइसेंस के साथ-साथ उत्तराखंड फार्मेसी काउंसिल मे पंजीकृत फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन भी तत्काल निरस्तीकरण की कार्यवाही शुरू की जाय. अन्यथा हमारा संघ उग्र आंदोलन को मजबूर होगा.
साथ ही संघ की एक सहमति बनी की प्रत्येक जिले/कस्बे में मेडिकल स्टोर संचालित फार्मासिस्ट अपनी केमिस्ट एसोसिएशन बनाएं।जिस प्रकार लगातार पूरे प्रदेश मे ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट व फार्मासिस्ट एक्ट 1948 का लगातार उल्लंघन हो रहा है बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर संचालित किऐ जा रहे हैं. जिससे आम जनता व मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है. बिना फार्मासिस्ट संचालित मेडिकल स्टोर व झोलाछाप फर्जी क्लिनिक की बढ़ती संख्या विभाग व विभागीय अधिकारियों पर एक बहुत बड़ा सवाल खडा करती है. पूरे प्रदेश मे 25000 पंजीकृत फार्मासिस्ट हैं. जबकि परे प्रदेश में हजारों लाखों की संख्या मे बिना फार्मासिस्ट व बिना लाईसेंस के फर्जी मेडिकल स्टोर व झोलाछाप क्लिनिक संचालित किए जा रहे हैं, जोकि गंभीर सोचनीय विषय है. जो मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ भी है. साथ ही यह एक तरह का अपराध भी है.
प्रदेश अध्यक्ष सुधीर सिंह रावत ने कहा की एक फार्मासिस्ट कभी भी नशे का कारोबार नही कर सकता है. क्यूंकि फार्मेसी पाठ्यक्रम मे नशा बेचना नही पढ़ाया जाता है. परन्तु बिना फार्मासिस्ट व बिना लाईसेंस के संचालित मेडिकल स्टोर व झोलाछाप क्लीनिक में यह करोबार भली भांति फल फूल रहा है. आखिर बिना लाईसेंस के कैसे थोक विक्रेता फर्जी मेडिकल स्टोर व झोलाछाप को दवा उपलब्ध करवा देते है ? जबकि बिना लाईसेंस के किसी भी स्टोर व क्लिनिक पर थोक विक्रेता दवा नही बेच सकते हैं. संघ के पदाधिकारियों के द्वारा विभागीय आधिकारियो को सख्त कार्रवाई करने कि मांग की गई है. मांग पूरी न होने पर संघ ने उग्र आदोलन की चेतावनी दी है. इस मुलाकात के दौरान, बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट एलोपैथिक संघ उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष सुधीर रावत, रुद्रप्रयाग प्रभारी महीप बुटोला, कोषाध्यक्ष सुनील जुयाल,अनूप भंडारी, देहरादून जिला प्रभारी शिशुपाल कठैत, रोशन भट्ट, जिला उपाध्यक्ष देहरादून आशीष पुरोहित, नमिता थपलियाल, दिवाकर भट्ट, प्रदेश सचिव बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट एलोपैथिक संघ उत्तराखंड, दिनेश नाथ सहित कई डिप्लोमाधारी फार्मासिस्ट मौजूद रहे.

