ऋषिकेश : पंचायती गौशाला में सैकड़ों गायों को गुड़ खिला कर मनाई गयी गोपाष्टमी
- गाय की जितनी सेवा कर सको कर लो यही पुण्य कमा लोगे : गुरु चरण मिश्र, आश्रम संचालक
- गायों की अद्भुत सेवा होती है स्वर्गाश्रम इलाके में जानकी पुल के पास पंचायती गौशाला में, दिन रात महाराज गुरु चरण मिश्र लगे रहते हैं गौ सेवा में
- हर वर्ष गोपाष्टमी बड़े ही सेवा भाव से मनाते हैं गौशाला में निवासरत लोग
- गौ भक्त देश विदेश से आते हैं और गौ सेवा में अपना हाथ बंटा कर पुण्य कमा कर अपने घर जाते हैं
- गौशाला में महाराज गुरु चरण मिश्र ने लगभग 35 वर्षों से अन्न ग्रहण नहीं किया है, कहते हैं सेवा में भूख ही नहीं लगती है
- दिन में तीन बार गंगा स्नान करते हैं मौसम कैसा भी हो ठन्डे पानी से
- गौशाला में कोई आये, कुछ भी जरुरत हो खाली हाथ नहीं लौटता
- कन्या विवाह, तीर्थ स्थलों का विकास व अन्य सामाजिक कार्य करती है उत्तराँचल तीर्थ विकास परिषद्
- राज्य सरकार ने 80 रुपये प्रति गाय के हिसाब से खर्चा देने को उन्हूने ना काफी बताया
- सोसाइटी उत्तराँचल तीर्थ विकास परिषद् के अंतर्गत काम करती है पंचायती गौशाला
ऋषिकेश :[मनोज रौतेला] जानकी झूला पुल के पास पंचायती गौ शाला में शनिवार को गोपा अष्टमी भव्य तरीके से मनाई गयी. गौशाला के संचालक गुरु चरण मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया आज का दिन भगवान कृष्ण को समर्पित है. गौ सेवा करें जितना हो सके अधिक से अधिक। ढाई से ज्यादा गायों जिनमें, छोटे बच्चे,नंदी भी हैं….उनकी देखभाल की जाती है गौशाला में. सबसे ख़ास बात गौशाला में गायों का निकला हुआ दूध बाहर बाजार में बेचा नहीं जाता है. घायल गायों की सेवा कर उनको ठीक किया जाता है. ख़ास बात है घायल गाय को अलग से कुछ दिन रखा जाता है ताकि वह परेशान न हो. उसका उपचार अच्छी तरह से हो सके. “नेशनल वाणी” हिंदी से बात करते हुए गुरु चरण मिश्र के ने बताया, गोपाष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, हम हर वर्ष मनाते हैं. यह पर्व मुख्य रूप से मथुरा और वृंदावन सहित सभी ब्रज क्षेत्रों में भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल यह पर्व दिन शनिवार 9 नवंबर, 2024 यानी आज मनाया जा रहा है।
महाराज गुरु चरण मिश्र ने कहा, सरकार ने 80 रुपये प्रति गाय का खर्चा देने की जो बात कही है, वह खर्चा ना काफी है. क्यूंकि 80 रुपये में कुछ नहीं होता है. गाय का खर्चा ज्यादा है. चारा पानी से लेकर उपचार तक काफी खर्चा आता है. इसलिए सरकार को बढ़ाना चाहिए इसको. उन्होंने कहा, गोपाष्टमी यह दिन पूरी तरह से भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है। गोपाष्टमी के इस पवित्र दिन पर गायों और बछड़ों को सजाया जाता है और उनकी विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से ब्रज में मनाया जाता है। गोपाष्टमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। हम यहाँ भी हर वर्ष मनाते हैं.उन्हूने कहा, इस दिन गो-पूजा की जाती है। भक्त गोशाला जाते हैं, गायों और गोशाला को नहलाते हैं और साफ करते हैं। कई जगह पर भक्तों द्वारा विशेष अनुष्ठान करने से पहले गायों को कपड़े और आभूषणों से सजाया जाता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए विशेष चारा खिलाया जाता है और इसके संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है।मिश्र ने कहा, गोपाष्टमी पर गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाएं। जिन के घरों में गाय नहीं हैं वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करें। उन्हें गंगा जल, पुष्प चढ़ाएं, गुड़, हरा चारा खिलाएं और दीया जलाकर आरती उतारें। गौशाला में खाना और अन्य वस्तु आदि दान भी करनी चाहिए। दिन रात इतनी गौ वंश की सेवा करना बड़ी चुनौती है. चारा, पान, उपचार इत्यादि. लेकिन बखूबी निभा रहे हैं पंचायती गौशाला में महाराज गुरु चरण मिश्र और उनके साथ की टीम. ऐसे में गौशाला के रूप में गायों का मंदिर की तरह लगता है स्थान माँ गंगा के किनारे. इस अवसर पर पंडित उमेश शुक्ल, रघुवीर, प्रेम, सर्वेश, जमन आदि लोग मौजूद रहे.