प्रसिद्ध आध्यात्मिक गायक कैलाश खेर पधारे परमार्थ निकेतन, गंगा आरती कर लिया आशीर्वाद


- प्रसिद्ध आध्यात्मिक गायक कैलाश खेर पधारे परमार्थ निकेतन
- स्वामी चिदानन्द सरस्स्वती के सानिन्ध्य में विश्व विख्यात गंगा की आरती में किया सहभाग
- आदियोगी, आदिअनंता, बम लहरी पर झूमा परमार्थ गंगा तट
- डा वेदप्रकाश द्वारा रचित ’विकसित भारत का संकल्प’ पुस्तक का परमार्थ निकेतन गंगा तट पर लोकार्पण
- विकसित भारत की प्रथम प्रति स्वामी चिदानन्द सरस्वती को की भेंट

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक धारा में संगीत और आध्यात्मिकता का गहरा संबंध है। आध्यात्मिक संगीत, विशेष रूप से संगीत, न केवल हमारे दिलों में आनंद का संचार करता है बल्कि यह आत्मा को शांति और दिव्यता भी प्रदान करता है। कैलाश खेर का संगीत केवल एक कला नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना का रूप है। उनका संगीत सदैव हमारे दिलों को शांति और प्रेम का अहसास कराता है। आदियोगी और आदिअनंता जैसे गीतों के माध्यम से कैलाश खेर ने न केवल भगवान शिव की महिमा का गायन किया, बल्कि इन गीतों के माध्यम से उन्होंने समग्र ब्रह्मांड की दिव्यता और अनंतता की अवधारणा को भी प्रस्तुत किया। कैलाश खेर के संगीत में जो आध्यात्मिकत और प्रेम की भावना है, वह गंगा की आरती के दौरान और भी स्पष्ट व समग्र हो जाती है। जब भी गंगा तट पर उनकी आवाज गूंजती है, एक विशेष आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति कराती है। प्रभु से जुड़ें संगीत व प्रभु भाव में डूब कर गाये गये संगीत का आत्मिक कनेक्शन और आध्यात्मिक कनेक्शन अद्भुत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि गंगा का जल केवल हमारी शारीरिक प्यास को ही नहीं बुझाता, बल्कि यह हमारी आत्मा को भी शांति और संतुलन प्रदान करता है। कैलाश खेर ने परमार्थ निकेतन के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि परमार्थ निकेेतन गंगा तट की आध्यात्मिकता का एक अपूर्व अनुभव है। यहां की शांति और दिव्यता शब्दों से परे है। मैं आभारी हूं कि मुझे परमार्थ निकेतन गंगा तट पर आकर इस पवित्र स्थान पर गाने का अवसर पूज्य स्वामी की कृपा से मिलते ही रहता है।स्वामी ने विकसित भारत का संकल्प के लेखक वेदप्रकाश को उनकी पुस्तक के लिये शुभकामनायें देते हुये कहा कि विकसित भारत का संकल्प केवल एक व्यक्ति या सरकार का नहीं है, यह पूरे राष्ट्र का संकल्प है। यह तभी पूरा होगा जब हर भारतीय अपने कर्तव्यों को समझे और समाज, राष्ट्र और प्रकृति के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को निभाए। हम सब मिलकर भारत को उस ऊंचाई तक पहुंचा सकते हैं, जहां यह एक विकसित और सशक्त राष्ट्र बनकर पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।विकसित भारत का संकल्प हम सबका संकल्प है, और इसे पूरा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। भारत एक प्राचीन और समृद्ध इतिहास वाला देश है, जिसने समय-समय पर अपनी अद्वितीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों के बल पर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है लेकिन 21वीं सदी का भारत केवल अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं रह सकता। आज का भारत विकास के नए आयामों को छूने का सपना देख रहा है। विकसित भारत का संकल्प हर भारतीय का स्वप्न है। इसी विषय को ध्यान में रखते हुये डॉ. वेदप्रकाश की पुस्तक ’विकसित भारत का संकल्प’ वर्तमान भारत की गौरवमयी गाथा को पाठकों तक पहंुचायेगी।स्वामी ने कैलाश खेर और वेदप्रकाश को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया।