देहरादून : डाट काली मंदिर में देवी की विधिवत पूजा अर्चना करने पहुंची विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूड़ी भूषण, की प्रदेश की खुशहाली की कामना
देहरादून : विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूड़ी भूषण पहुंची आज देहरादून सीमा पर स्थित प्रसिद्द डाट काली मंदिर. मंडी पहुँच कर देवी की विधिवत पूजा अर्चना कर माता से प्रदेश की खुशहाली की कामना की|कल ही विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद आज मंडी में पूजा अर्चना करने पहुंची. सहारनपुर की तरफ से देहरादून आते समय डाट काली मंदिर पड़ता है, सुरंग से पहले. यहाँ की काफी मान्यता है मानता के मंदिर में सैकड़ों भक्त पहुँचते हैं दर्शन,पूजा अर्चना करने. कोटद्वार से विधायक भी हैं ऋतू खंडूड़ी भूषण. विधानसभा अध्यक्ष ने ट्वीट कर खुद दी जानकारी.
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डाट काली मंदिर में देवी की विधिवत पूजा अर्चना कर माता से प्रदेश की खुशहाली की कामना की|। pic.twitter.com/x4A6BtSXIX
— Ritu Khanduri Bhushan (@RituKhanduriBJP) March 27, 2022
डाटकाली मंदिर-
डाटकाली मंदिर हिन्दुओ का एक प्रसिद्ध मंदिर है , जो कि सहारनपुर देहरादून हाईवे रोड पर स्थित है | डाट काली मंदिर देहरादून के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तथा देहरादून नगर से 14 किमी की दुरी पर स्थित है | यह मंदिर माँ काली को समर्पित है इसलिए मंदिर को काली का मंदिर भी कहा जाता है एवम् काली माता को भगवान शिव की पत्नी “देवी सती” का अंश माना जाता है | माँ डाट काली मंदिर को “मनोकामना सिध्पीठ” व “काली मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है | डाट काली मंदिर के बारे में यह माना जाता है कि माता डाट काली मंदिर देहरादन में स्थित मुख्य सिध्पीठो में से एक है | डाट काली मंदिर में एक बड़ा सा हाल भी स्थित है , जिसमे मंदिर में आये श्रद्धालु व भक्त आदि लोग आराम कर सकते है | इस मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में 13 जून 1804 में किया गया था | जब मंदिर का निर्माण कार्य किया जा रहा था तो ऐसा माना जाता है कि माँ काली एक इंजीनियर के सपने में आई थी और जिन्होंने मंदिर की स्थापना के लिए महंत सुखबीर गुसैन को देवी काली की मूर्ति दी थी , जो कि वर्तमान समय में घाटी के मंदिर में स्थापित है | इसलिए इस मंदिर को ” डाट काली मंदिर “ कहा जाता है |अंग्रेजों को दून घाटी में प्रवेश करने के लिए इस मंदिर के समीप सुरंग बनानी पड़ी । लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी जब सुरंग का काम पूरा नहीं हुआ तो अंग्रेजों को भी डाट काली के दरबार में शीश नवाना पड़ा था । गोरखा सेनापति बलभद्र थापा ने यहीं पर भद्रकाली मंदिर की स्थापना की थी इसलिए डाट काली मंदिर के निकट ही एक प्राचीन “भद्रकाली मंदिर” स्थित है । भक्त मानते हैं कि मां डाट काली का शेर, जिसके पैर में सोने का कड़ा है आज भी शिवालिक पर्वत श्रेणी में घूमता रहता है। मान्यता है कि किसी भी मंगलवार से 11 दिन तक विश्वास पूर्वक किया गया डाट चालीसा पाठ बड़े-बड़े कष्ट हर लेता है।
माँ डाट काली मंदिर की मुख्य विशेषता यह है कि इस मंदिर के अन्दर एक दिव्या ज्योति जली रहती है , जो कि 1921 से लगातार जल रही है | इस मंदिर के प्रति इस क्षेत्र में रहने वालो लोगों की अत्यंत श्रधा है क्यूंकि इस क्षेत्र के आसपास के लोग जब भी कोई नया वाहन खरीदते है तो क्षेत्र के लोग इस मंदिर में पूजा करने के लिए माँ डाट काली मंदिर में जरुर लाते है | यह मंदिर देहरादून-सहारनपुर रोड के किनारे पर स्थित है इसलिए जो भी व्यक्ति यहाँ से जाता है वो माँ काली का आशीवाद जरुर लेता है और मंदिर में तेल ,गुड ,घी ,आटा व अन्य वस्तु देवी के समक्ष प्रस्तुत करता है |
इस मंदिर के दर्शन के लिए भक्तो की भीड़ लगी रहती है परन्तु नवरात्रि के पर्व के अवसर पर मंदिर में बहुत बड़ी संख्या में लोग आते है , कभी-कभी तो राजमार्ग को भी बंद करना पड़ता है | नवरात्रि के पर्व के अवसर पर यहाँ भंडारा भी किया जाता है , जहाँ लोग प्रसाद को माँ काली का आशीर्वाद मानकर प्राप्त करते है | इस भंडारे न केवल देहरादून, रुड़की, हरिद्वार, बल्कि यूपी के विभिन्न हिस्सों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।