देहरादून : कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत निष्काषित भाजपा से छह साल के लिए, मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त, डोईवाला से लड़ेंगे चुनाव

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देहरादून : हरक सिंह रावत पर बड़ी कार्रवाई, मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने हरक को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया. कांग्रेस नेताओ से मिलने और शामिल होने की गतिविधियों के बीच बर्खास्त किए गए हरक सिंह रावत. पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से भी छह साल के लिए निष्कासित किए गए हरक सिंह रावत.हरक सिंह रावत अपनी बहु केलिए टिकट मांग रहे थे लैंड्सडाउन से. लेकिन भाजपा ने एक परिवार एक टिकट नियम का हवाला देकर साफ़ मना कर दिया था. उसके बाद कांग्रेस नेताओं से मिलने लगे हरक सिंह रावत. खुद कई दफा घोषणा कर चुके हैं मैं चुनाव नहीं लडूंगा. वहीँ अब डोईवाला सीट से चुनाव लड़ेंगे हरक सिंह रावत.वहीँ डोईवाला से दावेदारों में हीरा सिंह बिष्ट, गौरव चौधरी का क्या होगा ? पार्टी कैसे इनको मना पायेगी देखने वाली बात होगी.हीरा सिंह बिष्ट भी मजबूत दावेदार हैं और गौरव चौधरी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान ने नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के करीबी माने जाते हैं.

जिस तरह से हरक सिंह रावत के तेवर बदल रहे थे उससे भाजपा असहज हो रही थी और ज्यादा दिन हरक सिंह रावत को झेलने के मूड में नहीं थी और आखिर कार्रवाई करनी पड़ी. वहीँ हरक सिंह रावत को बर्खास्त करने के बाद तेजिंदर सिंह बग्गा और नेहा जोशी ने ट्वीट पर रिप्लाई दिया धाकड़ धामी. नेहा जोशी ने ट्वीट में लिखा है नही चलेगी किसी की मनमानी उत्तराखंड में बैठे है धाकड़ धामी।. इससे पार्टी में गलत सन्देश जाता और एक परिवार एक टिकट के नियम की धज्जियां उड़ती. आखिर पार्टी को किनारा करना पड़ा. वहीँ अब हरक सिंह रावत दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं जल्द कांग्रेस में जाने की अटकलें अब तेज हो गयी हैं. हालांकि उन्होंने इसके बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा है।लेकिन बताया जा रहा है 12 बजे दोपहर वे कांग्रेस जॉइन करेंगे।

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चर्चा है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में पहले दो फिर तीन टिकट के लिए अड़ गए थे। उन्होंने अपने लिए केदारनाथ सीट के साथ बहू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडाउन सीट से टिकट मांगी थी। साथ ही वह यमकेश्‍वर से भी टिकट की मांग कर रहे थे। अपने बेटे के लिए।लेकिन इससे पार्टी के अंदर ही विरोध शुरू हो गया। इस पर पार्टी ने भी स्वीकृति नहीं दी। इससे हरक सिंह रावत काफी नाराज थे। साथ ही उचित हल नहीं निकलने पर कल कांग्रेसी में वासपी के भी संकेत दे रहे थे।

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हरक सिंह रावत के राजनीतिक करियर की बात करें तो 1984 में वो पहली बार उत्तर प्रदेश में बीजेपी से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बाद में 1991 में उन्हें बीजेपी ने पौड़ी से टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। उस वक्त कल्याण सिंह की सरकार में वो कैबिनेट मंत्री रहे। साल 2002 में अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कांग्रेस ने हरक सिंह रावत को लैंसडौन से टिकट दिया और इस बार भी वो विधायक चुने गए। 2007 में भी लैंसडौन से ही दोबारा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 2012 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत ने रुद्रप्रयाग विधानसभा से जीत हासिल की. इस बार वे कोटद्वार सीट से विधायक थे। उन्हें राजनीतिक का मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता है।हालांकि, इस सरकार में भी वे कई बार कह चुके थे सार्वजनिक तौर पर कि अब चुनाव नहीं लड़ूंगा।लेकिन अब चुनाव लड़ते हैं तो जनता पूछेगी जरूर क्या कहा था क्या कर रहे हो ?

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