देहरादून : टमाटर के पौधे से 30 से 40 किलो पैदावार तो अमरुद डेढ़ से दो किलो का…SBS यूनिवर्सिटी बालावाला के छात्र-छात्राओं ने जानी “पॉली हाऊस” बागवानी, खेती व पशु पालन की बारीकियां

कृषि बागवानी के क्षेत्र में एसबीएस यूनिवर्सिटी का नाम प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में गिना जाने लगा है अब

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देहरादून (नेशनल वाणी डेस्क) : कृषि प्रधान देश भारत में छात्र अगर बागवानी, खेती और पशु पालन की बारीकियां सीख रहे हैं तो अंदाजा लगा सकते है आप आने वाला समय विश्व में भारत का डंका बजने वाला है. इसमें कोई संदेह नहीं एसबीएस यानि सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय बालावाला के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एवं फॉरेस्ट्री शिक्षण संस्थान का अहम रोल होगा. सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय बालावाला के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एवं फॉरेस्ट्री शिक्षण संस्थान ने छात्र छात्राओं ने किया एक दिवसीय भ्रमण कृषि प्रशिक्षण केंद्र और नई दिशा जनहित ग्रामीण विकास समिति की ओर से कराए जा रहे रूरल एग्रीकल्चर वर्क एक्सपीरियंस के तहत। जिसमें कार्यक्रम प्रभारी अनिल पंवार और डॉ. दीपिका चौहान के नेतृत्व में छात्र-छात्राएं अजबपुर खुर्द देहरादून स्थित एग्रीकल्चर एंड डेयरी फार्म एसोसिएशन पहुंचे। यहां एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ बीडी कुशवाहा पूर्व जिला उद्यान अधिकारी ने छात्र-छात्राओं को पॉली हाऊस में लगे टमाटर की संकर प्रजाति के बारे में बताया तथा अमरूद की अलग अलग प्रजातियों को भी दिखाया। जहां उन्होंने टमाटर की साहु (3251) प्रजाति का भी जिक्र करते हुए बताया कि इस प्रजाति में लगभग प्रति पौधे से लगभग 30 से 40 किलो ग्राम पूरे 8 से 9 माह के अंतराल में प्राप्त होता है। साथ ही साथ उन्होंने अपने पॉली हाउस में टमाटर के साथ अंतरफसल मे लगाई हुई थाईलैंड अमरूद की प्रजाति के बारे में छात्रों को रूबरू करते हुए बताया कि यह अमरूद की थाईलैंड प्रजाति का वजन लगभग 1 से 1.5 किलो ग्राम तक होता है और विदेशी अमरूद की प्रजाति VNR के फल का वजन 1.5 से 2 किलो ग्राम तक का होता है। साथ ही खेती के आधुनिक तौर तरीके भी अपने फार्म में बताए। उनसे होने वाले लाभ बताए और अपने 30 साल अनुभव को छात्रों के साथ बांटा। डॉ बीडी कुशवाहा ने अधिक उत्पादन के लिए वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के साथ ही जैविक खाद का अधिक उपयोग करने की सलाह दी। बीडी कुशवाहा जी पॉली हाऊस खेती के साथ ही साथ बकरी पालन का भी काम कर रहे हैं जिसमे उन्होंने भिन्न-भिन्न प्रजाति का जमनापारी, बीटल और बरबरी बकरी का पालन कर रहे हैं. जिससे प्राप्त दुग्ध का प्रयोग अलग- अलग पदार्थ बनाने के लिए करते है। जैसे गर्मियों में होने वाली बिमारी डेंगू के लिए बकरी के दूध को लाभकारी बताया. बकरी पालन से प्राप्त मल का प्रयोग खाद के रूप में करते है और स्वरोजगार से लाभ प्राप्त करने की सलाह दी।

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इस दौरान जो छात्र रहे उनमें दिशा राणा, आयुषी, अनुष्का रांगढ़, खुशबू राजपूत, ममता रावत, तिलक गिरी, शौर्य महंत आदि रहे. सभी छात्र एसबीएस यूनिवर्सिटी बालावाला के इनल ईयर के हैं.

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