गाय को मिला राज्यमाता का दर्जा महाराष्ट्र में, देश का पहला राज्य बना ऐसा करने वाला

कांग्रेस ने भी किया स्वागत सरकार के फैसले का लेकिन बताया राजनीतिक फैसला

ख़बर शेयर करें -
  • महाराष्ट्र ने गाय को राज्य माता घोषित कर दिया है, इस मामले में आदेश भी जारी हो गए हैं 
  • कांग्रेस ने भी स्वागत किया सरकार के इस फैसले का, लेकिन राजनीतिक बताया फैसला
  • उत्तराखंड में भी कब से लोग मांग कर रहे हैं राज्यमता का दर्जा देने का, लेकिन सरकार सोचती रह गयी और महाराष्ट्र ने कर दिया 
  • उत्तराखंड में भी बद्री  नस्ल की गाय कम हो रही है दिन प्रतिदिन, सरकार को मामले में कुछ करने की जरुरत 
  • संतों ने भी  जताई ख़ुशी, महाराष्ट्र सरकार को कह धन्यवाद, ऐतिहासिक निर्णय : महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज 

मुंबई : महाराष्ट्र ने गाय को राज्य माता का दर्जा दे दिया है. इस मामले में बाकायदा आदेश जारी कर दिया है. ऐसा करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य बन गया है.  महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इसपर लगातार प्रतिक्रिया आ रही है. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि आज राज्य सरकार ने गाय को ‘राजमाता’ घोषित किया है, मैं इस कदम का स्वागत करता हूं, क्योंकि मैं एक किसान हूं और हर किसान के लिए ‘गाय’ माता है. लेकिन, यह चुनाव से पहले एक राजनीतिक कदम के रूप में किया गया है. सोमवार को कैबिनेट बैठक में शिंदे  सरकार ने गाय को ‘राजमाता’ का दर्जा देने का फैसला लिया. सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, प्राचीन काल से ही गाय ने इंसान के दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वैदिक काल से ही गायों के धार्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए उन्हें कामधेनु के रूप में संबोधित किया जाता था. राज्य के कुछ हिस्सों में देसी गायें पाई जाती हैं. इसमें लाल कंधारी, देवनी, खिल्लार, डांगी और गवलाऊ नस्ल की गायें शामिल हैं. आदेश के अनुसार हालांकि, देसी गायों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है. कृषि में देसी गायों के गोबर और मूत्र के महत्व को देखते हुए इनकी संख्या में गिरावट चिंता का विषय है. इसमें कहा गया,  किसानों को देसी गायों को पालने के ल‍िए प्रेरित करने को सरकार ने यह फैसला क‍िया है. वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देसी गायों के महत्वपूर्ण स्थान, आयुर्वेद चिकित्सा में इनकी उपयोगि‍ता, गाय के दूध और घी का मानव आहार में महत्‍व, पंचगव्य उपचार प्रणाली और गाय के गोबर के साथ ही गोमूत्र की जैविक खेती में उपयोगि‍ता को ध्यान में रखते हुए देसी गायों को अब से ‘राजमाता’ कहा जाएगा.सरकार ने कहा कि इस आदेश की डिजिटल कॉपी महाराष्ट्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद है.

ALSO READ:  टिहरी जिले में 325 गांवों को आदर्श सुजल एवं स्वच्छ गांव बनाया जाना है-डीएम

संतों ने कहा अच्छा निर्णय, स्वागत योग्य –

संतों ने भी महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर ख़ुशी जताई है. महराष्ट्र सरकार को धन्यवाद कहा है इस ऐतिहासिकनिर्णय लेने के लिए.ऋषिकेश के पास  ब्रह्मपुरी स्थित श्री राम तपस्थली के अध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज ने  ख़ुशी जताते हुए कहा,यह बहुत अच्छा निर्णय है. इसको लेकर महराष्ट्र सरकार तारीफ के काबिल है. हम मांग करते हैं उत्तराखंड में भी ऐसा हो. यहाँ भी बद्री नस्ल की गाय लुप्त हो रही है. राज्य सरकार से मांग है कुछ करे इस पर. राज्यमता का दर्जा मिले देशी गाय को. तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा यह बहुत ही हर्ष का विषय है महराष्ट्र सरकार ने पहल की है. उम्मीद करते हैं हमारे यहाँ उत्तरखंड में भी जल्द से जल्द राज्य सरकार राज्य मात्रा का दर्जा देगी गाय को. 

Related Articles

हिन्दी English