ऋषिकेश में भाजपा चुनाव कार्यालय खुला, लेकिन यह राजनीतिक कम आध्यात्मिक कार्यक्रम ज्यादा लगा…जानें

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ऋषिकेश : नगर निगम चुनाव को लेकर शुक्रवार का दिन भाजपा के लिए अहम   दिन था. नगर निगम  चुनाव का श्री गणेश हो चुका है.  भाजपा का चुनाव प्रचार कार्यालय बाकायदा खुल चुका है. ऋषिकेश में मेयर पद के लिए और 40 वार्ड प्रत्याशियों के लिए चुनाव हो रहे हैं. उसी क्रम के बीच चुनावी  कार्यालय मुखर्जी मार्ग पर खोला गया है. शुक्रवार को इस दौरान,  संगठन महामंत्री अजेय कुमार खुद मौजूद थे. स्थानीय विधायक और मंत्री डा प्रेमचन्द अग्रवाल भी नारों के बीच एंट्री मार के पहुंचे कार्यक्रम में.  साथ ही अन्य जो पूर्व मंत्री, राज्य मंत्री,पार्टी  पदाधिकारी,प्रभारी व कुछ  कार्यकर्ता मौजूद रहे. कई पुराने चेहरे नदारद भी  दिखे.

कार्यक्रम के दौरान लगभग हर किसी को सुना, लेकिन प्लास्टिक स्माइल अधिक दिखाई दी लोगों के चेहरे पर. उनके भाव कुछ  और प्रभाव डाल रहे थे.  उसके कई कारण हैं. जिन्हें अन्य किसी दिन आपके सामने रखेंगे. लेकिन    अधिकतर के चेहरे पर प्लास्टिक स्माइल दिखाई दी. एक पूर्व  मंत्री रह चुके हैं लेकिन जब वे बोले तो लगभग १० मिनट के संबोधन में 337 बार आँखें ब्लिंक कर चुके थे. इससे पहले जब वे बोलते थे स्पष्ट और सपाट विश्वास से भरपूर दिखायी देते थे. बाएं से दायें ऐसे घूमते थे जैसे रिमोट से टाइम फिट कर रखा हुआ हो.  गजब की टाइमिंग होती थी…..लेकिन इस बार  उनका विश्वास  डगमगा हुआ दिखाई  दिया….खैर, सभी जानते हैं और समझते हैं तीर कहाँ लगा है….कितनों को घायल कर चुका है कितनों को पश्त. अपने संबोधन के दौरान, एक दो को छोड़कर अधितकत,   संगठन के लोगों और  मंत्री की मौजूदगी में बटर पोलिशिंग में लगे हुए थे.संबोधन की स्पीच में। अहम बात कम…फेक तारीफ ज्यादा…उससे इन नेता, कार्यकर्ता और पदाधिकारियों में राजनीतिक परिपक्वता की कमी दिखाई दी. अपनी सीट बचाए रखने या फिर दूसरे को  प्रभावित करने   की ललक ज्यादा दिखाई दी. मंच पर खास बात देखने को मिली वह यह थी. मेयर प्रत्याशी शम्भू पासवान के समर्थन में जब संबोधन हो रहा था. उस दौरान उनके नाम को आधार मान कर इश्वर के कई रूपों से उनका श्रृंगार किया गया. माइक मुंह के सामने था और कोई शिव से तुलना तो कोई विश्वकर्मा भगवान् से तुलना….कोई शम्भू शम्भू भजन से तुलना तो कोई इस शहर को नए तरीके से बसाने तक की अतिहोत्साहित बातें हवा में फैंकने लग गए. अधिकतर लोगों की बातों   में सत्यता कम और थूक के पकौड़े बनानें वाली कहावत ज्यादा लग रही थी. चुनाव  जीते हारे कोई ….मसला  यह नहीं है …फर्क था तो शब्दों का चयन एक राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में.  एक बार तो ऐसा लगा यह कोई अध्य्तामिक मंच है. जैसे  कोई मंडाण लगाने की तैयारी कर रहा हो …राजनीती का बदलाव तुरंत ऐसा,  खुद शम्भू पासवान पहाड़ी टोपी पहने हुए दिखे. जिन्हूने कभी नहीं पहनी थी आज तक. डर है  पहाड़ी वोटर खिसक न जाए टोपी और छाते वाले की तरफ. भाजपा को अपने कैडर पर भरोसा है…गजब का. उसी को आधार मानकर बेतुकी सर पैर की बातें हवा में जा रहीं थी.कुछ  राजनीतिक पंडित कुर्सी पर बैठे बैठे,   उनकी बातों को सुन कर धीरे धेरे मुस्कान से पचाने की नाकाबिलियत के शिकार हो रहे थे.  बहरहाल,  इस बार चुनाव काफी रोचक होगा. इसमें कोई शक नहीं. चुनावी मैदान में   तीन  शिक्षित  भी हैं उनका चुनावी कार्यलय कब खुलता है और किस अंदाज में खुलता है यह देखने वाली बात होगी.   इस चुनाव में हारे जीते कोई भी लेकिन आने वाले दिनों में भाजपा को काफी कुछ नया और अलग देखने को मिल सकता है. संबोधन से शम्भू शम्भू से लेकर शिव शक्ति से लेकर  विश्वकर्मा भगवान से लेकर प्रत्याशी की हैसियत तक का बखान होने लगा. ऐसे में शम्भू पासवान के लिए बड़ी चुनौती आने  वाले दिन में दिखाई देगी, इसमें कोई दो राय नहीं है.

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