ऋषिकेश : श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर बाल लीलाओं का हुआ वर्णन, बोले कथा व्यास भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था
ऋषिकेश : श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर बाल लीलाओं का हुआ वर्णन, बोले कथा व्यास भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था. सोमवार को श्रीमद् भागवत कथा में नरेश बंसल राज्य सभा सांसद स्वामी भूपेंद्र गिरी ,चंद्रवीर पोखरियाल ने कथा में पहुंचकर व्यास जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया।
पतित पावनी जान्हवी गंगा के तट पर स्थित भगवान भरत जी के पावन प्रांगण में ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पष्ठ दिवस पर व्यास पीठ पर विराजमान अंतर्राष्ट्रीय पूज्य संत डा. राम कमल दास वेदांती ने पावन प्रसंग मे भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं के वर्णन के साथ पूतना वध , सकटासुर वध, त्रनावृत वध,बलराम उद्भव, बाल लीलाओं का वर्णन, छप्पन भोग, गोवर्धन पूजा प्रसंग पर विस्तृत चर्चा करते कथा सुनाई. श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर कथा व्यास पूज्य वेदांती महाराज ने अपनी मधुर वाणी से कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा की भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था। कृष्ण जन्म पर नंदबाबा के घर खुशी मे जब उत्सव मनाया जाने लगा और नंद बाबा को कंस राजा के पास कर देने जाने में देरी हो गई। उन्होंने राजा के पास पहुंच कर निवेदन किया की महाराज मेरे घर पुत्र ने जन्म लिया है इस लिए आने मे देरी हो गई। राजा कंस ने पुत्र जन्म की खबर पर पुत्र को चिरंजीव होने का वचन बोला। उसे पता नहीं था जिसे तू चिरंजीव बोल रहा है वो ही तेरा काल है। उधर भगवान मन ही मन मुस्करा रहे है और सोच रहे है की राम जन्म मे ताड़का कृष्ण जन्म मे पूतना से पाला पड़ा है। माता यशोदा का दुलारा अपनी बाल लीलाओं से आनन्द विभोर होते है। और अपनी लीलाओं के माध्यम से ही पूतना का वध करते है। कृष्णजी की बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलकर समाज सेवा में लोगों को आगे आना चाहिए।मानव जब इस संसार में पैदा लेता है तो चार व्याधि उत्पन्न होते हैं। रोग, शोक, वृद्धापन और मौत मानव इन्हीं चार व्याधियों से धीर कर इस मायारूपी संसार से विदा लेता है। सांसारिक बंधन में जितना बंधोगे उतना ही पाप के नजदीक पहुंचेगा। इसलिए सांसारिक बंधन से मुक्त होकर परमात्मा की शरण में जाओ तभी जीवन रूपी नैय्या पार होगी। आज के दौर में परेशानी और अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इससे समाज में खींचतान, स्वार्थ, लोभ, दुख. पतन, विकृतियों का अम्बार लगा हुआ है। ऐसे में समाज को युग के अनुरूप दिशा चिंतन, व्यवहार, परमार्थ के लिए हृदय में परिवर्तन के लिए श्रीमद भागवत कथा पुराण का आयोजन किया जा रहा है। षष्ठ दिवस की पावन पवित्र कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा जी,वरुण शर्मा, रोशन धस्माना, मधुसूधन शर्मा , रवि शास्त्री,आदि उपस्थित थे.