अरुणाचल प्रदेश: दो दिन बाद मिले सभी 7 सेना के जवानों के शव, बर्फीले तूफ़ान की चपेट में आए थे सभी

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अरुणाचल प्रदेश : बर्फीले तूफ़ान की चपेट में आने से सेना के 7 जवानों की जान चली गयी है.सातों के पार्थिव शरीर बरामद कर लिए गए हैं बर्फ से. यह घटना राज्य के कामेंग सेक्टर के ऊंचाई वाले इलाके में हुई। लापता जवान रविवार को गश्त कर रहे एक सैन्य दल का हिस्सा थे। तभी हिमस्खलन होने से वे उसकी चपेट में आ गए थे। भारतीय सेना ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की है। जवानों के बर्फ के नीचे दब जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद उन्हें निकालने के लिए राहत-बचाव कार्य शुरू किए गए। लेकिन बचाव दल को सैनिकों के शव मिले।

एक अधिकारी ने कहा, ‘ घटना स्थल से सभी सात कर्मियों के शव बरामद हुए हैं। दुर्भाग्यवश, अभियान में जुटे प्रत्येक व्यक्ति के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद, सभी सात लोगों की मृत्यु होने की पुष्टि हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘आगे की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सैन्यकर्मियों के शव घटनास्थल से नजदीकी सैन्य अस्पताल ले जाए गए।’ बर्फीले तूफ़ान आने की यह घटना राज्य के कामेंग सेक्टर के ऊंचाई वाले इलाके में हुई। लापता जवान रविवार को गश्त कर रहे एक सैन्य दल का हिस्सा थे। तभी हिमस्खलन होने से वे उसकी चपेट में आ गए थे। उन्हें ढूंढने के लिए विशेषज्ञों की टीम को विमान से मौके पर भेजा गया, ताकि बचाव कार्य में उनकी सेवाएं ली जा सकें।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आने से हुई सेना के जवानों की मौत पर मंगलवार को शोक जताया। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, “अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन से भारतीय सेना के जवानों की मौत से दुखी हूं। देश की उत्कृष्ट सेवा के लिए हम उनके योगदान को कभी नहीं भूल पाएंगे। शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।” हालांकि, इलाके में खराब मौसम ने टीम का काम मुश्किल बना दिया। इस पूरे इलाके में पिछले कुछ दिनों से लगातार बर्फबारी हो रही है।

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इन बहादुर जवानों ने अपनी जान देश के नाम कर दी-
भारतीय सेना के पूर्वी कमांड ने हिमस्खलन में जान गंवाने वाले जवानों के नाम भी बताए हैं। इनके नाम हैं- हवलदार जुगल किशोर, राइफलमैन अरुण कत्तल, राइफलमैन अक्षय पठानिया, राइफलमैन विशाल शर्मा, राइफलमैन राके सिंह, राइफलमैन अंकेश भारद्वाज और गनर गुरबाज सिंह हैं।

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2019 में हिमस्खलन ने ली 17 जवानों की गयी थी जान. इसके अलावा अक्टूबर 2021 में उत्तराखंड में माउंट त्रिशूल पर एक हिमस्खलन में नौसेना के 5 जवानों की मौत हो गई थी। वहीं केंद्र ने भी संसद में कई बार इस बारे में जानकारी दी है। फरवरी 2020 में केंद्र ने संसद में बताया कि 2019 में सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन के कारण सेना के 6 जवानों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य जगहों पर इसी तरह की घटनाओं में 11 अन्य मारे गए थे।

केंद्र सरकार ने संसद में यह भी बताया कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शामिल सभी सशस्त्र बलों के कर्मियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें उन्हें पर्वतीय शिल्प, बर्फ शिल्प और पहाड़ों में हिमाच्छादित इलाकों में जीवित रहने और हिमस्खलन जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे गश्त के दौरान आपात स्थिति से निपट सकें।
इस दुखद घटना के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री रक्षा मंत्री व् अन्य मंत्रियों ने गहरा दुःख ब्यक्त किया है. सभी ने अपनी शोक संवेदना प्रकट की है.

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