ऋषिकेश : पहले राज्य की बेटियों का हक दिलाओ बाद में UK PCS की परीक्षा कराओ : जयेन्द्र रमोला

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ऋषिकेश : सोमवार को उत्तराखण्ड प्रदेश में महिला आरक्षण पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड महिलाओं को राज्य प्रशासनिक सेवाओं में दिए जा रहे 30% क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगाई है। साथ ही साथ उत्तराखंड राज्य सेवा आयोग को  निर्देश दिए हैं कि राज्य PCS परीक्षा में महिलाओं के लिए दोबारा कट ऑफ जारी करी जाए जिसमें बाहरी राज्यों की महिलाओं को भी 30% आरक्षण के कोटे में शामिल किया जाए।

रमोला ने कहा कि यदि आयोग माननीय हाई कोर्ट के आदेश का पालन करता है तो अधिकांश उत्तराखंड की मूल निवासी महिलाएं परीक्षा से बाहर हो जाएंगी और उनके स्थान पर दूसरे राज्यों की महिलाओं को मुख्य परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाएगा और हमें लगता है कि हाल फिलहाल आयोग इस बात पर विचार कर रहा है कि उत्तराखंड की महिलाओं को व अन्य राज्यों की महिलाओं को सम्मिलित रूप से मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दें और मुख्य परीक्षा अपने तय समय 14 अक्टूबर से करवाई जाए जबकि माननीय उच्च न्यायालय में 30% उत्तराखंड महिला आरक्षण के केस की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होनी है। ऐसे में कोर्ट का अंतिम फैसला सुने बिना आयोग द्वारा 14 अक्टूबर से मुख्य परीक्षा करवाना व अन्य राज्यों की महिलाओं को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देना सरासर एक बहुत बड़ी भूल होगी, ऐसी परिस्थिति में बाद में अन्य राज्यों की महिलाओं को प्रतिस्पर्धा से बाहर करना कानूनी तौर पर भी आयोग के लिए बहुत मुश्किल होगा।

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एक बार अन्य राज्यों की महिलाओं को मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिलता है तो यदि सरकार महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हेतु अध्यादेश ले भी  आए तब भी इन महिलाओं को प्रतिस्पर्धा से बाहर निकालना बेहद मुश्किल होगा। इस बात की बहुत संभावना है कि यही महिलाएं बाद में सुप्रीम कोर्ट जाकर आयोग द्वारा अधिकारों के हनन की चर्चा करेंगी जिससे प्रक्रिया में बुनियादी तौर पर और देरी होगी और तो और महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य सरकार जिस एसएलपी या अध्यादेश के आधार पर राज्य की महिलाओं के आरक्षण को बचाने का प्रयास करने की बात कर रही है, बिना किसी प्रयास के बाहरी महिलाओं को परीक्षा में मौका देना यह प्रदर्शित करेगा कि राज्य सरकार को स्थानीय महिलाओं के अधिकारों की बिल्कुल भी फिक्र नहीं हैं और प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण की झूठी बात करती है क्योंकि आज राज्य की आधी आबादी सरकार की ओर देख रही है की वह उनके हितों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

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साथ ही आयोग द्वारा सरकार को महिला आरक्षण में प्रयास करने का मौका दिए बिना परीक्षा कराने से उन उत्तराखंड की महिलाओं के साथ भी अन्याय होगा जो अपने हकों के लिए सड़कों पर आंदोलन कर रही है और सरकारी प्रतिनिधियों से मिलकर हर यथासंभव प्रयास कर रही हैं।

रमोला ने कहा कि प्रदेश की महिलाओं की इस समस्या को देखते हुऐ मैं प्रदेश सरकार से माँग है कि वह आयोग को निर्देश दे कि जब तक कोर्ट की सुनवाई इस केस में पूरी ना हो तब तक आयोग अन्य राज्यों की महिलाओं के साथ मुख्य परीक्षा ना करवाएं और हर परिस्थिति में हमारी उत्तराखंड की मूल निवासी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करें ।

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