ऋषिकेश : हमें वैश्विक स्तर पर आपसी संघर्ष की नहीं बल्कि शिक्षा की जरूरत है : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

- शिक्षा को हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस
संघर्ष नहीं शिक्षा - आतंक, संघर्ष व शोर, शिक्षा को बाधित कर देता है-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश 9 सितम्बर : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने शिक्षा को हमले से बचाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर संदेश दिया है।
हमें वैश्विक स्तर पर आपसी संघर्ष की नहीं बल्कि शिक्षा की जरूरत है। जब-जब आतंक, संघर्ष व शोर होता है तो वह शिक्षा को बाधित कर देता है। शिक्षा एक मौलिक मानव अधिकार है। आपातकालीन स्थितियों में फंसे बच्चों और युवाओं के लिए, शिक्षा का मतलब न केवल सीखने की निरंतरता है, बल्कि यह सामान्य स्थिति की भावना को जन्म देती है। शिक्षा, उज्जवल भविष्य की कुंजी भी प्रदान करती है। शिक्षा के माध्यम से प्राप्त ज्ञान, कौशल और समर्थन से हम वर्तमान और भावी पीढ़ियों को संकटों से बचा सकते हैं और दुनिया को एक स्थायी भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।
शिक्षा पर हमला अर्थात सम्पूर्ण मानवता पर हमला। शिक्षा पर हमलों से छात्रों और शिक्षकों पर गंभीर, दीर्घकालिक शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं। हमलों के कारण स्कूल छोड़ने की दर में उल्लेखनीय वृद्धि होती हैं। साथ ही ऐसी परिस्थितियाँ छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अपने अधिकार तक पहुंचने से रोकती हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा है कि हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं, जहां युवा अपने कौशल और योग्यता को विकसित कर सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण कर सकें तथा सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपने वर्तमान और भविष्य की ओर बढ़ सकंे। साथ ही अपने समुदाय में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिये एक सक्रिय एवं सशक्त कार्यकर्ता के रूप में आगे आयें। हम एक सकारात्मक और क्रियाशील व्यक्तियों का मजबूत संगठन एवं नेटवर्क तैयार करने की उम्मीद करते हैं, जो युवाओं को आत्मनिर्भर, स्वतंत्र, सशक्त बनने हेतु प्रोत्साहित कर सके। साथ ही जीवन में आने वाली उन सभी समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान कर सकंे, जिनका सामना वे और उनका समाज प्रतिदिन करता हैं और यह शिक्षा व संस्कारों के माध्यम से ही हो सकता है।
शिक्षा को हमले से बचाने के लिए सितंबर-9 अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना मई 2020 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक सर्वसम्मत निर्णय द्वारा की गई थी, जिसमें संघर्ष से प्रभावित देशों में रहने वाले लाखों बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया गया था। यह दिवस 35 संकट प्रभावित देशों में रहने वाले 3 से 18 वर्ष के 75 मिलियन से अधिक बच्चों की दुर्दशा और उनकी शैक्षिक सहायता की तत्काल आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित करता है।
पिछले पांच वर्षों में सशस्त्र संघर्ष व असुरक्षा के दौरान शिक्षा पर हमलों में 22,000 से अधिक छात्र, शिक्षक और शिक्षाविद घायल हुए, मारे गए या क्षतिग्रस्त हुए।
जबकि भारत की साक्षरता दर 78 प्रतिशत है, देश में शिक्षा परिदृश्य में सुधार की और आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 70 प्रतिशत अपनी माध्यमिक शिक्षा, यानी 10वीं कक्षा और उससे ऊपर की शिक्षा पूरी नहीं कर सके, और शहरी क्षेत्रों में, लगभग 40 प्रतिशत समान शिक्षा स्तर हासिल करने में सक्षम नहीं थे, यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार।