(गजब) नवरात्रि के पहले दिन भारत की भूमि से शुरू हुए कैलाश पर्वत के पवित्र दर्शन…देखिये और जानिए


- यात्रियों के 5 सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ की 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों से किए दर्शन
- श्रद्धालुओं को अब चीन के कब्जे वाले तिब्बत जाने की जरूरत नहीं, धामी सरकार ने बनाया यात्रा का 5 दिवसीय टूर पैकेज
- साथ में आदि कैलाश एवं ऊँ पर्वत के भी होंगे दर्शन

पहले यात्रा के लिए पार करना पड़ता था चीन बार्डर-
कोरोना काल से पहले तक केन्द्र सरकार कुमाऊं मंडल विकास निगम के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी। तब शिव भक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बार्डर पार कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन करते थे। कोरोना काल के बाद से यह यात्रा बंद पड़ी हुई है। वहीं दूसरी ओर भारत चीन विवाद के कारण अभी तक चीन सरकार ने भारत सरकार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अपनी सहमति नहीं दी है। लंबे समय से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने भारत की भूमि से ही श्रद्धालुओं को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का फैसला लिया।
ग्रामीणों ने खोजा व्यू प्वाइंट-
पिथौरागढ़ जिले में स्थित स्थानीय ग्रामीणों ने 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों पर एक ऐसा व्यू प्वाइंट खोजा जहां से कैलाश पर्वत साफ दिखाई देता है। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची अफसरों और विशेषज्ञों की टीम ने रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था, दर्शन के पॉइंट तक जाने का रूट सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्वे किया। फिर, केन्द्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद शासन ने 15 सितंबर से ओल्ड लिपुपास को श्रद्धालुओं के लिए खोलने का फैसला लिया। भारत की भूमि से ही शिव भक्तों को कैलाश पर्वत के दर्शन् होना बहुत ही सुखद है। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार प्रकट करता हूं। हमारी सरकार सीमान्त गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय निवासियों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में कार्य कर रही है। भविष्य में इस यात्रा को और भी अधिक सुगम बनाने के लिए सुविधाओं को विकसित किया जाएगा।
पुष्कर सिंह धामी,मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड।