उत्तराखंड: खौफनाक…दराती से महिला ने अपने आप को भालू से छुड़ाया, रात भर रही जंगल में, जानिये

- उत्तराखंड में फिर वन्य जीव मानव संघर्ष की घटना सामने आयी है वो भी खौफनाक तरीके से
- भालू के हमले में बुरी तरह घायल, एम्स ऋषिकेश एयरलिफ्ट कर लाया गया महिला को
- घटना उत्तराखंड के चमोली जिले के पोखरी विकासखंड की ग्राम पाव की है
चमोली : ये तस्वीर दर्दनाक वाकया सामने रख रही है…..आप देख सकते हैं तस्वीर में इस महिला रामेश्वरी देवी पर क्या गुजरी होगी. इस कडकती रात में महिला जंगल में पड़ी रही घायल, जिसका मुंह भालू ने नोंछ डाला था. उस महिला ने अपने आप को दराती से भालू से छुड़ाया जंगल में. फिर लुढकते हुए खायी में गिर गयी. रामेश्वरी देवी, जिन्हें भालू के हमले में ग्रामीणों ने मृत मान लिया गया था. अपनी जीवटता से कड़ाके की ठंड में जंगल में रात बिताकर बच गईं. चारापत्ती लेने गई रामेश्वरी पर भालू ने हमला कर दिया था. जिससे बचने के लिए वह खाई में गिर गईं. घायल अवस्था में पेड़ के सहारे अटकी रही रामेश्वरी. लेकिन परिवार को भरोसा था मिलेगी, और अगले दिन उनके बेटे ने खोज निकाला माँ को. आपको बता दें, पोखरी क्षेत्र के जंगल में इन दिनों रात का तापमान शून्य से आठ डिग्री नीचे तक चला जा रहा है. ऐसी परिस्थितियों में रामेश्वरी ने हिम्मत नहीं हारी, इसके लिए लोग उनके हौसले की दाद दे रहे हैं.
आपको बता दें, गांव के लोग भालू या गुलदार के हमले में मृत मान बैठे थे महिला को. वह अपनी हिम्मत और भरोसा के बल पर घायल अवस्था में सारी रात कड़ाके की ठंड के बीच घने जंगल में बिताकर भी मौत के मुंह से निकल गईं. ऐसी महिला को सैल्यूट है. जगंल से गायब हुई महिला मंगलवार को अचेतावस्था में खाई में एक पेड़ के सहारे अटकी मिलीं और इतना ही बता सकीं कि भालू से लड़ते-लड़ते उन्होंने जान बचाने के लिए खाई की ओर दौड़ लगा दी थी. फिर लुढ़क कर खायी में गिर गयी. वहां से हेलीकाप्टर से एयरलिफ्ट किया गया और एम्स ऋषिकेश में उपचार चल रहा है. चमोली जिले के पोखरी विकासखंड की ग्राम पाव निवासी 50-वर्षीय रामेश्वरी बुधवार सुबह चारापत्ती लेने के पास के जंगल में गई थीं. दोपहर बाद भी जब रामेश्वरी घर नहीं लौटीं तो चिंतित परिवार के लोग पुलिस व वन विभाग की टीम के साथ उनकी ढूंढ-खोज करने निकले. लेकिन शाम तक कुछ पता नहीं लगा.एक जगह परिवार को उनकी रस्सी, दरांती व दुपड्डा बरामद हुआ. वहां खून के धब्बे भी थे, जिससे लोग मान बैठे कि वह जंगल जानवर के हमले का शिकार हो गई हैं. अंधेरा होने की वजह से टीम को वापस लौटना पड़ा. लेकिन रामेश्वरी देवी के सबसे छोटे बेटे अजय ने हम्मत कर गुरुवार सुबह कुछ साथियों को लेकर उसने जंगल में मां की तलाश शुरू की. उसकी पुकार जब मां के कान में पड़ी तो वह भी जोर-जोर से पुकारने लगीं. कुछ दूरी पर गजे डुंग्रा तोक में चट्टान से लगे एक पेड़ के सहारे मां अटकी मिलीं. उनके चेहरे और शरीर पर गहरे जख्म थे.
रामेश्वरी ने बेटे अजय को बताया कि घास काटते वक्त भालू ने उन पर अचानक हमला कर दिया. उन्होंने दरांती के सहारे बचने की कोशिश की, लेकिन असफल रहीं. इस बीच भालू उन्हें लहूलुहान कर घसीटते हुए ले जाने लगा, लेकिन न जाने कहां से उनमें ऐसी ताकत आई कि भालू के चंगुल से छूटकर उन्होंने खाई की ओर दौड़ लगा दी. फिर वह बेहोश हो गईं. बताया कि कड़ाके की ठंड के चलते रात में जब उन्हें होश आया तो देखा कि खाई में पेड़ के सहारे अटकी हुई हैं. हालांकि, असहनीय पीड़ा के बावजूद वह खामोश रहीं, क्योंकि भालू के दोबारा आने का डर था. रामेश्वरी ने बताया कि सुबह बेटे की आवाज सुन उनकी जान में जान आई. उन्होंने भी चिल्लाना शुरू कर दिया, जिससे ग्रामीण उन्हें खाई से निकालने में सफल रहे. जरा-सी चूक होने पर वह गहरी खाई में समा जातीं, लेकिन चट्टान से लगे पेड़ ने उनकी जान बचा ली. लेकिन फिर वही वन्य जीव मानव संघर्ष की घटनाएँ लगातार बढ़ रही है, कभी गुलदार का हमला, कभी हाथी का हमला, कभी भालू का हमला तो कभी बंदर सांप का…ऐसे में सरकार को ग्रामीणों के साथ मिल कर कुछ न कुछ ठोस नीति बनानी पड़ेगी. नहीं तो आने वाले समय में पलायन का यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है.



