यूपी : प्राथमिक शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता के विरोध में किया धरना प्रदर्शन


- जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा
दीपांकुश चित्रांश क़ी रिपोर्ट…खबर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से है जहाँ उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चन्द्र शर्मा के आह्वान पर प्रदेशव्यापी धरना और ज्ञापन कार्यक्रम का आयोजन हुआ,जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। तिकोनिया पार्क से शुरू होकर कलेक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी कार्यालय तक शिक्षक संघर्ष शिक्षक एकता जिंदाबाद,आवाज दो हम साथ है,काला कानून वापस लो,हमारी मांगे पूरी हो चाहे जो मजबूरी हो,नारे बाजी करते हुए जुलूस के रूप में पहुंचा।जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में अपर एस डी एम शिव प्रसाद ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन लिया उन्होंने ज्ञापन पहुंचाने के लिए आश्वस्त किया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में शिक्षक उपस्थित रहे,जिनके माथे पर गहरी चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही थीं।

जनपदीय प्रवक्ता निजाम खान ने बताया कि कार्यक्रम का नेतृत्व संघ अध्यक्ष एवं मांडलिक मंत्री अयोध्या के दिलीप कुमार पाण्डेय ने किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक संघ का इतिहास संघर्षों से भरा रहा है और अब भी शिक्षक वर्ग को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। शिक्षक संगठन की अपील है कि केंद्र व राज्य सरकार संवेदनशीलता दिखाएं और उचित समाधान का मार्ग प्रशस्त करें। वरिष्ठ उपाध्यक्ष वीरेंद्र नारायण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि शिक्षक समुदाय की पीड़ा को समझते हुए स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएं,ताकि राहत मिल सके। विनोद यादव जिला उपाध्यक्ष ने सरकार से प्रश्न किया कि क्या वे लाखों उदास और निराश शिक्षकों के आंसू को बहने से रोकेंगे ।वर्तमान समय में शिक्षक समाज अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है, 2010 से पहले के नियुक्त शिक्षक पर tet की अनिवार्यता पर सीधे सीधे केंद्र सरकार जिम्मेदार है जो बड़ी ही चतुराई से एन सी ई टी कानून मे संशोधन कर शिक्षकों के साथ छल किया गया। इसी को आधार बनाते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसा आदेश किया गया आज शिक्षक अवसाद ग्रस्त होकर आत्महत्या करने को मजबूर है,जिला मंत्री डॉ. हृषिकेष भानु सिंह ने सरकार से आग्रह किया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 1 सितंबर 2025 को दिए गए आदेश के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए,ताकि टीईटी लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को न्याय मिल सके। वहीं,जिला संयुक्त मंत्री प्रशांत पाण्डेय ने कहा कि यदि ज्ञापन के माध्यम से सार्थक परिणाम नहीं मिलते तो चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति के तहत संघर्ष जारी रहेगा। जनपदीय प्रवक्ता निजाम खान ने स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मीडिया में फैलाए गए भ्रम के कारण शिक्षकों में भारी चिंता का माहौल बना है। उनका कहना है कि निःशुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्रभावी तिथि 25 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी अनिवार्य करने का कोई औचित्य नहीं है। संघ का यह भी कहना है कि 25 अगस्त 2010 (केन्द्रीय स्तर) और 29 जुलाई 2011 (उत्तर प्रदेश सरकार) से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी अनिवार्य नहीं किया जा सकता।