UP : महाकुम्भ… गृहमंत्री अमित शाह पधारे, जूना अखाड़ा में संतों के किये दिव्य दर्शन किया प्रसाद ग्रहण
- महाकुम्भ, प्रयागराज की दिव्य धरती पर पधारे भारत के गृहमंत्री, अमित शाह
- जूना अखाड़ा में पूज्य संतों का दिव्य दर्शन, अद्भुत, अलौकिक, अनुपम पल देवभक्ति के साथ देशभक्ति और समानता, सौहार्द व मानवता उत्कृष्ट उदाहरण
- आचार्य महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा, स्वामी अवधेशानन्द के पावन सान्निध्य में आयोजित दिव्य संत दर्शन समारोह
- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती और पूज्य संतों का पावन सान्निध्य
- महाकुम्भ की धरती से देवभक्ति के साथ देश भक्ति का संदेेश
- राष्ट्र है तो संस्कृति है; पर्व है और परम्परा है-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
- भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ समानता, सौहार्द और मानवता
- जूना अखाड़ा में गृहमंत्री अमित शाह ने पूज्य संतों के साथ ग्रहण किया भोजन प्रसाद
प्रयागराज, 27 जनवरी। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन के रूप में विख्यात महाकुम्भ में पूज्य संत, लाखों-करोड़ों भक्तों को अपने आशीर्वाद से अभिभूत कर रहे हैं। इस पावन अवसर पर भारत के गृह मंत्री अमित शाह जूना अखाड़ा पधारे और पूज्य संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। महाकुम्भ, भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, अमित शाह का महाकुम्भ में आगमन भारत की आध्यात्मिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं के सम्मान का उत्कृष्ट उदाहरण है।आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद और स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में अमित शाह ने जूना अखाड़ा में उपस्थित पूज्य संतों का आशीर्वाद लिया। पूज्य संतों ने भारतीय संस्कृति, धर्म, और राष्ट्र की शक्ति के महत्व पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की। यह आयोजन भक्ति और राष्ट्रभक्ति का एक अनूठा संदेश पूरे विश्व को दे रहा है।
महाकुंभ, आध्यात्मिक उन्नति के साथ भारतीय संस्कृति और परंपराओं की शक्ति और महत्ता की उत्कृष्टता का सशक्त माध्यम है। वास्तव में एक राष्ट्र की शक्ति उसकी सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक विश्वासों और परंपराओं में निहित है।स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि भारत का सौभाग्य है कि वर्तमान समय में भारत के पास एक संस्कारी सरकार है जिसने भारत के विकास के साथ विरासत को सम्भालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। भारत के पास प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के रूप में विलक्षण संयोग है, जिन्होंने पूरी दुनिया को भारत को भारत की दृष्टि से देखने की दिव्य दृष्टि प्रदान की है।महाकुम्भ, भारत के स्वर्णिम इतिहास के सुनहरे पृष्ठ में से एक उत्कृष्ट अध्याय है। यह देश की समृद्ध संस्कृति का दिव्य महोत्सव है। स्वामी ने कहा कि राष्ट्र है तो संस्कृति है, पर्व है और परंपरा है। महाकुम्भ भारतीयता की जड़ों, मूल व मूल्यों को समझने और उसे संजोने का उत्कृष्ट अवसर है। भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र यही है कि राष्ट्र की शक्ति उसकी संस्कृति, पर्व और परंपराओं से जुड़ी है। महाकुंभ, जो भारतीय धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है, यह एक ऐसा आयोजन है, जहां लाखों-करोड़ों श्रद्धालु अपने आस्थाओं और विश्वासों को एकत्रित कर देश को भक्ति और श्रद्धा के माध्यम से एकता और शक्ति का संदेश देते हैं।महाकुंभ, भारत की संस्कृति, धार्मिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहर का जीवंत उदाहरण है। महाकुम्भ, आध्यात्मिक जागृति का एक महापर्व है, यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को भी पुनः स्थापित करने का उत्कृष्ट माध्यम है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द ने कहा कि हम अपनी प्राचीन धरोहर को बनाए रखें और भविष्य की ओर बढ़ें। आध्यात्मिक उन्नति, भौतिक विकास के साथ अपनी संस्कृति को संजोने की जिम्मेदारी भी हम सभी की हैं।उन्होंने कहा कि महाकुंभ राष्ट्रीय एकता और आध्यात्मिक जागृति का महापर्व है। इस अवसर पर हम अपनी जड़ों से जुड़कर अपने राष्ट्र को एकजुट और समृद्ध बना सकते हैं।आचार्य महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा ने गृहमंत्री और पूज्य संतों को भोजनप्रसाद करवाया।